Best place to Visit Near varanasi : मां दुर्गा ने यहां किया था राक्षस मधु-कैटव व शुम्भ-निशुम्भ का वध, देखें मां सीता कहां समाई थीं धरती में
Best place to Visit Near varanasi : वाराणसी धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां तमाम पौराणिक मंदिर हैं। इन मंदिरों में साल भर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। वहीं, खास मौके पर यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। कई लोगों को भगवान का ठीक से दर्शन भी नहीं हो पाता। ऐसे में आप नए साल पर वाराणसी के आसपास के प्रसिद्ध मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
मिर्जापुर में विंध्य पर्वत स्थित काली खोह मंदिर।
- वाराणसी से 64 किलोमीटर काली खोह मंदिर में माता का कर सकते हैं दर्शन
- वाराणसी से 80 किलोमीटर दूर मां सीता का समाहित स्थल
- इसी जगह लव-कुश ने हनुमान जी को पेड़ में बांधा था
वाराणसी से 64 किलोमीटर दूर मिर्जापुर में विंध्याचल मंदिर है। यह शक्तिपीठ है। इसके पास में ही काली खोह मंदिर है। मंदिर विंध्य की पहाड़ियों पर स्थित है। मां काली के इस मंदिर की काफी मान्यता है।
मां सीता ने जहां खुद को धरती में समाहित कियावाराणसी मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर भदोही जिला है। यहां प्रयागराज और वाराणसी के बीच जंगीगंज बाजार से 11 किलोमीटर दूर सीता समाहित स्थल है। यह वह स्थल से जहां पर मां सीता ने खुद को धरती में समाहित किया था। इस जगह विशेष प्रकार की घास मिलती है, जिसे सीता केश भी कहते हैं। इस स्थल पर हनुमान जी की 110 फीट ऊंची मूर्ति है। इसे विश्व की सबसे बड़ी हनुमान जी की मूर्ति बताया जाता है। यहीं पास में वह जगह, जहां लव कुश ने हनुमान को पेड़ में बांधा था। इस जगह एक छोटा मंदिर बना है। नए साल और अन्य मौके पर यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
बलिया का बालेश्वर शिव मंदिर है काफी प्रसिद्धवाराणसी मुख्यालय से 150 किलोमीटर की दूरी पर बलिया जिला है। यहां मुख्यालय से आधा किलोमीटर की दूरी पर बालेश्वर शिव मंदिर है। स्थानीय लोगों के मुताबिक राजा बलि ने यहां पर यज्ञ किया था। साल भर यहां लोग पूजा-अर्चना करने आते हैं। नए साल पर यहां स्थानीय लोगों के अलावा आसपास के कई जिलों से श्रद्धालु आते हैं।
सोनाडीह भवानी मंदिरबलिया जिला मुख्यालय से 68 किलोमीटर दूर सोनाडीह भवानी मंदिर है। यह बेल्थरा रोड कस्बा से 8 किलोमीटर दूर सरयू नदी के किनारे बना है। इस जगह मां दुर्गा ने राक्षस रक्तबीज का वध किया था। इसके साथ ही मां दुर्गा ने मधु-कैटव व शुम्भ-निशुम्भ का भी वध किया था। इस कारण मां दुर्गा के भक्त यहां आकर उनकी पूजा करते हैं और मुराद मांगते हैं।
संजीवनी बूटी लाने के दौरान हनुमान जहां रुके थेवाराणसी के पास के जिले जौनपुर में हनुमान जी का पौराणिक मंदिर है। यह जौनपुर मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर सूरापुर में है। इस मंदिर की पहचान बिजेथुआ महावीरन के नाम से है। दरअसल, जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब रावण द्वारा भेजे गए राक्षस कालनेमि से हनुमान जी का यहां युद्ध हुआ था। हनुमान जी ने राक्षस का वध किया था। इस वजह से इस मंदिर में कई जिलों और राज्यों के लोग पूजा करने के लिए आते हैं।
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