Green Hydrogen boat will run in Varanasi: वाराणसी में ग्रीन हाईडोजन से चलेंगी नावें, जल्द शुरू होगा संचालन

Hydrogen boat in varanasi: वाराणसी में गंगा नदी में अब नावों का संचालन ग्रीन हाईड्रोजन से किया जाएगा। इसको लेकर सरकार ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही यह काफी सस्ता होगा। फिलहाल यहां डीजल और सीएनजी से नावें संचालित की जाती हैं। हाल में डीजल से नावों के संचालन पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। सभी नावों को सीएनजी से संचालित करने का निर्देश जारी किया गया था।

वाराणसी में चल रही नाव

मुख्य बातें
  1. काशी में संचालित होती हैं 500 से अधिक नावें
  2. ग्रीन हाईड्रोजन को बताया जा रहा भविष्य का ईंधन
  3. भारत और अमेरिका में ग्रीन हाईड्रोजन कॉरिडोर बनाने पर बनी है सहमति


Varanasi News: वाराणसी में नावों का संचालन अब डीजल और सीएनजी से भी नहीं होगा। बहुत जल्द यहां की नावें ग्रीन हाईड्रोजन से संचालित की जाएगी। पेट्रोलयिम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने काशी दौरे के दौरान यह बात कही है। मंत्री ने कहा है कि सीएनजी से संचालित होने वाली नावें भी ग्रीन हाईड्रोजन से संचालित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि भविष्य का ईंधन ग्रीन हाईड्रोजन ही है। देश में मांग अधिक होने के चलते यह काफी सफल भी हो रहा है। बताया कि पिछले दिनों ग्रीन हाईड्रोजन पर राष्ट्रीय नीति बनाई गई। इस ऊर्जा स्त्रोत के उपयोग पर मंत्रालय काम कर रहा है।

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मंत्री के अनुसार भारत और अमेरिका के बीच ग्रीन हाईड्रोजन कॉरिडोर बनाने पर सहमति बन चुकी है। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री डॉ. एके शर्मा का भी कहना है कि प्रदेश सरकार अब वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर काम कर रही है। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित होगा और वाहन चालकों की आय भी बढ़ेगी।

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काशी में संचालित हो रहीं 500 से अधिक नावेंकाशी में 500 से अधिक नावों का संचालन किया जा रहा है। यह नावें सीएनजी और पीएनजी से भी संचालित की जा रहीं हैं। हाल के दिनों में सीएनजी से नावों के परिचालन पर जोर दिया गया है। इसके लिए गंगा नदी में सीएनजी स्टेशन भी बनाया गया है। एक स्टेशन पिछले एक साल से संचालित हो रहा है। जबकि दूसरे का निर्माण कार्य चल रहा है। बता दें डीजल के विकल्प के तौर पर सीएनजी का इस्तेमाल नावों के संचालन में किया जा रहा है। डीजल से नावों के संचालन से प्रदूषण काफी फैल रहा था। इससे गंगा नदी किनारे रहने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां हो

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