वाराणसी में गंगा घाटों पर संकट, दरक रही हैं सीढ़ियां, जोशीमठ की तरह खोखले हो रहे काशी के घाट

वाराणसी के गंगा घाटों पर संकट के बादल छा गए हैं। घाटों की सीढियां दरक रही हैं। जोशीमठ की तरह काशी के घाट खोखले होते जा रहे हैं। Times now नवभारत की टीम ने आधा दर्जन से अधिक घाटों का जायजा लिया।

काशी के घाटों पर संकट के बादल

वाराणसी के प्रसिद्ध गंगा घाटों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जोशीमठ की तरह काशी के घाट खोखले होते जा रहे हैं। घाट की सीढियां दरक रही है। खतरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। और इन सबके बीच स्थानीय लोगों की सांसें थमी है। घाटों पर आई इस आफत के पीछे की वजह जानने के लिए Times now नवभारत की टीम ने आधा दर्जन से अधिक घाटों का जायजा लिया।
धर्मनगरी काशी अपने इन चमचमाते घाटों पर इठलाती है। इतराती है। इन घाटों की खूबसूरती का दीदार करने के लिए देश ही नहीं बल्की पूरी दुनिया के अलग अलग कोने- कोने से लोग आते हैं। लेकिन अब काशी की इस पहचान पर संकट के बादल मंडरा रहे है। घाटों पर आई इस आफत की वजह है गंगा का प्राकृतिक परिर्वतन। घाट के पश्चिमी छोर पर गंगा के बढ़ते दबाव के चलते घाट खोखले होते जा रहे हैं। इसका प्रमाण भदैनी घाट की ये तस्वीरें है। घाट के नीचे बनी सीढ़ियां धीरे धीरे खोखली हो चुकी है।
गंगा का पानी सीढियों के नीचे लगता रिसता जा रहा है, जिसकी वजह से पूरे घाट पर ही खतरा मंडराने लगा है। घाटों पर जगह-जगह उभरी दरारें खतरे की आहट को बखूबी बयां कर रही है। इस बात की तस्दीक यहां के स्थानीय लोग भी कर रहे हैं। Times now नवभारत की पड़ताल में सिर्फ भदैनी घाट ही नहीं बल्कि आगे के कुछ और घाटों पर भी खतरे की घंटी बजाती तस्वीरें सामने आई। चेतसिंह किला घाट पर तो घाट का पूरा हिस्सा ही जमीन में धंसा दिखा। यही नहीं किले और घाट से जुड़ी इमारतों में भी दरारें दिखी।
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