Dev Diwali 2023: काशी में इस दिन मनाई जाएगी देव दिवाली, यहां जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

Dev Diwali 2023- वाराणसी की विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली का साक्षी बनने के लिए देश-दुनिया के आस्थावान और सैलानी महादेव की नगरी पहुंचते हैं। इस साल इसकी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन था। लेकिन, आयोजन समितियों ने पुरानी परंपरा का हवाला देते हुए उदया तिथि में 27 नवम्बर को देव दिवाली मनाने का फैसला लिया है।

Ttipurotsav Date And Timing In Varansi

वाराणसी में देव दिवाली का समय और पूजा विधि

वाराणसी: कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली और अमावस्या के दिन बड़ी दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली ( Dev Diwali 2023) मनाने की परंपरा है। वैसे तो देव दिवाली कई जगह मनाई जाती है, लेकिन काशी की देव दिवाली अद्भुत है। यहां की दिवाली की भव्यता की तारीफ कई दिग्गजों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। काशी के इस अद्भुत आयोजन से गंगा के घाट रोशनी में डुबकी लगाते नजर आते हैं। यहां दुनियाभर से पर्यटक देव दिवाली पर पहुंचते हैं। हालांकि, इस वर्ष तिथि को लेकर काफी कन्फ्यूजन की स्थिति है। तो अगर, आप भी इस महापर्व में शामिल होना चाहते हैं तो कन्फ्यूजन में मत रहिए। हम आपको इस परंपरा से जुड़े सारे पहलुओं से आपको रुबरू कराते हैं।

26 या 27 नवम्बर को लेकर दुविधादरअसल, इस वर्ष हिन्दू पंचाग में तिथि भेद के कारण नवंबर की 26 और 27 तारीख को कार्तिक पूर्णिमा का जिक्र है। कार्तिक पूर्णिमा को लेकर हाल में ही काशी विद्वत परिषद ने बैठक के बाद एक प्रेस रिलीज जारी की थी, जिसमें 26 नवम्बर को देव दिवाली की तारीख बताई थी, लेकिन अब इसे आयोजित करने वाली समितियों ने पुरानी परंपरा का हवाला देते हुए उदया तिथि में 27 नवम्बर को देव दिवाली मनाने का फैसला लिया है।

ये है द्रिक पंचांग का शुभ मुहूूर्त
  • देव दीपावली 26 नवंबर रविवार 2023
  • प्रदोष काल देव दिवाली मुहूर्त 05:08 PM to 07:47 PM
  • समयावधि 02 घंटे 39 मिनट
  • पूर्णिमा तिथि शुरू 26 नवंबर की शाम 3 बजकर 53 मिनट
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त 27 नवंबर दोपहर 2 बजकर 45 मिनट

उदया तिथि में देव दिवाली

परिषद के मुताबिक, 26 नवंबर को देव दीपावली मनाया जाना चाहिए। वहीं, समितियों के मुताबिक, बैठक करके यह फैसला ले लिया गया है कि वे 27 नवंबर को ही उदयातिथि उके अनुसार देव दीपावली का पर्व मनाएंगे। 27 नवम्बर को सभी घाटों को लाखों दीपों से सजाकर देव दिवाली मनाई जाएगी। इस समिति में केंद्रीय देव दीपावली समिति के अलावा गंगा सेवा निधि, गंगोत्री सेवा समिति के अलावा पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग और दूसरे घाटों पर देव दीपावली कराने वाली समितियां शामिल हैं।

देव दिवाली के अवसर पर महाआरती के साथ सांस्कृतिक आयोजन भी किए जाएंगे। 27 नवम्बर को ही उदयातिथि में गंगा स्नान भी होगा और इसी दिन शरद पूर्णिमा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलने वाले आकाशदीप कार्यक्रम का समापन भी किया जाएगा।

इसलिए मनाई जाती है दिवालीपौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार त्रिपुरासुर राक्षस ने अपने आतंक से मनुष्यों सहित देवी-देवताओं और ऋषि मुनियों को भी परेशान कर दिया था। उसके आतंक से मानव त्राहि-त्राहि कर रहा था। तब सभी देवगणों ने भगवान शिव से उस राक्षस का अंत करने के लिए निवेदन किया। भगवान शिव ने सभी को इसके अंत के लिए आश्वस्त किया। बाद में भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। कहते हैं इसी खुशी में सभी देवता अत्यंत प्रसन्न हुए और शिव जी का आभार व्यक्त करने के लिए उनकी नगरी काशी में पधारे। देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाकर खुशियां मनाई थीं। जिस दिन ये घटना हुई वो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि थी। यही कारण है कि हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आज भी काशी में दिवाली मनाई जाती है।

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Pushpendra kumar author

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