Varanasi Electricity Made From Waste: वाराणसी को अब कचरे से बनी बिजली भी मिलेगी, नवंबर से आपूर्ति
Varanasi Electricity Supply:नए साल में वाराणसी के लोगों को कई सौगात मिलने वाली है। इसमें एक सौगात बिजली आपूर्ति से भी जुड़ी है। अब जिले को कचरे से बनी बिजली मिलेगी। इसका उत्पादन रमना स्थित प्लांट में किया जाना है। करोड़ों रुपए खर्च कर यह प्लांट तैयार किया जा रहा है। शहर से हर दिन निकलने वाले कचरे से यहां बिजली बनाई जाएगी। इसको लेकर कागजी सभी प्रक्रिया एवं तैयारी पूरी कर ली गई है।
कचरे से बनाया गया कोयला (सांकेतिक फोटो)
मुख्य बातें
- 200 करोड़ रुपए से बनाया जाएगा प्लांट
- हर दिन 600 टन कचरे से बनेगा 200 टन कोयला
- अलग-अलग एनटीपीसी को आंवटित होगा कोयला व बनेगी बिजली
Varanasi News: लोगों के घर से निकलने वाले कचरे से अब उन्हें बिजली दी जाएगी। कार्बन क्रेडिट में इसका फायदा होगा। प्रदेश सरकार रमना में कचरे से कोयला बनाने का प्लांट नवंबर में शुरू करने वाली है। यह देश का पहला प्लांट होगा,जहां कचरे से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इसका पहला परीक्षण सफल हो चुका है। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोशन (एनटीपीसी) हरित कोयला परियोजना के नाम से 200 करोड़ रुपए से प्लांट लगा रहा है।
सरकार द्वारा निशुल्क जमीन उपलब्ध कराई गई है। इस प्लांट में हर दिन 600 टन कचरे से 200 टन कोयला का उत्पादन किया जाएगा। ऐसा दावा किया जा रहा है कि प्लांट से कोई प्रदूषण नहीं होगा। आसपास के लोगों को किसी तरह की दुर्गंध भी नहीं मिलेगी। इसके साथ ही लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे।
16 एकड़ में बनाया जा रहा प्लांटअब प्लांट का दूसरी बार निरीक्षण किया जाना है। प्लांट का निर्माण 16 एकड़ में किया जाना है। इस बारे में अधिशासी अभियंता अजय कुमार राम का कहना है कि रमना स्थित प्लांट को नगर निगम हर दिन कचरा देगा। इसके बाद उससे कोयला बनाया जाना है। तीन यूनिट इस योजना के लिए काम करेगी। इसमें एक यूनिट सुरक्षित रहेगी, जिससे किसी यूनिट में गड़बड़ी आने पर उसका प्रयोग किया जा सके। प्लांट में बनाए जाने वाले कोयले को विंध्यनगर, टांडा, मेजा, शक्तिनगर स्थित एनटीपीसी प्लांट को भेजा जाएगा। फिर इन कोयलों से बिजली बनाई जाएगी।
20 एकड़ में होगा प्लांट, 5 एकड़ में निस्तारित होगा अवशेषयह प्लांट में 20 एकड़ में बनाया जाएगा। वहीं, 5 एकड़ में कोयला निर्माण में निकले अवशेष को निस्तारित करने के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाई जाएगी। प्लांट को अगले 25 साल को ध्यान में रखकर बनाया जाना है। इस प्लांट के सफल होने पर इंदौर और फिर भोपाल में भी प्लांट शुरू करने की योजना है। दरअसल, देश में जहां भी कचरे से बिजली बनाने के लिए प्लांट लगा है, वहां प्रति यूनिट 11-12 रुपए खर्च आता है। बाजार में बिजली प्रति यूनिट अधिकतम 8 रुपए बिकती है। इसको देखते हुए एनटीपीसी ने कचरे से बिजली बनाने का प्लांट लगाने की परियोजना बनाई। अब वाराणसी में यह परियोजना धरातल पर उतरने जा रही है।
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