रत्नेश्वर महादेव: बनारस के श्मशान पर स्थित है ये तिरछा मंदिर, ऐसा हुआ तो डूब जाएगी पूरी काशी

Varanasi Historic Story: दुनिया के सबसे प्राचीन शहर बनारस में गंगा किनारे एक ऐसा मंदिर है, जो बिल्कुल तिरछा है। मान्यता है कि रत्नेश्वर महादेव के इस मंदिर की चोटी तक अगर गंगा का पानी पहुंच गया तो पूरी काशी डूब जाएगी। आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं।

श्मशान घाट के किनारे बसा है रत्नेश्वर महादेव मंदिर।

Varanasi News: सभ्यता, संस्कृति के साथ-साथ अपनी अल्हड़पने के लिए मशहूर बनारस में अनेक दिलचस्प कहानियां हैं। यहां हजारों मंदिर हैं। मां गंगा के किनारे बसे इस शहर को भोलेनाथ की नगरी कहते हैं। काशी की बोली, दुनिया में बिल्कुल हट के है। काशी में गंगा किनारे एक तिरछा मंदिर है। इस मंदिर को रत्नेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

श्मशान घाट के किनारे बसा है ये मंदिर

कहा जाता है कि बनारस भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। काशी का मणिकर्णिका घाट दुनियाभर में बेहद मशहूर है। कहते हैं कि बनारस में मरने वालों को सीधे स्वर्ग में स्थान मिलता है। मणिकर्णिका पर चौबीसों घंटे लाशें जलती रहती है। यहां सैकड़ों सालों से चिता की आग शांत नहीं हुई है। यहीं पास में एक तिरछा मंदिर है, जिसे रत्नेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं। इस मंदिर के ठीक सामने मणिकर्णिका कुंड है। बनारस आने वाले ज्यादातर लोग इसी तिरछे मंदिर को ही काशी करवट समझते हैं। हालांकि ये काशी करवट नहीं है, असल में काशी करवट कुछ है ही नहीं, ये काशी करवत है जो मणिकर्णिका घाट से करीब 100 मीटर दूर नेपाली खपरा में स्थित है।

मणिकर्णिका घाट।

तो डूब जाएगा पूरा बनारस, जानिए कैसे

इस मंदिर का कपाट हमेशा बंद रहता है। दरअसल, महादेव का ये मंदिर गंगा में डूबा रहता है, इसका आधा हिस्सा पानी में ही रहता है। जब गंगा का जलस्तर घटता है तो इस मंदिर का कुछ हिस्सा मिट्टी में ही धंसा रहता है। मंदिर पूरा का पूरा तिरछा है। मान्यता है कि जिस दिन गंगा का पानी इस रत्नेश्वर महादेव मंदिर की चोटी को पार कर जाएगा, उस दिन पूरा बनारस डूब जाएगा। इसकी पड़ताल करने के लिए हम बनारस के इस घाट पर पहुंचे।

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