Kashi Gyanvapi: कौन हैं स्वामी जीतेंद्रानंद, जिन्होंने काशी ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए त्याग दिया अन्न

स्वामी जीतेंद्रानंद ने ऐलान किया है कि ज्ञानवापी मंदिर मुक्त नहीं हो जाता है, और एक विराट मंदिर का स्वरूप नहीं लेता, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। आइए जानते हैं कि कौन हैं स्वामी जीतेंद्रानंद?

स्वामी जीतेंद्रानंद (फोटो साभार - सोशल मीडिया)

Varanasi Gyanvapi: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर को लेकर भारतीय पुरातत्व की सर्वे रिपोर्ट आने के बाद यह लगातार चर्चा में बनी हुई है। इसी बीच स्वामी जीतेंद्रानंद के अन्न त्यागने की भी खबर सामने आई है। उन्होंने काशी ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए इस व्रत को रखने की घोषणा की है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वामी जीतेंद्रानंद कौन है? आज हम आपको स्वामी जीतेंद्रानंद और उनके इस व्रत के बारे में बताएंगे।

कौन हैं स्वामी जीतेंद्रानंद

स्वामी जीतेंद्रानंद अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री हैं। उन्हें आचार्य जितेंद्र के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य का जन्म 25 फरवरी 1972 में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ। वे एक धार्मिक नेता, भिक्षु और पर्यावरणविद् कार्यकर्ता है। इसके अलावा वे गंगा महासभा के महासचिव भी है। विकिपीडिया के अनुसार वे साल 2000 से गंगा नदी के लिए काम कर रहे हैं।

स्वामी जीतेंद्रानंद का व्रत

स्वामी जीतेंद्रानंद ने शनिवार को एक वीडियो संदेश जारी करके अपने व्रत की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि काशी ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए यह उनका व्यक्तिगत संकल्प हैं। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा करने वाले वे कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं इस तपस्या को ऋषि-मुनि और संतगण हजारों सालों से करते रहे हैं। स्वामी जीतेंद्रानंद ने वीडियो संदेश में कहा है किये उनका व्यक्तिगत प्रण है कि जब तक काशी ज्ञानवापी मुक्त नहीं हो जाता और एक विराट मंदिर का स्वरूप नहीं ले लेता, तब तक वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि अपने व्रत में वे गोदुग्ध और कुछ फलों से शरीर धर्म का पालन करेंगे।

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