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'डार्विन सिद्धांत' हटाये जाने पर एक राय नहीं, बीएचयू के प्रोफेसर ने जताई आपत्ति

Darwin theory: एनसीईआरटी ने छात्रों पर बोझ कम करने के लिए 10वीं के पाठ्यक्रम से डार्विन के सिद्धांत को हटाने का फैसला किया है।

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एनसीईआरटी ने डार्विन सिद्धांत हटाने का फैसला किया है।

मुख्य बातें
  • 10वीं की कक्षा से डार्विंन सिद्धांत बाहर
  • NCERT ने छात्रों पर बोझ का दिया हवाला
  • शिक्षकों और वैज्ञानिकों में एक राय नहीं

Darwin theory: आप किसी भी बोर्ड के छात्र रहे हों डॉर्विन की सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट थ्योरी जरूर पढ़े होंगे। लेकिन एनसीईआरटी अब इसे हटाने पर विचार कर रहा है। इसे लेकर शिक्षक वर्ग में अलग अलग राय है। बीएचयू के जूलोजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एस सी लाखोटिया(Prof SC Lakhotia BHU) ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे (डार्विन सिद्धांत) स्थायी रूप से हटाया जा रहा है। जैविक विकास एक मौलिक प्रक्रिया है और जीव विज्ञान आवेदकों और सामान्य लोगों के लिए इसे समझना महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक रूप से क्या सही है छात्रों को यह जानने का अधिकार है। एनसीईआरटी(NCERT) ऐसा क्यों कर रही है, हम नहीं जानते। बात दें कि इस फैसले के बाद विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के अध्याय 9 से 'आनुवांशिकता और विकास' को 'आनुवंशिकता' से बदल दिया गया है।

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'दशवतार सिद्धांत डार्विन सिद्धांत से बेहतर'

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2018 में, तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, सत्यपाल सिंह ने डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को वैज्ञानिक रूप से गलत बताते हुए इसे भारतीय स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम से हटाने कि वकालत की थी। 2019 में आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति नागेश्वर राव गोलपल्ली ने 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में दावा किया कि दशवतार का सिद्धांत डार्विन के सिद्धांत से बेहतर विकास की व्याख्या करता है। यह सभी वैज्ञानिकों द्वारा स्वीकार किया जाता है, हालांकि विकासवादी सिद्धांत अभी भी कई अमेरिकियों द्वारा खारिज कर दिया जाता है। क्योंकि यह ईश्वरीय रचना के बारे में उनके धार्मिक विश्वासों के साथ संघर्ष करता है।

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