रफ्तार और रील का शौक देकर गई मौत, एक साथ जिए-मरे तीन दोस्त; शिवम ने जीती थी कैंसर से जंग
शिवम कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से उबर कर सामान्य जिंदगी जी रहा था, लेकिन बाइक की रफ्तार और रील के शौन में अपनी जान गवां दी। एक झण में मौत बनकर आई बस तीन दोस्तों को अपने साथ समेट ले गई।
वाराणसी में तीन दोस्तों की मौत
- वाराणसी में तीन दोस्तों की रोड एक्सीडेंट में मौत
- ड्यूक बाइक पर 100 की स्पीड से दौड़ रहे थे सड़क पर
- रील बनाने के चक्कर में बस से टकराई बाइक
वाराणसी: उन्हें बाइक पर स्पीडिंग पसंद थी। वो बेखौफ होकर सड़क पर मोटरसाइकिल दौड़ाते और आते जाते लोगों से कंपीटशन करते। ये शौक उन तीन दोस्तों का है जो जिए तो साथ और मरे भी तो साथ। इनमें से एक दोस्त कैंसर को पटखनी देकर घर में रंगत बिखेर रहा था। लेकिन, एक वाहियात के शौक ने तीनों को काल के मुहाने पर पहुंचा दिया। जी, हां वाराणसी के रोहनिया में दो दिन पहले हुए सड़क हादसे में तीन किशोरों की जान चली गई। वो ओवर स्पीडिंग बाइक पर बैठकर रील बना रहे थे। इसी बीच अमरा-अखरी से चुनार मार्ग पर काल बनकर बस आई और तीनों को अपने साथ समेट कर ले गई। दो दोस्तों की मौके पर मौत हो गई और तीसरे ने ट्रॉमा सेंटर में इलाज के दौरान दुनिया को अलविदा कह दिया।
विपरीत दिशा से आ रही बस ने मारी टक्कर
दरअसल,अखरी राजभर निवासी साहिल राजभर (16) अपने भाई की ड्यूक स्पोर्ट्स बाइक लेकर अपने दोस्तों चंद्रशेखर राजभर उर्फ चंदन (16) और शिवम राजभर के साथ घूमने के वास्ते निकला। तीनों ने बाइक बच्छांव की ओर मोड़ी और हवा में रफ्तार भरने लगे। एक तरफ से तो सही सलामत पहुंचे, लेकिन लौटते वक्त गाड़ी साहिल के हाथों में थी और उसके दोनों दोस्त पीछे बैठ थे। चूंकि, रील बनाने का शौक था सो पीछे बैठे दोस्त रील बनाने लगे। तीनों खनांव गांव के पास पहुंचे ही थे कि विपरीत दिशा से आ रही भारतीय सब्जी अनुसंधान की बस से बाइक टकरा गई। बाइक की स्पीड अधिक थी, लिहाजा, तीनों छिटक कर दूर जा गिरे। गंभीर चोट होने के कारण साहिल और चंद्रशेखर की मौके पर ही मौत हो गई। घायल अवस्था में शिवम को पुलिस ने बीएचयू स्थित ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
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सड़क सुरक्षा नियमों से अनभिज्ञ और हेलमेट की वैल्यू न समझना दोस्तों को एक साथ काल की दहलीज तक ले गई। हादसे के बाद पता चला कि तेज रफ्तार में बाइक दौड़ाना उन्हें काफी पसंद था। चार महीने पहले निकली बाइक पर अभी नंबर भी नहीं डाले गए थे।
कैंसर से जीतकर सामान्य जिंदगी जी रहा था शिवम
शिवम के बारे में पता चला है कि वह कई साल तक कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहा था। वह कैंसर से तो जीत गया, लेकिन रफ्तार के शौक में जिंदगी से हाथ धो बैठा। फफक-फफक कर जिगर के टुकड़े के लिए रो रही मां एक ही बात कहती है, अगर, वह उस दिन मेरी न जाने की जिद को मान लेता हो आज वह हमारे साथ होता। उधर, साहिल तीन भाईयों और एक बहन में दूसरे नंबर का था और चंद्रशेकर दो भाईयों में बड़ा था।
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पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्ष...और देखें
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