Kashi Tamil Samagam 2024: शिव के धाम में तमिलों का 'वणक्कम', मिशन 2024 के लिए दक्षिणी किला भेदने की कोशिश में PM मोदी

Kashi Tamil Samagam 2024- वाराणसी में 17 दिसंबर से काशी तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण का आयोजन होना है। खास बात ये है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इसी कार्यक्रम के जरिए पीएम मोदी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए दक्षिण में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।

Kashi Tamil Samagam

काशी में कल आएंगे पीएम मोदी

Kashi Tamil Samagam 2024: उत्तर और दक्षिण भारत के बीच रिश्तों की नई इबारत लिखने के लिए काशी का प्रसिद्ध नमो घाट तैयार है। 17 दिसंबर को कल-कल की आवाज करती गंगा और उसके किनारे देश की दो सबसे पुरानी संस्कृतियों का महासंगम होगा। सनातन संस्कृति के दो सबसे बड़े केंद्र रामेश्वर और विशेश्वर का मिलन होने जा रहा है। यहां ना सिर्फ संस्कृतियों का आदान प्रदान होगा, बल्कि भाषाई दूरियां भी मिट जाएंगी। भारत के दो भागों को एकता के सूत्र में पिरोने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। 17 दिसंबर को जब पीएम काशी तमिल संगमम के दूसरे संस्करण की शुरुआत करेंगे तो हर किसी की नजर इस पर टिकी होगी।

सियासी दुर्ग में सेंध लगाने की कोशिश में पीएम मोदी

पिछले दस सालों से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, उनकी गिनती देश के सबसे ताकतवर नेता के तौर पर होती है। ये सत्य है कि वर्तमान नेताओं की सूची में कोई दूसरा उनके आसपास भी नहीं है, लेकिन ये उससे बड़ा सत्य है कि देश के दक्षिणी राज्यों से अभी भी मोदी की पहुंच से दूर है। ऐसे में साल 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले दक्षिण भारत के लोगों के दिलों को जीतने के लिए मोदी ने बड़ा प्लान तैयार किया। दरअसल, मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक फिर से काशी तमिल संगमम कार्यक्रम होने जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम के जरिए बीजेपी दक्षिण के सियासी दुर्ग में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है।

14 सौ लोगों का प्रतिनिधिमंडल

काशी-तमिल संगमम कार्यक्रम में दक्षिण भारत के 14 सौ लोगों का प्रतिनिधिमंडल शिरकत करेगा। दक्षिण भारत से आने वाले मेहमान ना सिर्फ काशी के विकास से रूबरू होंगे, बल्कि यहां की संस्कृति और सभ्यता को भी करीब से समझेंगे। इसके लिए बनारस में भव्य तैयारी की गई है। कार्यक्रम से तीन दिन पहले खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने तैयारियों का जायजा लिया। सीएम योगी ने अपने एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर लिखते हुए इसे भारत के समृद्ध इतिहास और सभ्यता का जश्न बताया है। उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत की गहन अभिव्यक्ति है। तमिल संगमम का दूसरा संस्करण एक बार फिर, हम प्राचीन शहर काशी में अपने देश के समृद्ध इतिहास और सभ्यता का जश्न मनाएंगे। हम सभी को उत्तर और दक्षिण भारत की साझा संस्कृतियों के संगम पर बहने वाली एकता में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

दक्षिण भारत को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश

काशी तमिल संगमम के जरिए ना सिर्फ मोदी उत्तर और दक्षिण भारत को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश कर रहे हैं। बल्कि, सियासत की लकीर भी खींचने में जुटे हैं, जिसकी बदौलत बीजेपी दक्षिण का दुर्ग जीतने का अपना देख रही है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि बीजेपी इस कार्यक्रम के बहाने दक्षिण भारत में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है। दक्षिण के राज्यों में बीजेपी अभी भी सत्ता से दूर है। एकमात्र कर्नाटक राज्य भी उसके हाथ से निकल गया। देश में मोदी की प्रचंड लहर के बाद भी आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल जैसे राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन बेहद फीका रहा है। यही बात पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। लिहाजा, मोदी काशी तमिल संगमम कार्यक्रम के जरिए सियासत की वो बिसात बिछाने में जुटे हैं, जिसकी बदौलत दिल्ली की राह और आसान होगी।

काशी में रम गए तमिल

दक्षिण भारत के दिल को जीतने के लिए पीएम मोदी ने काशी को यूं ही नहीं चुना। काशी की कई ऐसी गलियां हैं, जहां दक्षिण भारत का दिल धड़कता है। शिवाला, चेतसिंह किला और हनुमान घाट सरीखे कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां लंबे समय से बड़े पैमाने पर दक्षिण भारत के लोग रहते हैं। कई ऐसे परिवार हैं जो आए तो थे शिव की साधना में, लेकिन यहां की आबोहवा ऐसी रास आई कि हमेशा के लिए काशीवासी होकर रह गए। इन लोगों को काशी तमिल संगमम से बहुत उम्मीदें है।

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