भारतीय सरजमीं पर होते हुए भी इस मंदिर पर है विदेशी सरकार का अधिकार, कारण जान हो जाएंगे हैरान
वाराणसी में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर पर भारत का अधिकार नहीं है। इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा ने करवाया था और यह मंदिर अब नेपाल सरकार के अधीन है।

पशुपतिनाथ मंदिर।
Pashupatinath Mandir: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी से कौन नहीं परिचित होगा, लेकिन यहां कुछ ऐसे तथ्य छिपे हैं, जिससे शायद आप वाकिफ नहीं होंगे। यहां एक ऐसा मंदिर है, जो है तो भारत में, लेकिन उसपर भारत का अधिकार नहीं है। उस मंदिर पर किसी अन्य देश का अधिकार है। उस मंदिर का नाम है पशुपतिनाथ मंदिर। पशुपतिनाथ मंदिर भारतीय सरजमीं में होते हुए भी भारत के बाहर है, क्योंकि इस मंदिर पर पड़ोसी देश नेपाल का अधिकार है। नेपाल सरकार ही इस मंदिर की देखरेख करती है और नेपाल के नियम कानून ही यहां लागू होते हैं।
क्या है मंदिर का इतिहास?
काशी-विश्वनाथ में बना पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस मंदिर पर नेपाल सरकार का हक है, क्योंकि यह नेपाल की संपत्ति है। यह अपने-आप में काफी आश्चर्यजनक है, लेकिन यह सच है। इस मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा रहे राणा बहादुर साहा ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण 1843 में पूरा हुआ था। बताया जाता है कि यह मंदिर नेपाल के काठमांडू में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का हमशक्ल है और इसे नेपाली कारीगरों ने ही बनाया था।
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मंदिर निर्माण में नहीं हुआ पत्थर का उपयोग
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर का निर्माण ईंट या पत्थर से नहीं, बल्कि लकड़ी से हुआ है। आमतौर पर निर्माण कार्य में लकड़ी का उपयोग पहाड़ी क्षेत्र में होता है। इस मंदिर को लकड़ी से तैयार किया गया है और इस पर शानदार नक्काशी की गई है। इस मंदिर में पूजा-पाठ करने का जिम्मा भी नेपाली पंडित ही देखते हैं। वही यहां पूजा-पाठ और अनुष्ठान करते हैं। इसकी नक्काशी देखकर लोग तो इसे खजुराहो तक से तुलना कर देते हैं।
कहां स्थित है 'नेपाली मंदिर'
बनारस के ललिता घाट के किनारे भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर बना है, जो अब काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर से जुड़ गया है। लोग यहां ललिता घाट से हुए पहुंच सकते हैं। साथ ही काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर से भी रास्ता है। यह मंदिर अपने आप में नायाब होने के साथ ही भारत-नेपाल के बीच अच्छे संबंध का शानदार उदाहरण है। यह दोस्ती की मिसाल पेश करता है।
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