सप्तपुरियों में से एक काशी का नाम वाराणसी कैसे पड़ा, जानें महाभारत काल से अब तक का सफर
हिंदू मान्यताओं के अनुसार सात सबसे पवित्र नगर यानी सप्तपुरियों में से एक काशी है। वाराणसी को काशी नाम से भी जाना जाता है। काशी कैसे वाराणसी बना? यह नगर कितना पुराना है? इसकी स्थापना कब और किसने की? इसके अन्य नाम क्या-क्या हैं? महाभारत काल में इसका जिक्र कहां पर आता है और काशी के मंदिरों सहित जानें वाराणसी का इतिहास -
रोशनी का नगर वाराणसी
वाराणसी का नाम आते ही धर्म और संस्कृति की बात भी चल पड़ती है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2024 में लगातार तीसरी बार (पहली बार 2014 और दूसरी बार 2019 में) वाराणसी से लोकसभा चुनाव जीते। लेकिन वाराणसी की पहचान पीएम मोदी से या पीएम मोदी तक ही नहीं है। बल्कि वाराणसी का इतिहास सदियों पुराना है। यहां तक कि वाराणसी को दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक माना जाता है। इसे धर्म और संस्कृति के जनक के रूप में भी देखा जाता है। इस तरह से अगर वाराणसी को देखें तो यह अपने आप में अद्भुत जगह है। हिंदू मान्यता के अनुसार 7 सबसे पवित्र नगरों (सप्तपुरियों) में से एक वाराणसी है। वाराणसी के बारे में बहुत कुछ कहने और सुनने को है, लेकिन बात इसके नामकरण और इतिहास व आध्यात्म के कुछ रोचक प्रसंगों को लेकर करते हैं।
वाराणसी का नाम कैसे पड़ा?
वाराणसी का नाम कैसे पड़ा यह जानना बड़ा ही रोचक है। वाराणसी का नाम दो शब्दों के मेल से बना है और यह दो शब्द हैं वरुणा और असी। वरुणा और असी दो नदियां हैं, जिनके बीच में यह शहर बसा है। इसलिए इसे वाराणसी कहा जाता है। वाराणसी के उत्तर से वरुणा और दक्षिण से असी नदी आकर गंगा में मिलती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वाराणसी शब्द 'वर' और 'अनस् (यानी जल)' से मिलकर बना है। इसका मतलब 'पवित्र जलवाली पुरी' होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में इस शहर का नाम राजा काशा के नाम पर काशी पड़ा था। यही वजह है कि माना जाता है कि वाराणसी को 3000 से भी ज्यादा वर्षों से काशी बोला जा रहा है।
ये भी पढ़ें - दिल्ली मेट्रो बनाएगी एक ऐसी लाइन, जिस पर हर स्टेशन होगा VIP
वाराणसी के अन्य नाम
वाराणसी को काशी भी कहते हैं, यह तो आपने जान लिया है। वाराणसी धर्म नगरी है और यहां के रज-रज में भोले बाबा बसे हैं। चलिए जानते हैं भोले बाबा की इस नगरी को और किन-किन नामों से जाना जाता है।
- वाराणसी
- काशी
- बनारस
- भोले की नगरी
- गंगानगरी
- विश्वनाथ की नगरी
- मंदिरों का शहर
- भारत की धार्मिक राजधानी
- दीपों का शहर
- ज्ञान नगरी
बनारस नाम की कहानी - मध्य काल में जब देश पर मुगल बादशाह अकबर राज करता था, उस समय वाराणसी में एक हिंदू महाराजा इश्वरी प्रसाद नारायण सिंह राज करते थे। ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह एक मजबूत राजा थे और उनकी खूब इज्जत थी। अकबर के साथ भी उनके बहुत अच्छे संबंध थे। वाराणसी की खूबसूरती और सांस्कृतिक विरासत को देखकर अकबर अवाक रह गया था। हिंदू राजा के सम्मान में अकबर ने इस शहर का नाम बदलकर बनारस रख दिया। मुगलों और फिर अंग्रेजों के शासन काल में भी वाराणसी का नाम बनारस ही रहा। आजादी के बाद इसे आधिकारिक तौर पर इसका नया नाम वाराणसी मिला।
जानें और भी शहरों की कहानी, यहां क्लिक करके पढ़ें
कब और किसने बसाया वाराणसी
वाराणसी कहें या बनारस और काशी इसे विश्व का सबसे पुराना नगर माना जाता है। इस शहर का मूल नाम काशी माना जाता है और मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस नगर की स्थापना की थी। यह हिंदू परंपरा के अनुसार सप्तपुरियों में से एक है। इस नगर का उल्लेख ऋगवेद और स्कन्द पुराण से लेकर रामायण, महाभारत और जैन व बौद्ध संप्रदाय के धर्म ग्रंथों और जातक कथाओं में भी मिलता है। यह नगर कितना पुराना है या इसकी स्थापना कब हुई, इसके बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। हिंदू धर्म में तो काशी की मान्यता है ही, जैन धर्म के अनुयायी भी इसे पवित्र नगर मानते हैं। क्योंकि माना जाता है कि यहीं पर तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म हुआ था।
प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन ने बनारस के बारे में लिखा है, 'बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।'
महाभारत काल में काशी
महाभारत में भी काशी का जिक्र है। उस समय काशी को शिक्षा का गढ़ माना जाता था। हस्तिनापुर के राजकुमार देवव्रत, जिन्हें भीष्म पितामह कहा जाता है वह काशी नरेश की पुत्रियों अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका को उनके स्वयंर से उठाकर ले आए थे। बाद में उन्होंने अम्बिका व अम्बालिका का विवाह हस्तिनापुर के राजा विचित्रवीर्य से करवा दिया था। इन्हीं अम्बिका और अम्बालिका ने आगे चलकर राजकुमार धृतराष्ट्र और राजकुमार पांडु को जन्म दिया था। अम्बा ने विचित्रवीर्य से विवाह करने से इनकार करते हुए भीष्म से विवाह करने की इच्छा जतायी, जो पहले ही विवाह न करने की भीष्म प्रतिज्ञा ले चुके थे। अगले जन्म में यही अम्बा,भीष्म की मृत्यु का कारण बनी।
ये भी पढ़ें - देश में सबसे ज्यादा 4 अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट वाला राज्य, जानें चारों एयरपोर्ट के नाम
आधुनिक युग में बनारस
हिन्दुस्तानी सास्त्रीय संगीत का बनारस घराना इसी वाराणसी में जन्मा और विकसित हुआ है। भारत के कई कवि, लेखक, संगीतज्ञ और दार्शनिक अपने जीवनकाल में कभी न कभी वाराणसी में रहे हैं। उनमें कबीर, त्रैलंग स्वामी, शिवानंद स्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया व उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम प्रमुख हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने काशी में रामचरितमानस लिखा था और भगवान गौतम बुद्ध ने काशी के पास सारनाथ में अपना पहला प्रवचन दिया था। वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय जैसे बड़े विश्वविद्यालय हैं।
जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति
वाराणसी में ही विश्व प्रसिद्ध मणकर्णिका घाट भी है, जहां पर 24 घंटे चिताएं जलती हैं। अन्यथा हिंदू मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं होता। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु वाराणसी में होती है और अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर होता है उसकी आत्मा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति पा जाता है।
वाराणसी के मंदिर
काशी में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्वनाथ भी हैं। इस जगह पर काशी विश्वनाथ मंदिर है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ही यहां देवी अन्नपूर्णा का महत्वपूर्ण मंदिर है, जिसे 'अन्न की देवी ' माना जाता है। काशी का संकटमोचन मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। दुर्गा मंदिर के रास्ते पर असी नदी धारा के निकट भगवान हनुमान का यह प्रसिद्ध मंदिर है। गोस्वामी तुलसीदास ने इस मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर को 'बंदर' मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यहां पर बहुत सारे बंदर परिसर के अंदर रहते हैं। यहां पर भारत माता मंदिर भी है। साल 1936 में बने इस मंदिर का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। यहां संगमरमर से भारत माता का मानचित्र बनाया गया है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। वाराणसी (Cities News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।
खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें
आज का मौसम, 18 January 2025 IMD Winter Weather Forecast LIVE: उत्तर भारत में गलन भरी ठंड-घने कोहरे और शीतलहर का कहर, अब बारिश बढ़ाएगी मुसीबत
मथुरा में साइबर अपराधी के साथ मुठभेड़, पैर में गोली लगने के बाद गिरफ्तार
Ghaziabad: पुलिस मुठभेड़ में दो बदमाश घायल होने के बाद गिरफ्तार, अवैध हथियार और गोकशी का सामान बरामद
भोपाल रेल मंडल से जाने वाली 8 ट्रेनें रद्द, वैष्णो देवी-कटरा और कश्मीर जाना होगा मुश्किल, देखें कैंसिल ट्रेनों की लिस्ट
Rajasthan Aaj Ka Mausam: राजस्थान में सर्दी का कहर, कोहरे से जनजीवन प्रभावित; कोल्ड डे का अलर्ट
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited