गंगा के मायके में : विष्णुप्रयाग जहां भगवान विष्णु ने नारद की तपस्या से खुश होकर दिए थे दर्शन

Ganga River देश के करोड़ों हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है। गंगा की यात्रा नाम की इस सीरीज के जरिए हम गंगा के मायके तक जा रहे हैं, जहां से गंगा की छोटी-छोटी धाराएं निकलती हैं और पतित पावनी गंगा को उसका स्वरूप मिलता है। इसी कड़ी में चलते हैं विष्णुप्रयाग, जहां अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम होता है।

Vishnuprayag.

गंगा के मायके में - विष्णुप्रयाग

विष्णुप्रयाग : गंगा नदी भारत को जीवन देती है। इसीलिए इसे नदी नहीं, बल्कि मां का दर्जा हासिल है। गंगा को गंगा बनाने में कई छोटी-छोटी धाराएं अहम भूमिका निभाती हैं। कई बड़ी नदियां भी गंगा में आकर समा जाती हैं। गंगा के प्रवाह में पंचप्रयाग प्रमुख हैं। इन पाचों जगहों यानी पांच प्रयागों पर अलग-अलग धाराएं मिलती हैं और आगे चलकर गंगा को उसका स्वरूप देती हैं। गंगा के अस्तित्व को समझने के लिए हमें गंगा की यात्रा करनी पड़ेगी। तो चलिए हमारे साथ, पतित पावनी गंगा की इस अद्भुत यात्रा पर। यात्रा के इस पड़ाव में चलते हैं विष्णुप्रयाग (Vishnuprayag) और जानते हैं यहां की खासियत।

दो प्रमुख नदियों का संगम

विष्णुप्रयाग गंगा की यात्रा का एक बहुत ही अहम हिस्सा है। यहीं पर धौलीगंगा (Dhauliganga) और अलकनंदा (Alaknanda) नदी का मिलन होता है। जोशीमठ से करीब 25 किमी पहले रैनी नामक जगह पर धौलीगंगा में ऋषिगंगा नदी आकर समाती है। धौलीगंगा नदी के किनारे बसे तपोवन में गर्म पानी के कई चश्मे (Hot Springs) हैं। समुद्र तल से 5070 मीटर की ऊंचाई पर नीति पास (Niti Pass) से आने वाली धौलीगंगा नदी यहां 94 किमी की यात्रा के बाद अलकनंदा में समा जाती है। यहां से आगे अलकनंदा की यात्रा जारी रहती है। विष्णुप्रयाग उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर एक छोटा सा कस्बा है। यहां एक सस्पेंशन ब्रिज भी है, जिसका इस्तेमाल करके स्थानीय निवासी और यात्री अलकनंदा नदी के तेज बहाव के दोनों ओर आते-जाते हैं।

कहां है विष्णुप्रयाग

विष्णुप्रयाग उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ (Joshimath) के पास है। यह बदरीनाथ रूट (Badrinath Route) पर नंदप्रयाग और जोशीमठ के बीच में स्थित है। यह जोशीमठ बस स्टैंड से करीब 15 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) 58 पर है। यहां की खूबसूरती पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींच लाती है। यहां आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु यहां के मशहूर विष्णु मंदिर (Vishnu Temple) में दर्शन कर सकते हैं। विष्णु मंदिर अलकनंदा और धौलीगंगा के संगम के ठीक ऊपर एक छोटी सी पहाड़ी पर मौजूद है। चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) करने वाले कई श्रद्धालु यहां विष्णुप्रयाग में संगम पर डुबकी लगाते हैं।

धार्मिक मान्यता क्या है?

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव ऋषि नारद ने यहां पर भगवान विष्णु की घोर तपस्या की थी। देव ऋषि नारद की इक घोर तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद को आशीर्वाद दिया। यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि विष्णुप्रयाग से करीब दो किमी दूर स्थित विष्णु मंदिर वही जगह है, जहां भगवान ने नारद को दर्शन दिए थे।

आसपास और क्या है?

जैसा कि हमने ऊपर बताया विष्णुप्रयाग चारधाम यात्रा मार्ग में है। यहां से जोशीमठ सिर्फ 15 किमी दूर है। इसके अलावा यहां से सिर्फ 21 किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है, जहां आप रंग-बिरंगे अद्भुत फूलों का संसार देख सकते हैं। यहां पास में ही कागभुसंडी ताल भी है, जिसमें आपसपास की पर्वत श्रंखलाओं की परछाई बड़ी ही मनमोहक नजर आती है। बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, औली, नंदप्रयाग, मलारी, कौरी पास ट्रैक भी यहां से पास में ही हैं। यहां राफ्टिंग और कयाकिंग जैसे एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी लुत्फ लिया जा सकता है।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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