कोलकाता रेप केस के बाद 'रात के साथी' की शुरुआत, नाईट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा की बड़ी पहल
West Bengal: कोलकाता रेप और हत्या के मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग ने नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के लिए 'रात के साथी' कार्यक्रम शुरू किया। इस कार्यक्रम से तहत रात में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाई गई है।

नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए रात के साथी कार्यक्रम
West Bengal: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद से देश के लोगों में आक्रोश भरा हुआ है। अन्य राज्यों और जिलों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं। लड़कियों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर कब रोक लगेगा। कब वह घरों से बिना डरे बाहर निकल पाएंगी। रात का अंधेरा कब तक उन्हें असुरक्षित महसूस कराएगा, इस प्रकार के कई सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों का कोई जवाब नहीं है। इस बीच नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षा और बढ़ाते हुए पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने एक कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम का नाम 'रात के साथी - हेल्पर्स ऑफ द नाइट' है।
रात के साथी - हेल्पर्स ऑफ द नाइट कार्यक्रम
पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए क्रूर अपराध को देखते हुए अन्य हेल्थ केयर वर्कर के लिए सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं के लिए 'रात के साथी - हेल्पर्स ऑफ द नाइट' कार्यक्रम की शुरुआत की गई। एक अधिकारी ने बताया कि ये कार्यक्रम उन मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों और हॉस्टल के लिए है, जहां इस प्रकार की व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही महिलाओं के लिए शौचालय सहित अलग कमरे भी स्थापित किए जाएंगे। नाइट शिफ्ट के दौरान महिला हेल्थ केयर वर्कर की सुरक्षा के लिए स्वयंसेवकों को ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, सीसीटीवी के माध्यम से महिलाओं के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान की जाएगी।
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विशेष मोबाइल ऐप का किया जाएगा विकास
महिला कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए अलार्म उपकरणों के साथ एक विशेष मोबाइल ऐप का विकास करने की तैयारी भी की जा रही है। इसे कामकाज करने वाली महिलाओं को अनिवार्य रूप से डाउनलोड करना होगा। इस ऐप को स्थानीय पुलिस थानों और उनके नियंत्रण कक्ष से जोड़ा जाएगा। ताकि महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
संगठनों को पूरे दिन के कार्यक्रम की व्यवस्था इस प्रकार करने की सलाह दी गई है, जिसमें महिलाएं रात के समय जोड़े या टीमों में काम करें। ताकि इससे एक-दूसरे की गतिविधियों के बारे में जागरूकता सुनिश्चित करने में सहायता मिले। इसके साथ ही कहा गया है कि महिलाओं को रात्रि ड्यूटी से बचाया जाना चाहिए।
(इनपुट - भाषा)
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