Ayodhya 84 Kosi Parikrama: क्या होती है अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा, भक्तों को मिलती हैं 84 लाख योनियों से मुक्ति

Ayodhya 84 Kosi Parikrama: हिन्दू धर्म मे 84 कोसी परिक्रमा का बहुत महत्व है। 84 कोसी परिक्रमा के बारे में आप सब सुना होगा। आज इस लेख के जरिए आप को पता चलेगा कि 84 कोसी परिक्रमा क्या होती है, क्यों होती है और हिन्दू धर्म में इसका इतना महत्व क्यों है।

Ayodhya 84 Kosi Parikrama

84 कोस की परिक्रमा करने से मनुष्य को 84 योनियों से मुक्ति मिल जाती है।

Ayodhya 84 Kosi Parikrama: हिन्दू धर्म मे 84 कोसी परिक्रमा का बहुत महत्व है। माना जाता है कि भगवान राम की नगरी 84 कोसों में फैली हुई थी और जो भी व्यक्ति इस 84 कोसी की परिक्रमा कर लेता है उसे 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। ये भी मान्यता है की 84 कोसी परिक्रमा करने वालों को सभी धर्म कर्म से ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। आइये जानते है कि क्या है 84 कोसी परिक्रमा....

बता दें अयोध्या में तीन तरह की परिक्रमाएं होती हैं। पहली परिक्रमा 5 कोस की होती है जो करीब 15 किलोमीटर लंबी होती है। दूसरी परिक्रमा 14 कोस की होती है जो करीब 42 किलोमीटर लंबी होती है और तीसरी परिक्रमा 84 कोस की होती है जो करीब 275 किलोमीटर लंबी होती है। चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग अयोध्या समेत पांच जिलों में 275.35 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसमें अयोध्या के साथ आंबेडकर नगर, बाराबंकी, बस्ती और गोंडा जिले शामिल हैं। जानकारी के अनुसार, 84 कोसी परिक्रमा उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है, जो भगवान राम के राज्य से जुड़े हुए हैं। 84 कोसी परिक्रमा को अवध क्षेत्र की परिक्रमा भी कहते है। 84 कोसी परिक्रमा 24 दिन तक चलती है।

मान्याताओं के अनुसार, 84 कोस की परिक्रमा करने से मनुष्य को 84 योनियों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत त्रेतायुग में हुई थी। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से लगभग 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर पुत्रयष्ठी यज्ञ किया था। इसके बाद उन्हें अपनी तीन पत्नियों से चार पुत्रों का वरदान मिला। 84 कोस परिक्रमा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां यज्ञ किया गया था। उस स्थान को अब बस्ती में मखौरा के रूप में जाना जाता है।

पुत्र यज्ञ के लिए दशरथ ने करीब 22 दिनों में पैदल ही यात्रा पूरी की थी। इसमें करीब 25 पड़ाव के साथ विश्राम के लिए कई जगहे हैं। दो छोटी परिक्रमा हर साल हजारों भक्तों द्वारा पूरी की जाती हैं, लेकिन 84 कोसी परिक्रमा कम भक्त ही करते है। 84 कोसी परिक्रमा कार्तिक माह में की जाती है। परिक्रमा करने वाले भक्त दिन में केवल एक बार अनाज ग्रहण कर सकते हैं और बाकी समय फल खाते हैं। परिक्रमा का पहला पड़ाव बस्ती के रामरेखा मंदिर होता है। इसके बाद अगले दो पड़ाव हनुमानबाग और अयोध्या में श्रृंग ऋषि आश्रम है।

सरकार ने साल 2021 में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 227 बी घोषित कर दिया था। अयोध्या में करीब 80 किलोमीटर रिंग रोड और 275.35 किलोमीटर चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग नेशनल हाइवे बनाया जा रहा है। विकास कार्य पूरा होने के बाद पर्यटक अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा फोरलेन मार्ग से कर सकेंगे। इस मार्ग के विकास के लिए 3350 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के बीच में पड़ने वाले पौराणिक स्थलों को पर्यटकों के लिए विकसित किया जा रहा है। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग में हर 10 किलोमीटर के अंतराल पर एक-एक विश्रामालय होगा। इसके साथ ही श्रद्धालुओं को भोजन प्रदान करने की व्यवस्था है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | शहर (cities News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited