गर्मी के नौतपा से क्या है चिल्लई कलां का रिश्ता, जानें कैसे तड़पाता है Chillai Kalan

जिस तरह से गर्मियों में नौतपा के 9 दिन भीषण गर्मी लेकर आते हैं, उसी तरह सर्दियों में चिल्लई कलां के 40 दिन कश्मीर में प्रचंड ठंड लेकर आते हैं। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में भीषण बर्फबारी भी होती है और जनजीवन काफी प्रभावित होता है। चलिए जानते हैं चिल्लई कलां के बारे में विस्तार से-

चिल्लई कलां क्या बला है?

गर्मियों में आपने नौतपा के बारे में बहुत सुना होगा। हिंदी महीनों के अनुसार ज्येष्ठ महीने के 9 दिनों को नौतपा कहा जाता है। इस दौरान सूरज रोहिणी नक्षत्र में होता है और सूरज की किरणें सीधी पृथ्वी पर पड़ती हैं। इसकी वजह से इन 9 दिनों में चरम मौसम देखने को मिलता है। प्रचंड गर्मी से लोग परेशान रहते हैं। धूप जैसे जला देने को आतुर रहती है। इस दौरान लू यानी हीट वेव के चलते कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। ये तो बात हुई गर्मी में आने वाले नौतपा की। क्या आप चिल्लई कलां के बारे में जानते हैं? नहीं जानते तो बता देते हैं कि चिल्लई कलां का संबंध सर्दियों से है। चलिए जानते हैं -

40 दिन का चिल्लई कलां

दरअसल चिल्लई कलां भीषण सर्दी के 40 दिन होते हैं। जिस तरह से नौतपा के 9 दिन भीषण गर्मी पड़ती है, उसी तरह चिल्लई कलां के 40 दिन मौसम बेहद ठंडा होता है। विशेषतौर पर कश्मीर में यह खास मायने खता है। वहां इसका उच्चारण तिजल-कलन के रूपे में होता है। सर्दियों के दौरान कश्मीर में 40 दिन के कठोर मौसम के लिए स्थानीय लोगों ने इसे यह नाम दिया है। यह सर्दियों का सबसे ठंडा समय होता है। इसकी शुरुआत हर साल 21 दिसंबर को होती है और 29 जनवरी तक चिल्लई कलां चलता है।

20 दिन का चिल्ला खुर्द

चिल्लई कलां के बाद 20 दिन तक चिल्ला-ए-खुर्द चलता है। 30 जनवरी से 18 फरवरी तक चिल्ला-ए-खुर्द चलता है और फिर इसके बाद 10 दिन का चिल्ला-ए-बच्चा होता है। जिसमें चिल्ला-ए-खुर्द का मतलब 40 दिन के चिल्लई कलां का छोटा रूप होता है और चिल्ला-ए-बच्चा के मतलब बेबी 40 होता है। चिल्ला-ए-बच्चा 19 से 28 फरवरी तक होता है।

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