मोहन भागवत से विराट कोहली तक, बहुत लंबी है वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के भक्तों की लिस्‍ट, जानें क्‍यों हैं फेमस

Who is Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। महाराज के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था। इनके पिता शंभू पांडेय और माता रामा देवी दोनों के साथ वे कानपुर में ही रहते थे।

प्रेमानंद महाराज।

Who is Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज को आजकल सोशल मीडिया पर खूब देखा और सुना जा रहा है। उनके सत्‍संग और उनकी वाणी सुनने के लिए देश विदेश से लोग वृंदावन पहुंचते हैं। लगभग रोज कोई न कोई शख्सियत प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम में उनसे एकांतिक वार्तालाप करने के लिए पहुंचता है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और फिर उसके बाद रामानंद सागर कृत रामायण में जामवंत का किरदार निभाने वाले श्रीकांत राजशेखर उपाध्‍याय ने प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन प्राप्‍त किए। दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए। वैसे हम हम आपको बता दें कि, प्रेमानंद जी महाराज मथुरा के राधारानी मंदिर में सत्‍संग करते हैं और इनके कई भक्‍त हैं जिनकी लिस्‍ट काफी लंबी है। गौरतलब है कि, महाराज की दोनों किडनी फेल हैं और उनका दावा है कि, राधा नाम के आश्रय उनमें ऊर्जा आती है। आज हम आपको प्रेमानंद जी से जुड़ी और कई बातें बताएंगे:

कौन हैं प्रेमानंद जी महाराज

प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। महाराज के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था। इनके पिता शंभू पांडेय और माता रामा देवी दोनों के साथ वे कानपुर में ही रहते थे। प्रेमानंद जी से पहले उनके दादा और पिता भी सन्यास ग्रहण कर चुके थे। जिस समय वे पांचवीं कक्षा में अध्‍यनरत थे तभी उनका मन प्रभु श्रीकृष्ण की भक्ति में रम गया और 13 साल की आयु में उन्होंने ब्रह्मचर्य धारण किया। जब वे सन्यासी जीवन में आए तो उनका नाम आरयन ब्रह्मचारी पड़ा। बाद में उन्‍होंने वाराणसी में सन्‍यास का पालन किया। भिक्षा की जगह वे मन में भोजन की इच्छा लेकर बैठते और तप करते थे। भोजन न मिलने की स्थिति में वे गंगाजल पीकर रहते थे।

इस तरह पहुंचे वृंदावन

एक बार प्रेमानंद महाराज की मुलाकात एक अन्‍य संत से हुई। उन्‍होंने प्रेमानंद जी को श्री हनुमत धाम यूनिवर्सिटी में श्रीराम शर्मा की ओर से दिन में श्री चैतन्य लीला और रात में रासलीला मंच के आयोजन में आने का आमंत्रण दिया, जिसके बाद वे वहां पहुंचे। चैतन्य लीला और रासलीला देखकर उनकी श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और भी प्रगाढ़ हो गई। उन्‍हीं संत ने प्रेमानंद जी को वृंदावन चलने की सलाह दी। वृंदावन आकर वे भक्ति मार्ग में आए और राधा वल्लभ संप्रदाय से जुड़ गए। जहां वे महाराज गौरांगी शरण महाराज के शिष्‍य बने और उनसे दीक्षा ली।

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