कौन हैं अरुण योगीराज, जिन्‍होंने तराशी 'रामलला' की सजीव प्रतिमा, पीएम मोदी भी कर चुके इनकी तारीफ

Who is Arun Yogiraj: रामलला की मूर्ति के शिल्‍पकार अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं। बता दें कि उनकी कई पीढि़यां इसी कार्य से जुड़ी हुई हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी भी एक जाने-माने मूर्तिकार हैं।

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बनाई अरुण योगीराज का प्रोफाइलराममंदिर और अरुण योगीराज।

Who is Arun Yogiraj: अयोध्‍या धाम आज अपने प्रभु श्रीराम को उनके भव्‍य महल में प्रतिष्ठित होते देख आह्लाद के अनहद से परिपूर्ण है। जहां दुनिया में रामनाम का डंका बज रहा है तो वहीं, अयोध्‍या में हनुमान गढ़ी से लेकर सरयू तक..आकांक्षाएं हिलोरें ले रही हैं। भौतिक भवनों से लेकर मानवमानस के द्वार वंदनवार से सुसज्जित हो चुके हैं। प्रत्येक हृदय में अयोध्या जी विराज चुकी हैं तो वहीं विश्‍व में रामोत्सव-लोकोत्सव एकरूप ले चुके हैं। लोगों के हृदय में भाव है कि, 'रामलला की प्राण-प्रतिष्‍ठा का ये उत्सव शुद्ध सनातन संस्कृति के पुनरोदय का है।' इन सब प्रसंगों के बीच एक चीज आकर्षण का केंद्र बन गई है और प्रभु श्रीराम की मूर्ति। प्रभु श्रीराम जो..हम सबके आदर्श, आराध्‍य, अर्चक, अनुगामी और आराधक हैं जिनका जीवनदर्शन लोकमंगल की भावना से परिपूर्ण है। रामलला की ये मूर्ति चर्चा में इसलिए है कि क्‍योंकि इस मूर्ति को बेहद करीने से तराशा गया है जिसके शिल्‍पकार हैं अरुण योगीराज। म‍ूर्तिकला में पांरगत अरुण कौन हैं, उनका प्रोफाइल क्‍या है और उन्‍होंने कैसे इस सजीव मूर्ति को तराशा...आइए जानते हैं:

कौन हैं अरुण योगीराज ?

रामलला की मूर्ति के शिल्‍पकार अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले हैं। बता दें कि उनकी कई पीढि़यां इसी कार्य से जुड़ी हुई हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी भी एक जाने-माने मूर्तिकार हैं और उनके दादा बसवन्ना शिल्पी ने वाडियार घराने महलों में अपनी कला दिखाई थी। अरुण योगीराज का संबंध किसी आम परिवार से नहीं बल्कि मैसूर राजा के कलाकारों के परिवार से संबंध है।

पहले किया MBA और फिर बने मूर्तिकार अरुण योगीराज पर रिसर्च करने पर पता चलता है कि, वे कभी पिता और दादा की तरह मूर्तिकार नहीं बनना चाहते थे। यही वजह है कि, उन्‍होंने 2008 में मैसूर यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई की और प्राइवेट कंपनी में नौकरी की। चूंकि उनके दादा पहले ही भविष्‍यवाणी कर चुके थे कि वे (अरुण) मूर्तिकार ही बनेंगे..आगे चलकर हुआ भी यही। अरुण एक मूर्तिकार बने और अपनी मूर्तिकला से एक बेहतर शिल्‍पकार बने।

अरुण की मूर्तियों पीएम मोदी भी फैन

गौरतलब है कि, अरुण योगीराज ने सिर्फ अयोध्‍या के रामलला की मूर्ति ही नहीं बल्कि और भी कई मूर्तियां बनाई हैं। अरुण इंडिया गेट के पास स्थापित सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की मूर्ति बना चुके हैं। केदारनाथ में स्‍थापित भगवान आदि शंकराचार्य की 12 फीट की मूर्ति भी उन्‍होंने ही बनाई है। इसके साथ-साथ मैसूर में स्थापित भगवान हनुमान की 21 फीट की मूर्ति भी अरुण द्वारा बनाई हुई ही है। उनकी शिल्‍पकला और मूर्तिकला की तारीफ कई बार पीएम मोदी भी कर चुके हैं। बता दें कि, रामलला की मूर्ति अरुण ने शालिग्राम पत्‍थर से बनाई है, जिसकी खासियत है कि वो पत्‍थर जलरोधी है और रोली-चंदन से पत्‍थर की चमक फीकी नहीं पड़ती।

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शाश्वत गुप्ता author

पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्‍टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्‍युनिकेशन से Advance PG डिप्लोमा करने के...और देखें

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