देश में पहली बार समुद्र के नीचे बन रही रेल टनल, जानें कब पूरा होगा काम, कब चलेगी ट्रेन

रेल का सुहाना सफर तो आपने किया ही होगा। सुहाने सफर के साथ अब भारतीय रेलवे तेज सफर भी करवाती है। इस सफर को और तेज करने के लिए बुलेट ट्रेन का काम भी तेजी से चल रहा है। इस बीच अब देश में पहली Under Sea Rail Tunnel बनाई जा रही है।

first undersea rail tunnel

बन रही देश की पहली अंडर सी टनल

भारतीय रेल दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है। इतने बड़े देश को जोड़ने में रेलवे की बड़ी अहम भूमिका है। यह देशवासियों की लाइफलाइन है। हालांकि, हाल के दिनों में हुए कुछ रेल हादसों ने जरूर भारतीय रेलवे की साख को दागदार किया है। लेकिन फिर भी रेलवे देश में सबसे ज्यादा पॉपुलर यातायात साधन है। जमीन पर और हवा में पुलों के ऊपर से गुजरने वाली ट्रेन में आपने सफर किया होगा। लेकिन जल्द ही आप समुद्र के अंदर भी रेल में सफर कर पाएंगे। जी हां, भारत में ही। देश की पहली बार समुद्र के नीचे रेलवे टनल (India's First Under Sea Tunnel) का काम शुरू हो चुका है। चलिए इस बारे में और विस्तार से जानते हैं।

कहां बन रही अंडर सी टनल

यह अंडर सी टनल मुंबई में बुलेट ट्रेन के लिए बन रही है। अहमदाबाद से मुंबई के बीच बन रहे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का काम गुजरात के हिस्से में तेजी से पूरा हो रहा है, जबकि महाराष्ट्र में इसकी रफ्तार उतनी तेज नहीं है। हालांकि, नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में अंडर ग्राउंड बुलेट ट्रेन स्टेशन बना रहा है। अब अंडर ग्राउंड टनल का काम ठाणे क्रीक के पास पहुंच गया है। यहीं से बुलेट ट्रेन की टनल समुद्र के नीचे बनेगी।
ठाणे क्रीक के पास से बुलेट ट्रेन की टनल समुद्र के नीचे जाएगी और यह भारत की पहली अंडर सी टनल होगी। NHSRCL के इंजीनियरों ने नवी मुंबई के घनसोली में एडिशनली ड्रिवन इंटरमीडिएट टनल (ADIT) पर अपनी तरह का अनोखा T इंटरसेक्शन बनाया है। यहां पर बुलेट ट्रेन की टनल 110 मीटर नीचे होगी और यह 21 किमी लंबी टनल का सबसे गहना प्वाइंट भी होगा।

ब्लास्ट करके बनाई जा रही टनल

यहां टनल का एंट्री प्वाइंट पहाड़ पर है, जो हरे-भरे पेड़ों से पटा हुआ है। यहां से एक रोड ADIT को जोड़ता है। ADIT एंट्री और एग्जिट के तौर पर काम करता है और सुरंग के लंबवत है। इसका एक हस्सा ठाणे क्रीक के नीचे बीकेसी की ओर जाता है, जबकि दूसरा ठाणे में शिलफाटा तक जाता है। एक महीने से भी कम समय में बीकेसी की तरफ 120 मीटर और शिलफाटा की ओर 110 मीटर सुरंग खोद दी गई है। इसके लिए इंजीनियरों ने जिलेटिन एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल करके 218 ब्लास्ट किए। ADIT के लिए 314 ब्लास्ट किए गए।
NHSRCL के इंजीनियरों का कहना है कि टनल धरती की सतह से 25-30 मीटर नीचे ठाणे क्रीक के नीचे होगी। उनका कहना है कि हम इस काम को बड़ी ही सावधानी से न्यू ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड़ (NATM) के जरिए कर रहे है, क्योंकि यहां आसपास बिल्डिंगें और अन्य संरचनाएं हैं। भारी बारिश के बावजूद यहां हमारा काम जारी है। NHSRCL अब अप और डाउन दोनों लाइनों के लिए सिंगल ट्यूब रेल सुरंग बना रहा है। उनका कहना है कि उन्हें अभी तक इस काम में ज्यादा परेशानी सामने नहीं आई है। वह रोज 4 ब्लास्ट कर रहे हैं।

टनल के अंदर ऑक्सीजन की व्यवस्था

ADIT के जरिए दो बहुत ही बड़ी पीले रंग की मोटर से चलने वाली ट्यूब टनल में ताजा हवा पहुंचाती हैं। इससे यहां दो शिफ्ट में काम करने वाले 150 से ज्यादा मजदूरों को काम करने में परेशानी नहीं होती। हर बार जब भी ब्लास्ट किया जाता है तो सबसे पहले रबर ट्यूब की हवा निकाली जाती है। हाई पावर लाइट्स को बंद करके मजदूरों को टनल से बाहर निकाला जाता है। ब्लास्ट के बाद टनल के अंदर वापस ताजा हवा भेजी जाती है। हर बार ब्लास्ट के बाद कुछ ट्रेन्ड लोगों को टनल के अंदर भेजा जाता है, यह लोग सुनिश्चत करते हैं कि कहीं कोई खतरा न हो, हां से टनल धंस न रही हो या कहीं कोई पत्थर न लटका हो।

इसी साल बनेगी अंडर सी टनल

कहा जा रहा है कि इस टनल का काम इसा साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। लगभग इसी समय तीन बड़ी टनल बोरिंग मशीन (TBM) घनसोली, विखरोली और बीकेसी की साफ्ट में पहुंचेंगी और टनलिंग का काम शुरू करेंगी। सूत्रों के अनुसार पहली TBM ठाणे क्रीक के पास घनसोली में सुरंग में जाएगी और अंडर सी टनल का काम शुरू होगा।
कुल 508 किमी लंबे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के 352 किमी लंबा मार्ग जो गुजरात में है वह 2027 तक पूरा होकर खुल जाएगा। जबकि सूरत से बिलिमोरा के बीज 50 किमी का हिस्सा अगस्त 2026 में चालू हो जाएगा। अहमदाबाद से मुबई तक बुलेट ट्रेन का पूरा सफर 2028 के अंत तक शुरू हो जाएगा।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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