कोर्ट के सामने आफताब का कबूलनामा क्यों नहीं बन पाएगा साक्ष्य, यह है वजह

साकेत कोर्ट में आफताब के कबूलनामे को क्या साक्ष्य के तौर पर दिल्ली पुलिस पेश कर पाएगी। इसे लेकर जानकारों का क्या कहना है।

श्रद्धा वाकर मर्डर केस का आरोपी है आफताब

श्रद्धा वाकर मर्डर केस में आरोपी आफताब को मंगलवार को दिल्ली की अदालत में पेश किया गया। बताया जा रहा है कि जज के सामने उसने बयान दिया कि अधिक गुस्से की वजह से उसने श्रद्धा को मार डाला किसी तरह की योजना नहीं थी। लेकिन आफताब के वकील ने कहा कि उसने आरोप कबूल नहीं किया है। अगर यह भी मान भी लिया जाए कि आफताब ने जज के सामने अपने गुनाह को कबूल किया तो क्या उसे सजा मिल सकेगी। इस सवाल के जवाब में जानकारों का कहना है कि नहीं। दरअसल जज के सामने आफताब का कबूलनामा रिमांड की अवधि का है ना कि ट्रायल की अवधि का। अगर ट्रायल के दौरान वो उसी तरह का कबूलनामा जज के सामने दे तो उसे साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।

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श्रद्धा के शव का ना मिलना बड़ी बाधा

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आफताब पूनावाला ने पुलिस को बताया है कि उसने 18 मई को श्रद्धा वाकर की हत्या की थी। लेकिन शव के ना मिलने की वजह से पुलिस को अब यह साबित करना होगा कि श्रद्धा वाकर 18 मई के बाद जीवित नहीं थी। इसके बाद पूनावाला के बयान के साथ बरामद मानव अवशेषों को श्रद्धा के रूप में स्थापित किया जाना है। पुलिस उसके पिता और भाई का डीएनए मैच कराने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट आने की उम्मीद है।हत्या का कोई हथियार नहीं है। क्योंकि पूनावाला ने दावा किया कि उसने 26 वर्षीय का गला घोंट दिया था। पुलिस ने शरीर के टुकड़े-टुकड़े करने के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरण बरामद कर लिए हैं, लेकिन छह महीने बाद उनसे फोरेंसिक सबूत मिलने की उम्मीद कम है। पुलिस का ध्यान उस बाथरूम पर गया जहां लाश को 35 टुकड़ों में काटा गया था। सूत्रों ने कहा कि टाइलें तोड़ने के बाद उन्हें खून के सबूत मिले जिसे डीएनए जांच के लिए भी भेजा गया है।

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