बेशर्मी से उल्लंघन...निठारी कांड में जांच एजेंसियों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, इस वजह से कोली और पंढेर हुआ बरी

निठारी कांड की जांच को लेकर निराशा व्यक्त करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पाया कि जांच में गड़बड़ी हुई और साक्ष्य संग्रह के बुनियादी नियमों का 'बेशर्मी से उल्लंघन' किया गया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष की विफलता, जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा 'जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं' है।

निठारी कांड में दोनों आरोपी बरी

निठारी कांड में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इन आरोपियो के खिलाफ पुख्ता सबुत पेश करने में जांच एजेंसी नाकाम रही है। इस सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट कई सख्त टिप्पणियां की हैं।
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'जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं'

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निठारी कांड की जांच को लेकर निराशा व्यक्त करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पाया कि जांच में गड़बड़ी हुई और साक्ष्य संग्रह के बुनियादी नियमों का 'बेशर्मी से उल्लंघन' किया गया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष की विफलता, जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा 'जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं' है। सैयद आफताब हुसैन रिजवी और अश्वनी कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा- "इस मामले में साक्ष्य के आकलन पर, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक आरोपी को मुकदमे में निष्पक्ष सुनवाई की दी गई गारंटी के मद्देनजर, हमने पाया कि अभियोग पक्ष आरोपी एसके और पंढेर का अपराध, परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित एक मामले के तय मानकों पर उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा।"
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