Ankita Bhandari Murder: SC ने उत्तराखंड सरकार से मांगा दो हफ्ते में जवाब, आरोप- VIP को बचाने के लिए SIT ने की जांच में ढिलाई!
Ankita Bhandari murder case: अंकिता भंडारी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है, नोटिस सीबीआई जांच के लिए जारी किया गया है, पीड़ित का परिवार SIT जांच से संतुष्ट नहीं है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई
याचिका में उत्तराखंड सरकार की SIT की जांच पर उठाए सवाल
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याचिका में एसआईटी के जांच के तरीके में कई खामियां बताई गई हैं, जिससे मुख्य आरोपी वीआईपी को बचा लिया गया।
1. अंकिता ने अपनी मौत से पहले अपने ब्वॉयफ्रैंड को व्हाट्सएप पर बताया था कि वो सारी हुई है। रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य किसी वीआईपी गेस्ट को एक्स्ट्रा सर्विस यानी कि सेक्स करने के लिए दबाव बना रहा था। लेकिन इतने महत्वपूर्ण सबूत को न ही एसआईटी ने न अपनी चार्जशीट में और न ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में जिक्र किया।
2. एसआईटी ने बड़ी चालाकी से क्राइम सीन रिजॉर्ट के कमरे से बदलकर नहर को बता दिया जहां से शव बरामद हुआ। जबकि इस मामले के गवाह अभिनव ने पुलिस को बताया था कि अंकिता को 18 सितंबर को रिजॉर्ट के कमरे में बंद कर दिया गया था और अंदर से उसके चिल्लाने की आवाजें आ रही थी।
3. सत्ताधारी पार्टी की स्थानीय विधायक ने 23 सितंबर की रात भीड़ इकट्ठी करके रिजॉर्ट जो कि क्राइम सीन था उसमें आग लगवा दी। स्थानीय पुलिस क्राइम सीन की हिफाजत करने में असफल रही। पुलिस की इस नाकामी को छिपाने के लिए एसआईटी ने रिकॉर्ड में दिखा दिया कि उसी दिन 3 बजे क्राइम सीन पुलिस ने विजिट किया था।
4. अंकिता के बिस्तर पर जो चादर था उसे भी पुलिस ने कब्जे में नहीं लिया, क्योंकि 20 सितंबर को जब मृतका के पिता अंदर गए तो चादर वहीं मौजूद था। इस बात पर भी स्पष्टता नहीं है कि एसआईटी ने कमरे की जांच भी की।
5. 18 सितंबर की रात अंकिता को रिजॉर्ट से अगर बाहर ले जाकर मारा गया तो क्या ये नाटक रचा गया कि हत्या की रात वो कमरे में मौजूद थी। हालांकि जब एक स्टाफ अंकिता के लिए खाने लेकर जाने लगा तो अंकित ने उससे प्लेट छीन ली थी। और बयान के मुताबिक प्लेट में खाना जस का तस था।
6. एसआईटी ने कॉल डेटा रिकॉर्ड को चार्जशीट में शामिल ही नहीं किया और न ही अंकिता का मोबाइल फोन रिकवर किया। जबकि कॉल डेटा रिकॉर्ड से आरोपी और वीआईपी के बीच हुई बातचीत से अहम सुराग हाथ लग सकते थे।
7. 23 सितंबर को अंकिता हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार किया गया लेकिन एसआईटी ने हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता ही नहीं समझी और सीधे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
8. एसआईटी ने आरोपियों के साथ मिलीभगत करके रिजॉर्ट का सीसीटीवी फुटेज ही गायब कर दिया और चार्जशीट में ये कह दिया कि कैमरे खराब थे।
9. इस मामले के अहम चश्मदीद अभिनव के बयान को चार्जशीट में शामिल ही नहीं किया हुआ। जिसने 18 सितंबर की रात अंकिता को जबरदस्ती रिजॉर्ट से बाहर ले जाते हुए देखा था।
10. रिजॉर्ट को ढहाने का आदेश खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने दिया था। इससे ये प्रतीत होता है कि सबूतों को मिटाने के लिए लिए उच्च स्तर पर गहरी साजिश रची गई। रिजॉर्ट को ढहाने के बारे में जानकारी खुद उत्तराखंड के सीएम और राज्य पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट से दी थी।
11. एसआईटी ने चार्जशीट में क्राइम सीन से जुटाए गए सबूतों के बारे में कोई जिक्र नहीं किया है। मसलन रिजॉर्ट के जिसे कमरे में पीड़िता को हत्या से पहले जबरन बंद रखा गया।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कई पहलुओं को किया नजरंदाज
1. याचिकाकर्ता ने कहा है कि हाईकोर्ट इस घटना के मुख्य आरोपी को खुला छोड़ दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहीं भी एक शब्द उस वीआईपी के बारे में नहीं कहा जो वनंतरा रिजॉर्ट में कई बाउंसर के घेरे में आया था। उसे रिजॉर्ट में मृतक लड़की के दोस्त पुष्पदीप के साथ बात करते भी देखा गया था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने फोटोग्राफ से लेकर तमाम सबूत होने के बावजूद वीआईपी को बचाने की पूरी कोशिश की। हाईकोर्ट के आदेश से न सिर्फ मुख्य आरोपी बच निकला बल्कि अंकिता भंडारी को न्याय भी नहीं मिला।
2. एसआईटी की जांच में कई खामियां होने के बावजूद उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को ठुकरा दिया।
3. हाईकोर्ट ने अंकिता भंडारी और उसके दोस्त पुष्पदीप के बीच हुई व्हाट्सएप चैट को दरकिनार कर दिया हैं, जहां पर मृतका ने उस पर एक्स्ट्रा सर्विस के नाम पर रिजॉर्ट में आने वाले गेस्ट के साथ सेक्स करने का दबाव वाली बात कही गई थी।
4.हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित एसआईटी द्वारा जानबूझकर अंकिता की मौत की जांच में की गई कोताही को एक सिरे से नकार दिया। जिससे केंद्र और राज्य में बैठी राजनीतिक ताकतों ने उस वीआईपी को बचा लिया। ऐसे में याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया जाए।
क्या है अंकिता भंडारी हत्याकांड?
19 सितंबर को 2022 को उत्तराखंड के यमकेश्वर के वनन्तर रिजॉर्ट से रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी लापता हो गई थी। 24 सितंबर को चीला नहर से एसडीआरएफ ने अंकिता भण्डारी का शव बरामद किया था। इस मामले में रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। पुलकित को मुख्य आरोपी बनाया गया था। पुलकित के पिता विनोद आर्य उत्तराखंड सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं। रिजॉर्ट से अंकिता भंडारी को इन तीनों के साथ जाने और उसके बाद से नहीं देखे जाने की बात सामने आई थी पूछताछ में इन तीनों ने अंकिता भण्डारी को चीला नहर में धक्का देकर हत्या करने की बात स्वीकार को थी। इस हत्याकांड की जांच के लिए डीआईजी पी. रेणुका देवी की अगुवाई में एसआईटी बनाई गई जिसके जांच करने के तरीके पर कई सवाल खड़े हुए हैं।
कौन हैं याचिकाकर्ता आशुतोष नेगी?
आशुतोष नेगी उसी डोभ श्रीकोट गांव के रहने वाले हैं जहां से अंकिता भंडारी आती थी। इन्होंने एसआईटी की जांच पर सवाल खड़े करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट से मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की थी लेकिन उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उसे नकार दिया था।
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