Shraddha Zinda Hai: श्रद्धा-आफताब केस में सबसे बड़ा TWIST-'श्रद्धा जिंदा है'! देखिए ये खास-Video
दिनभर की बड़ी खबरों की रिवीजन के बाद पाठशाला में अब बात श्रद्धा मर्डर केस की और इसमें उस सबसे बड़े सवाल का चैप्टर जो पूरा केस पलट कर रख सकता है... सवाल ये कि क्या श्रद्धा जिंदा है
- हत्या करने के बाद रात भर आफताब ने बॉडी को ठिकाने लगाने के तरीके पता किए
- उसने इंटरनेट पर वो तरीके पढ़े, जिससे वो श्रद्धा के शव के टुकड़े कर सके
- उसने गूगल सर्च से ये पता किया कि फ्लोर से खून के धब्बे कैसे हटाए जाते हैं
श्रद्धा मर्डर केस में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। रोज नई कहानी आ रही है। लेकिन ये आप सभी जानते होंगे कि कोर्ट में कहानियां नहीं टिकती, सबूत टिकते हैं। और इन्हीं सबूतों के आधार पर आफताब को सजा मिलेगी, नहीं तो वो इतना भयानक अपराध करके भी बच जाएगा। अब तक हम सभी को ये बताया गया कि आफताब ने श्रद्धा को मार कर उसकी लाश के 35 टुकड़े किए। जिसमें कुछ टुकड़े आफताब की निशानदेही पर मिले हैं। लेकिन आज हम बड़ी बात कह रहे हैं कि
''श्रद्धा जिंदा है''
ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कल को अगर आफताब कोर्ट में ये कह देगा कि श्रद्धा जिंदा है तो फिर क्या किया जा सकता है, क्योंकि
-इस केस में अब तक पुलिस को कुछ हड्डियां मिली हैं, ये हड्डियां श्रद्धा के शव की हैं या नहीं, ये अभी तक क्लियर नहीं है
-ना श्रद्धा का सर मिला है, ना धड़ मिला है, ना खून से सने कपड़े मिले हैं, ना वो हथियार मिला है, जिससे श्रद्धा की हत्या की गई
-ना श्रद्धा का मोबाइल मिला है, ना कोई सीसीटीवी फुटेज है, ना कोई वीडियो है, ना कोई चैट अभी तक है, ना कोई चश्मदीद है
जिससे ये साबित किया जा सके कि श्रद्धा की हत्या हो गई है। इसीलिए मैं कह रहा हूं कि अगर आफताब कल को कह देगा कि श्रद्धा की हत्या नहीं हुई, तो फिर इसे गलत साबित करना बहुत मुश्किल होगा
और जब तक ये साबित नहीं होगा और सबूत नहीं मिलेंगे कि श्रद्धा की हत्या हो चुकी है। तब तक आफताब को सजा होना मुश्किल है।
क्योंकि कोर्ट में आफताब पर श्रद्धा की हत्या का केस चलेगा, इसलिए दिल्ली पुलिस को पहले ये साबित करना होगा कि श्रद्धा मर चुकी है। ये साबित करना होगा कि श्रद्धा की मौत एक हत्या है और उसे आफताब ने मारा है
यहां एक और अहम प्वाइंट है। आफताब के बारे में बताया गया था कि उसने फिल्में और क्राइम शो देखकर श्रद्धा की बॉडी को ठिकाने लगाया।
-हत्या करने के बाद रात भर आफताब ने बॉडी को ठिकाने लगाने के तरीके पता किए
-उसने इंटरनेट पर वो तरीके पढ़े, जिससे वो श्रद्धा के शव के टुकड़े कर सके
-उसने गूगल सर्च से ये पता किया कि फ्लोर से खून के धब्बे कैसे हटाए जाते हैं
-उसने गूगल सर्च से ये पता लगाया कि खून से भरे कपड़ों को कैसे ठिकाने लगाया जाए
-श्रद्धा के शव को बाथरूम में ले जा कर वो दो दिन तक शव के टुकड़े टुकड़े करता रहा
-बाथरूम में नल चलाकर वो शव को काटता था, जिससे खून तुरंत बह जाए
-बाथरूम को क्लीन करने के लिए उसने कई एसिड का इस्तेमाल किया
-शव के टुकड़े काटकर वो फ्रिज में रखता था, दुर्गंध ना आए इसके लिए अगरबत्ती जलाता था
अब सवाल ये है कि जो शातिर दिमाग, शव को ठिकाने लगाने के लिए इतनी प्लानिंग कर सकता है, क्या उसके पास कोई प्लान बी या सी नहीं होगा, और क्या वो पुलिस के पकड़ते ही सब कुछ आसानी से बताने लगेगा।
कानूनी एक्सपर्ट्स के मुताबिक
-किसी भी अपराधी को सजा दिलाने के लिए वारदात से जुड़ी कंप्लीट चेन ऑफ इवेंट्स को स्टैबलिश करना जरूरी होता है
-अपराधी को संदेह का लाभ नहीं मिलना चाहिए, क्योंकि सजा दिलाने के लिए केस संदेह के दायरे से बाहर होना चाहिए, नहीं तो अपराधी बच जाता है
पुलिस को अभी क्या मिला है। पुलिस के पास अभी तक
- आरोपी आफताब का कबूलनामा है
-वो फ्रिज है, जिसे आफताब ने शव के टुकड़े रखने के लिए खरीदा था
- आफताब की निशानदेही पर महरौली जंगल से कुछ हड्डियां मिली हैं
- श्रद्धा के दोस्तों के बयान हैं जिसमें बताया गया कि आफताब श्रद्धा को मारता था ।
- इसके अलावा कुछ Electronic Evidence है जैसे हत्या के बाद श्रद्धा के सोशल मीडिया अकाउंट की कुछ चैट और ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन
दिल्ली पुलिस के पास आफताब का कबूलनामा है लेकिन Indian Evidence Act के सेक्शन 25 के तहत पुलिस अधिकारी के सामने दिया गया बयान या कबूलनामा कोर्ट में मान्य नहीं होता। क्योंकि ये माना जाता है कि कहीं आरोपी ने पुलिस के प्रेशर में बयान तो नहीं दिया या उस पर जुर्म कबूलने का दवाब तो नहीं बनाया गया इसलिए CRPC के सेक्शन 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान ही मान्य होता है।
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