बिहार: शख्स को सांप ने काटा, पुलिस ने शराब के शक में पकड़ा; इलाज में देरी होने के कारण व्यक्ति की गई जान

सांप के काटने के बाद जब शख्स को पता लगा कि उसे सांप ने काट लिया है, तो वह दौड़कर इलाज के लिए खेत से अपने गांव जाने लगा। इसी दौरान पुलिस ने उसे भागते हुए देखकर पकड़ लिया शख्स के कई बार कहने पर भी पुलिस ने उसे नहीं छोड़ा, जिसके कारण उसके इलाज में काफी देर हो गई। आखिर शख्स ने हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

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सांप काटे व्यक्ति को रुपये लेने के बाद पुलिस ने छोड़ा, इलाज में देरी के कारण हुई मौत

Patna News: सांप के काटने के बाद अस्पताल की ओर भाग रहे 23 वर्षीय एक युवक की कैमूर जिले में गुरुवार को मौत हो गई। पुलिस ने उसे काफी देर तक रास्ते में हिरासत में रखा, क्योंकि संदेह था कि उसने शराब पी रखी थी। पीड़ित राम लखन प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि पुलिस को संदेह था कि वह शराब पीने के कारण गिरफ्तारी से बचने के लिए भाग रहा है, इसलिए उसे हिरासत में ले लिया गया।
परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसकी रिहाई के लिए 2000 रुपये मांगे और उसे तीन घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा, जब तक कि उसके बड़े भाई ने पुलिस को 700 रुपये देकर उसे छुड़ाया नहीं। हालांकि, उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) शिव शंकर कुमार ने रिश्वत के दावों से इनकार किया। कैमूर के पुलिस अधीक्षक ललित मोहन शर्मा ने कहा कि उन्होंने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि एसडीपीओ को घटना की जांच करने और तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। परिवार ने बताया कि प्रसाद को बुधवार रात चैनपुर थाना अंतर्गत निमियाटांड गांव स्थित उनके खेत में एक सांप ने काट लिया। परिवार के सदस्यों के अनुसार, इसके बाद प्रसाद निकटतम अस्पताल की ओर भागने लगे, लेकिन पुलिस गश्ती वाहन ने उन्हें रोक लिया। परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उन्हें अवैध रूप से शराब पीने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

पुलिस पर 2 हजार रुपये की मांग करने का आरोप

बड़े भाई जोगिंदर बिंद ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि मेरे भाई ने पुलिस से बार-बार कहा कि उसे सांप ने काट लिया है और वह पास के अस्पताल जाने के लिए दौड़ रहा है, लेकिन उन्होंने उसकी एक न सुनी और उसे छोड़ने के बदले 2000 रुपये की मांग की। इससे बहुत समय बर्बाद हुआ और मेरे भाई की मौत हो गई।
बिंद ने बताया कि जब प्रसाद ने पैसे लाने के लिए फोन किया तो वह खेत में फसल की सिंचाई कर रहा था। मैंने किसी तरह आधी रात तक 700 रुपये का इंतजाम किया और साइकिल से हिरासत स्थल पर पहुंचा। रिहाई के तुरंत बाद मैंने उसे स्थानीय सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन तब तक उसकी हालत बिगड़ चुकी थी और गुरुवार को उसकी मौत हो गई।
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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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