शराबबंदी वाले बिहार का सूरत-ए-हाल: जिससे होना था इलाज उसी से बनाई जा रही शराब, मर गए दर्जनों
बिहार के छपरा में जहरीली शराब पीने से दर्जनों की मौत हो चुकी है। सरकार ने मरने वालों का आंकड़ा 38 बताया है, हालांकि विपक्ष दावा कर रहा है कि यह आकंड़ा काफी ज्यादा है। इन मौतों को लेकर नीतीश सरकार और उनकी शराबबंदी वाली नीति सवालों के घेरे में है।
बिहार के छपरा में होम्योपैथिक दवा से जहरीली शराब (प्रतीकात्मक फोटो- pixabay)
बिहार के छपरा जहरीली शराब कांड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। अपराधियों ने इस शराब को बनाने में होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल किया था। बिहार पुलिस ने शुक्रवार को यह दावा किया है। इस शराबकांड में दर्जनों लोगों की जान चली गई थी।
पुलिस का खुलासा
सारण के एसपी संतोष कुमार ने खुलासा किया कि यह जहरीली शराब होम्योपैथिक दवा के मिश्रण से बनाई गई थी। इतना ही नहीं पुलिस ने होम्योपैथिक दवा की सैकड़ों बोतलें जब्त की हैं। पुलिस ने कहा कि इसी वजह से लोगों की मौत हुई है।
पांच गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में संजय महतो, शैलेंद्र राय, सोनू कुमार गिरी, अर्जुन महतो और राजेश सिंह उर्फ डॉक्टर का नाम शामिल है। राजेश सिंह उर्फ डॉ. जलालपुर थाना क्षेत्र के गांव नूरनगर का रहने वाला बताया जाता है, जो होम्योपैथिक दवा मिलाकर शराब सप्लाई कर रहा था।
कहां से आती थी दवाई
13 और 14 दिसंबर को इसुआपुर और मशरक के आसपास के क्षेत्रों में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। अब इस मामले में पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि राजेश सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों से विभिन्न होम्योपैथिक दवाइयां फर्जी नाम और पते पर मंगवाकर, शराब बनाकर सप्लाई की जाती थी।
बैन है शराब
बिहार ने अप्रैल 2016 से शराब की बिक्री और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध है। हालांकि इसके बाद भी राज्य में शराब चोरी-छुपे मिलती रही है। यहा कारण है कि शराब की कालाबाजारी और स्थानीय स्तर पर बनी नकली शराब के सेवन से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है।
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