अपमानजनक टिप्पणी पर मौत की सजा का प्रावधान, जानें मानहानि का इतिहास

History Of Defamation Law: बीते कुछ महीनों से देश की सियासत में मानहानि के मुद्दे ने जोर पकड़ रखा है। 25 मार्च को सूरत के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी करने के लिए IPC की धारा 500 के तहत 2 साल की सजा सुनाई थी. आपको मानहानि कानून से जुड़े उस कानून के बारे में जानना चाहिए, जब अपमानजनक टिप्पणी पर मौत की सजा का प्रावधान था।

मानहानि क्या है और इसे तय करने का पैमाना क्या होता है?

Defamation Case News: मानहानि क्या है और इसे तय करने का पैमाना क्या होता है? सियासत में इन दिनों इस शब्द की चर्चा जोरों पर है। दरअसल, बीते कुछ दिनों पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई। सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया और मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी करने के लिए दो साल की सजा सुनाई। इसके बाद उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। क्या आपको ये मालूम है कि मानहानि के खिलाफ एक ऐसा कानून भी था कि आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मौत की सजा का प्रावधान था। आपको मानहानि का इतिहास समझाते हैं।

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आईपीसी की धारा 499 से समझिए कैसे होती है मानहानि

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भारत में मानहानि का मुकदमा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत दर्ज किया जाता है। मानहानि कैसे होती है? इसका जिक्र आईपीसी की धारा 499 में विस्तार से किया गया है। बोलने, पढ़ने, संकेतों के जरिए या यूं कहें कि दृश्य के माध्यम से मानहानि की जा सकती है। नियमों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को इरादतन ठेस पहुंचाया जा रहा हो, चो ऐसा करने वाला मानहानि का आरोपी माना जाएगा। अगर उस पर मानहानि का मुकदमा चलाया गया और वो दोषी पाया जाता है तो उसे अदालत सजा का हकदार ठहराती है।

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