जब मुख्तार अंसारी ने खरीदी थी LMG और बचाने आ गई थी UP सरकार! STF के पूर्व DSP शैलेंद्र सिंह का बड़ा खुलासा
Mukhtar Ansari LMG Case: 2004 में, शैलेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की वाराणसी इकाई के प्रभारी थे। लखनऊ के कैंट इलाके में कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी के बीच फायरिंग की घटना हुई थी। तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय गिरोह से सतर्क रहने के लिए यूपी एसटीएफ को सक्रिय कर दिया था।
Mukhtar Ansari LMG Case: 2004 में यूपी एसटीएफ की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया था कि मुख्तार अंसारी उस वक्त तत्कालीन बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करना चाहता था। राय के पास बुलेटप्रूफ कार थी, जिसे एलएमजी के बिना भेदना आसान नहीं था। इसलिए मुख्तार इसे खरीदना चाहता था। जिसके बाद जब उस पर एसटीएफ ने शिकंजा कसा तो तब के सीएम मुलायम सिंह यादव उसे बचाने के लिए सामने आ गए थे। इस मामले पर उस वक्त के पुलिस अधिकारी STF के पूर्व DSP शैलेंद्र सिंह ने अब बड़ा खुलासा किया है।संबंधित खबरें
क्या है खुलासासंबंधित खबरें
2004 में, शैलेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की वाराणसी इकाई के प्रभारी थे। लखनऊ के कैंट इलाके में कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी के बीच फायरिंग की घटना हुई थी। तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय गिरोह से सतर्क रहने के लिए यूपी एसटीएफ को सक्रिय कर दिया था। वाराणसी एसटीएफ ने कुछ संदिग्ध फोन नंबरों को सर्विलांस पर रखा था।संबंधित खबरें
यहां से खुला राजसंबंधित खबरें
जनवरी 2004 में, किसी भी कीमत पर लाइट मशीन गन (LMG) प्राप्त करने के सौदे पर एक कॉल पकड़ी गई। एक वॉयस कॉल के आधार पर, शैलेंद्र सिंह ने दावा किया था कि मुख्तार अंसारी, 35 राइफल्स, जम्मू के एक भगोड़े सैनिक बाबू लाल के साथ 1 करोड़ रुपये में एलएमजी प्राप्त करने के लिए डील कर रहा था। बंदूक की यह डील मुख्तार अंसारी के गनर मुन्नार यादव ने की थी, जो बाबू लाल का चाचा था।संबंधित खबरें
हुई कार्रवाई
कॉल इंटरसेप्ट होने के बाद शैलेंद्र सिंह ने अपनी टीम के साथ 25 जनवरी 2004 को वाराणसी के चौबेपुर इलाके में छापेमारी कर बाबू लाल यादव, मुन्नार यादव को मौके से गिरफ्तार कर 200 जिंदा कारतूस समेत एलएमजी बरामद किया। शैलेंद्र सिंह ने चौबेपुर थाने में दो मुकदमे दर्ज कराए हैं। पहला आर्म्स एक्ट के तहत और दूसरा पोटा के तहत। प्राथमिक जांच में पता चला कि जिस मोबाइल नंबर पर एलएमजी का सौदा किया गया, वह जेल में बंद मुख्तार अंसारी के करीबी तनवीर उर्फ तनु को जारी किया गया था, लेकिन उसका फोन मुख्तार अंसारी इस्तेमाल कर रहा था।संबंधित खबरें
दे दिया इस्तीफासंबंधित खबरें
मुख्तार अंसारी पर पोटा के तहत हुई इस छापेमारी और एफआईआर से राज्य की राजधानी में हंगामा मच गया। उसी शाम, मुख्तार अंसारी ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और एसटीएफ द्वारा इंटरसेप्ट की गई कॉल में सभी आरोपों और अपनी आवाज से इनकार किया। इस बीच शैलेंद्र सिंह पर एफआईआर बदलने या पोटा मामले से मुख्तार अंसारी का नाम हटाने का जबरदस्त दबाव बनाया गया। शेलेंद्र सिंह ने दावा किया कि तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में थी, उन्हें मुख्तार अंसारी की जरूरत थी, इसलिए सरकार की तरफ से काफी दवाब बनाया गया। जिसके बाद शैलेंद्र सिंह ने केस हटाने से मना किया और नौकरी से इस्तीफा दे दिया। शैलेंद्र सिंह ने दावा किया कि कृष्णानंद राय की बुलेटप्रूफ गाड़ी को भेदने के लिए मशीन गन मंगवाई गई थी। अगर यूपी एसटीएफ ने इसे नहीं रोका होता तो कृष्णानंद राय एक साल पहले ही मारा गए होते।संबंधित खबरें
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रविकांत राय author
सत्ता के गलियारों से आम जनमानस से जुड़ी हर ख़बर पर पैनी नज़र, । राजनीति के हर दांव पेंच से वाकिफ, 13...और देखें
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