इलाज के बहाने पाकिस्तानी हिंदू आया गुजरात और करने लगा भारतीय सेना की जासूसी, ले चुका था भारत की नागरिकता

पाकिस्तान में जन्मा और पला-बढ़ा लाभशंकर माहेश्वरी 1999 में भारत आया था। तब वो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए अपनी पत्नी के साथ भारत आया था। शुरूआत में वो तारापुर में रहा, जहां उसका ससुराल था, मिली जानकारी के अनुसार उसके सास ससुर भी पाकिस्तानी थे।

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गुजरात में पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस

पाकिस्तान से भारत आया एक हिंदू, गुजरात में छिपकर भारतीय सेना की ही जासूसी करना लगा। जिस पाकिस्तानी शख्स को भारत ने पनाह दी वही भारत के साथ गद्दारी करने लगा। गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने शुक्रवार को आनंद जिले के तारापुर कस्बे से एक जासूस को गिरफ्तार किया। पाकिस्तान का मूल निवासी, वह शख्स पाकिस्तानी एजेंसियों को संवेदनशील जानकारी भेज रहा था। एटीएस ने कहा कि उसे सैन्य खुफिया से इनपुट मिला था कि एक पाकिस्तानी एजेंट भारतीय सिम कार्ड पर व्हाट्सएप का उपयोग कर रहा था। वह फोन पर मैलवेयर भेज रहा था और संवेदनशील जानकारी चुरा रहा था।

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इलाज के नाम पर आया था भारत

पाकिस्तान में जन्मा और पला-बढ़ा लाभशंकर माहेश्वरी 1999 में भारत आया था। तब वो फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए अपनी पत्नी के साथ भारत आया था। शुरूआत में वो तारापुर में रहा, जहां उसका ससुराल था, मिली जानकारी के अनुसार उसके सास ससुर भी पाकिस्तानी थे, बाद में भारत आ गए थे। कुछ सालों बाद लाभशंकर और उसकी पत्नी को भारतीय नागरिकता मिल गई। हालांकि उसका परिवार आज भी पाकिस्तान में रहता है।

इन धाराओं में मुकदमा दर्ज

इस शख्स को 2005 में भारतीय नागरिकता दी गई थी। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 123 (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से छिपाना) और 121-ए (सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश) और सूचना प्रौद्योगिकी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। एटीएस के पुलिस अधीक्षक ओम प्रकाश जाट ने बताया कि जांच से पता चला है कि पाकिस्तानी मूल के माहेश्वरी को 2005 में भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी और वह पड़ोसी देश में रह रहे रिश्तेदार से मिलने के लिए स्वयं, अपनी पत्नी और परिवार के दो अन्य सदस्यों के लिए वीजा प्रक्रिया को तेज करने के एवज में साजिश का हिस्सा बनने को सहमत हुआ था।

कैसे शुरू हुआ जासूसी का खेल

पिछले साल, जब माहेश्वरी और उनकी पत्नी ने पाकिस्तान के लिए विजिटर वीजा के लिए आवेदन किया था, तब पड़ोसी देश में रहने वाले उनके रिश्तेदार किशोर रामवानी ने उन्हें पाकिस्तान दूतावास से जुड़े एक व्यक्ति से संपर्क करने के लिए कहा था। अज्ञात व्यक्ति के हस्तक्षेप के बाद माहेश्वरी और उनकी पत्नी को वीजा मिला। भारत लौटने के बाद, उन्होंने अपनी बहन और भतीजी के लिए वीजा प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए फिर से उस व्यक्ति से संपर्क किया। बदले में, पाकिस्तान दूतावास (उच्चायोग) में संपर्क रखने वाले व्यक्ति ने माहेश्वरी को एक सिम कार्ड का उपयोग करके अपने मोबाइल फोन पर व्हाट्सऐप शुरू करने के लिए कहा, जो उसे जामनगर के निवासी सकलैन थैम से प्राप्त हुआ था। फिर माहेश्वरी ने उस व्यक्ति के साथ व्हाट्सऐप शुरू करने के लिए ओटीपी साझा किया। निर्देश के अनुसार, माहेश्वरी ने खुद को एक आर्मी स्कूल का कर्मचारी बताकर रक्षा कर्मियों को संदेश भेजना शुरू कर दिया और उनसे स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट पर अपने बच्चों के बारे में जानकारी अपलोड करने के लिए एक 'एपीके' फ़ाइल डाउनलोड करने का आग्रह किया। कुछ मामलों में, आरोपी ने सैन्यकर्मियों को यह दावा करते हुए एप्लिकेशन इंस्टॉल करने का लालच दिया था कि यह सरकार के हर घर तिरंगा अभियान का हिस्सा था। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि जब माहेश्वरी की बहन इस साल पाकिस्तान गई थी, तो वह उस सिम कार्ड को अपने साथ ले गई और उसे एक रिश्तेदार को सौंप दिया, जिसने उसे वहां एक अधिकारी को दे दिया।

कैसे चुराता डाटा

वास्तव में वह 'एपीके' फाइल एक ‘रिमोट एक्सेस ट्रोजन’ थी, एक प्रकार का मालवेयर था। जो मोबाइल फोन से सभी जानकारी, जैसे संपर्क, स्थान और वीडियो निकालता है,और डेटा को भारत के बाहर एक कमान एवं नियंत्रण केंद्र को भेजता है। कारगिल में तैनात एक सैनिक का मोबाइल फोन उस मालवेयर से प्रभावित था। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि और कितने लोगों को निशाना बनाया गया था।

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शिशुपाल कुमार author

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