दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास भुगत रहा 75 साल का शख्स दोषमुक्त करार
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दुष्कर्म के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 75 वर्षीय रामरतन गोस्वामी नामक बुजुर्ग को दोषमुक्त करार दिया है।
प्रतीकात्मक फोटो
यह बुजुर्ग पिछले नौ सालों से जेल में बंद थे। उसकी अपील कई सालों से कोर्ट में पेंडिंग पड़ी थी। गरीब होने के कारण वह कोई वकील नहीं कर पा रहा था। हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र के सभी जिलों को निर्देशित किया है कि वह अपने यहां जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों के बारे में एक बार फिर से उनके मामले का संज्ञान लें, जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है।
कोर्ट के आदेश पर न्याय मित्र विजय सुंदरम ने इस मामले में रामरतन गोस्वामी की पैरवी की। न्याय मित्र के मुताबिक यह घटना 2014 की है जो बहोडा़पुर थाना क्षेत्र में घटित हुई थी। पांच साल की बच्ची के साथ रामरतन द्वारा दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगाया गया था। पिता की जानकारी में यह पूरा मामला था। लेकिन फिर भी उन्होंने कोई रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं की थी।
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आजीवन कारावास और दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया था
घटना के तीन दिन बाद यह रिपोर्ट लड़की की मां ने बहोड़ापुर थाने में दर्ज कराई थी। जिसमें कहा था कि लड़की को घर के बाहर खेलते समय बुजुर्ग राम रतन गोस्वामी ने चॉकलेट देने के बहाने अपने पास बुलाया और एकांत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बहोड़ापुर पुलिस ने इस मामले में राम रतन के खिलाफ दुष्कर्म और पास्को एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। उसके खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया गया। एडीजे कोर्ट ने रामरतन को 2015 में दोषी पाते हुए उसे आजीवन कारावास और दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया था।
अपनी सजा के विरुद्ध राम रतन हाई कोर्ट में अपील की थी। लेकिन यह अपील कई सालों तक पेंडिंग बनी रही। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस बुजुर्ग को विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई। जिस पर पैरवी करते हुए न्याय मित्र ने ऐसे कई तथ्य कोर्ट के सामने लाए जिससे पता लगता था कि इस बुजुर्ग को केवल परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई थी। घटना का कोई भी चश्मदीद नहीं था।
एक बुजुर्ग को कई सालों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा
वहीं घटना के तीन रोज बाद यह मामला दर्ज कराया गया था। उनका यह भी कहना था कि आपसी पारिवारिक विवाद के चलते उनके मुवक्किल पर यह झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसके कारण एक बुजुर्ग को कई सालों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा। खास बात यह भी है कि उच्च न्यायालय अब ऐसे जेल में निरूद्ध अथवा सजायाफ्ता कैदियों की पड़ताल कर रहा है जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा हो चुकी है। राम रतन की उम्र भी 75 साल से ज्यादा है। इसलिए उसका मामला न्यायालय के संज्ञान में आया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने रामरतन गोस्वामी को दोषमुक्त करार दिया है।
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