अतीक-अशरफ की तरह ही मारे गए ये गैंगस्टर्स, एनकाउंटर में श्रीप्रकाश शुक्ला तो कोर्ट में ही मारा गया था जितेंद्र गोगी

अतीक अहमद और अशरफ का अंत जिस तरह हुआ वह अपराध की दुनिया के बाशिंदों के लिए न तो नया है न अनूठा। अतीक अहमद और अशरफ से पहले कुछ इसी तरह अपनी जान गंवाने वाले जितेंद्र मान गोगी का उदाहरण ताजा है और देश की राजधानी दिल्ली का भी।

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अतीक से लेकर श्रीप्रकाश शुक्ला तक, ऐसे मिट्टी में मिले यूपी के कई माफिया डॉन

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

Report- Munish Devgan: 15 अप्रैल को रात साढ़े 10 बजे मीडिया के कैमरों के सामने माफिया ब्रदर्स अतीक और अशरफ थे। चारो तरफ पुलिसकर्मी थे। इसके बावजूद पूरे देश ने लाइव शूटआउट देखा। प्रयागराज जो इलाहाबाद हुआ करता था वहां अतीक अहमद खौफ की दुनिया का बेताज बादशाह था। बसपा विधायक राजू पाल ने अतीक के बगल में चल रहे उसके भाई अशरफ को चुनाव में हराया था। विधायक राजू पाल को अतीक और अशरफ ने दिनदहाड़े गोलियों से भून डाला था। पोस्टमार्टम में राजू पाल के शरीर से 19 गोलियां निकाली गईं। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम सीट जहां से राजू पाल विधायक थे वहां उपचुनाव हुए। जानते हैं चुनाव कौन जीता? अतीक का वहीं भाई अशरफ जिसे राजू पाल ने चुनाव में हराया था। ईवीएम को कोसने वाले बूथ कैप्चरिंग के उस दौर को भूल जाते हैं जब अपराधी बंदूक की नोंक पर बूथ कैप्चरिंग कर चुनाव का परिणाम तय कर देते थे। अतीक को पहली गोली लगी और अशरफ को उसके ठीक बाद। हम इस शूटआउट को महिमामंडित नहीं कर रहे हैं वह तो पुलिस प्रशासन की नाकामी हैं ही लेकिन इससे अतीक और अशरफ को बेगुनाह तो नहीं करार दिया जा सकता। उन्होंने चंद महीने पहले जब राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो सुरक्षाकर्मियों की दिनदहाड़े हत्या कराई तो वह घटना भी कैमरे में दर्ज हुई। अतीक और अशरफ का अंत जिस तरह हुआ वह अपराध की दुनिया के बाशिंदों के लिए न तो नया है न अनूठा। अतीक और अशरफ से पहले कुछ इसी तरह अपनी जान गंवाने वाले जितेंद्र मान गोगी का उदाहरण ताजा है और देश की राजधानी दिल्ली का भी।

कोर्ट के अंदर ही मारा गया था जितेंद्र गोगी

2021 में दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में दिल्ली का गैंगस्टर जितेंद्र गोगी को अदालत के परिसर में ही वकील की ड्रेस पहनकर आए कुछ हमलावरों ने गोलियों से भून दिया। गोगी पर हत्या सहित दर्जनों मुकदमे थे। गोगी और टिल्लू गैंग की लड़ाई में दिल्ली में 25 जानें जा चुकी थीं। जितेंद्र गोगी कई बार पुलिस कस्टडी से भाग चुका था। 2017 में हरियाणवी सिंगर हर्षिता दाहिया की हत्या में भी गोगी का ही नाम आया था। जेल में बंद होने के बावजूद वह अपना गैंग चलाता था। जेल से ही उसने दुबई के एक कारोबारी से 5 करोड़ की रंगदारी मांगी थी। लेकिन गैंगवार में पुलिस की कस्टडी में अदालत परिसर में उसकी हत्या हो गई। हत्या का इल्जाम उसके विरोधी टिल्लू ताजपुरिया गैंग पर आया। यह हत्याकांड भी लाइव कैमरे में कैद हुआ था। इसलिए अतीक और अशरफ जैसे शूटआउट का इतिहास काफी पुराना है।

माफियाओं का स्वर्णिमकाल

उमेश पाल हत्याकांड का बड़ा किरदार बमबाज गुड्डू मुस्लिम यूपी पुलिस औऱ एसटीएफ के निशाने पर है। उसका एनकाउंटर कभी भी हो सकता है। गुड्डू मुस्लिम अतीक के गैंग में शामिल होने से पहले पूर्वांचल के डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का राइट हैंड था। बिहार के हाजीपुर में रेलवे टेंडर्स की दलाली में भी वो कमीशन लेता था। ये 90 का दशक था जो माफियाओं और गैंगस्टर्स के लिए स्वर्णकाल था। पूर्वांचल में माफियाओं का बोलबाला था। माफियाओं के बीच या तो साझेदारी थी या दुश्मनी। आर-पार के खेल में बिहार के गैंगस्टर्स का साथ भी श्रीप्रकाश शुक्ला को मिला। बिहार में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या पुलिस की ड्रेस पहने शूटर्स ने एके 47 से भूनकर कर दी। छोटन शुक्ला आनंद मोहन की बिहार पीपल्स पार्टी से चुनाव लड़ने जा रहे थे। छोटन शुक्ला को बृजबिहारी प्रसाद जो लालू यादव की सरकार में मंत्री थे उनके विरोधी रघुनाथ पांडे का आदमी माना जाता था। लेकिन छोटन ने बूथ कैप्चरिंग की जगह खुद ही चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। छोटन शुक्ला की हत्या का बदला लेने के क्रम में उसकी शवयात्रा के साथ प्रदर्शन कर रहे भाई भुटकुन शुक्ला, आनंद मोहन सहित अन्य लोगों ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर जी कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद मंत्री बृजबिहारी ने छोटन के भाई भुटकुन शुक्ला को मरवा दिया। दोनों भाईयों की हत्या का बदला लेने की कसम खाई छोटे भाई मुन्ना शुक्ला ने। मुन्ना शुक्ला को डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने मदद का न सिर्फ भरोसा दिया बल्कि उसके सबसे बड़े दुशमन को खुद ही खत्म किया।

पूर्वांचल के डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला

13 जून 1998 को मंत्री बृजबिहारी प्रसाद पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में अपने बॉडीगार्ड्स के साथ टहल रहे थे। अचानक एक एंबेसडर कार उनसे बीस कदम पहले रुकती है। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता एके 47 से गोलियों की बरसात हुई बृजबिहारी के साथ एक बॉडीगार्ड और दो अन्य लोगों की लाश जमीन चाट रही थी। इस मर्डर को पूर्वांचल के डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने खुद अंजाम दिया था।

ऐसे हुआ था श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर

कुछ महीने बाद यूपी एसटीएफ ने श्रीप्रकाश शुक्ला को उस वक्त एनकाउंटर में ढेर कर दिया जब वो अपनी प्रेमिका से मिलने जा रहा था। अतीक का खास गुर्गा गुड्डू मुस्लिम जो उमेश पाल हत्याकांड में बम फेंकते हुए नज़र आता है इसी श्रीप्रकाश शुक्ला का आदमी था। श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद वो अतीक की शरण में आया और कई हत्याओं को अंजाम देता रहा। आज उसी गुड्डू मुस्लिम का एनकाउंटर करने वहीं यूपी एसएटीएफ मिशन पर है जिसने कभी उसके पहले बॉस श्रीप्रकाश शुक्ला को निपटाया था। समय का पहिया घूम चुका है। श्रीप्रकाश शुक्ला के तमाम माफिया साथी और दुश्मन या तो काल के गाल में समा चुके हैं या अपराध की दुनिया से तौबा कर चुके हैं। अपराध की इस कहानी के दो इतने खौफनाक किरदार अतीक अहमद और अशरफ का अंत इस तरह होगा इसका अंदाजा शायद किसी को नहीं होगा उन दोनों के अलावा। अतीक और अशरफ। जी हां जुर्म की दुनिया में आने वाला पहले दिन से जानता है उसका अंजाम क्या होगा।

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