बॉम्बे HC का आदेश-पति को देना होगा 3 करोड़ मुआवजा, 1.5 लाख रु. गुजारा भत्ता, पत्नी को बोला था-'सेकेंड हैंड'

Bombay High Court : साल 2017 में पति ने अमेरिका में तलाक की अर्जी दायर की, जिसके बाद पत्नी ने मुंबई में पति के खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत केस दर्ज कराया। पति की अर्जी पर साल 2018 में अमेरिकी कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी। पत्नी ने अपनी शिकायत में अपने साथ हुई घटनाओं का जिक्र किया।

Bombay hc

पत्नी को 3 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का फरमान।

Bombay High Court : घरेलू हिंसा के एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपी पति को अपनी पत्नी को तीन करोड़ रुपए का मुआवजा और हर महीने 1.5 लाख रुपए का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया। पीड़ित पत्नी ने अपनी शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना का जिक्र करते हुए कोर्ट को यह भी बताया कि पति ने उसे 'सेकेंड हैंड' भी कहा था।

1994 में की थी शादी

दरअसल, इस जोड़े ने जनवरी 1994 मे मुंबई में शादी की थी और उसके कुछ समय बाद अमेरिका जाकर वहा दोबारा शादी की। 2005 में यह जोड़ा अपने शहर मटूंगा वापस लौटा। यहां पति-पत्नी दोनों एक फ्लैट में रहने लगे। साल 2008 में दोनों के बीच विवाद हुआ जिसके बाद पत्नी मायके जाकर रहने लगी। कुछ साल बाद पति वापस अमेरिका लौट गया।

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पति ने अमेरिका में तलाक की अर्जी दी

साल 2017 में पति ने अमेरिका में तलाक की अर्जी दायर की, जिसके बाद पत्नी ने मुंबई में पति के खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत केस दर्ज कराया। पति की अर्जी पर साल 2018 में अमेरिकी कोर्ट ने तलाक को मंजूरी दे दी। पत्नी ने अपनी शिकायत में अपने साथ हुई घटनाओं का जिक्र किया। पत्नी ने आरोप लगाया कि शादी के बाद जब वे हनीमून के लिए नेपाल गए थे तो पति ने उसे 'सेकेंड हैंड' कहा। दरअसल, युवती की पहले एक सगाई टूट गई थी जिसे लेकर पति उसे ताने दिया करता था।

मारपीट करने पर अमेरिका में हुआ गिरफ्तार

पीड़िता ने अपने साथ हुई घरेलू तथा पारिवीरिक हिंसा का भी जिक्र किया। महिला का कहना है कि उसका पति उस पर अपने ही घरवालों के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाता था। शिकायत में उसने यह भी बताया कि साल 1999 में टेक्सास में भी पुलिस ने मारपीट करने पर उसके पति को गिरफ्तार किया था।

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पति ने मारने की कोशिश की

महिला का कहना है कि 2005 में भारत लौटने के बाद भी उसके साथ दुर्व्यवहार होता रहा। उसने अपने वैवाहिक जीवन में अपने साथ हुए खैफनाक घटनाओं का जिक्र किया। उसने कहा कि मातुंगा में उसे आए दिन अपमान और धमकियों का सामना करना पड़ता था। इतना ही नहीं पति की हैवानियत इतनी बढ़ गई थी कि साल 2008 में उसने अपनी पत्नी को तकिये से दम घोटकर मारने की भी कोशिश की।

फ्लैट को कब्जे में लेने की साजिश-पति

हालांकि पति ने कहा कि उसके द्वारा तलाक की अर्जी दिए जाने के बाद पत्नी ने उसके खिलाफ घरेलू हिंसा के तहत केस दर्ज कराया। पति का दावा है कि अमेरिकी कोर्ट से तलाक का निर्णय आने के बाद उस पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया गया। साथ ही उसने यह भी कहा कि घरेलू हिंसा के तहत शिकायत सिर्फ मेरू हाइट्स फ्लैट को कब्जे में लेने की एक साजिश है। पति की तमाम दलीलों के बावजूद कोर्ट ने 3 करोड़ रुपए का मुआवजा और हर महीने 1.5 लाख रुपए गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।

पति ने HC में पुनर्विचार अर्जी दायर की

बता दें कि पति ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को सेशन कोर्ट में चुनौती दी जहां उसे खारिज कर दिया गया। निचली अदालत में अर्जी खारिज होने के बाद पति ने हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस केस मे दोनों ही पक्ष पढ़े-लिखे हैं। सामाजिक जीवन और कार्यस्थल दोनों जगहों पर इनका गरिमापूर्ण स्थान है। फिर भी घरेलू हिंसा के दायरे में पत्नी को ज्यादा असम्मान का सामना करना पड़ा होगा।

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