Kanjhawala Accident : कंझावला केस में सामने आई दिल्ली पुलिस की चूक-चूक और नाकामी, ऐसे समझें

Kanjhawala Accident : स्कूटी निधि चला रही होती है लेकिन जैसे ही वो रोहिणी जिले से निकलकर स्कूटी से आउटर डिस्ट्रिक्ट के सुल्तानपुरी के कृष्ण विहार पहुंचती है। 2 बजकर 4 मिनट पर अंजलि की स्कूटी का एक्सीडेंट बलेनो गाड़ी से हो जाता है।

Kanjhawala Accident : अंजलि की दर्दनाक मौत को महज एक मामूली सड़क हादसा करार देने वाले वाली दिल्ली पुलिस घटना को कितनी गंभीरता से लेती है इसका विश्लेषण हम उन सबूत के साथ पुलिस के बयान और दस्तावेजों के जरिये करेंगे जिनको खुद पुलिस ने माना है। सबसे पहले बात करते है। उस सीसीटीवी की जिसमे अंजलि अपनी दोस्त निधि के साथ रोहिणी जिले के होटल विवान से 1 बजकर 16 मिनट पर बाहर आती है और अपनी दोस्त के साथ 1 बजकर 31 मिनट पर स्कूटी पर बैठकर घर के लिए निकल जाती है।

2.40 पर स्कूटी का एक्सीडेंट

स्कूटी निधि चला रही होती है लेकिन जैसे ही वो रोहिणी जिले से निकलकर स्कूटी से आउटर डिस्ट्रिक्ट के सुल्तानपुरी के कृष्ण विहार पहुंचती है। 2 बजकर 4 मिनट पर अंजलि की स्कूटी का एक्सीडेंट बलेनो गाड़ी से हो जाता है। घायल हालत में अंजलि गाड़ी के निचले हिस्से में फंस जाती है। वो चीखती है, चिल्लाती है लेकिन घने रिहायशी इलाके में किसी के भी कानों में अंजलि की मदद की गुहार नहीं पहुंचती, हादसे के बाद निधि इस घटना से औझल हो जाती है।

सबसे पहला सीसीटीवी आता है 3 बजकर 5 मिनट

वहीं, शराब के नशे में चूर पांचों हैवान सुल्तानपूरी से कंझावला के लिए निकल जाते हैं। सबसे पहला सीसीटीवी आता है 3 बजकर 5 मिनट का जिसमें बलेनो गाड़ी आराम से अंजलि को घसीटते हुए दिखाई देती है। जिसके बाद गाड़ी 3 बजकर 28 मिनट पर गाड़ी कंझावला रोड पर जाती हुई दिखती है। गाड़ी की रफ्तार करीब 20 से 30 की स्पीड पर होती है। गाड़ी एक बार फिर 3 बजकर 34 मिनट पर यूटर्न लेती हुई दिखाई देती है। गाड़ी के नीचे अंजलि वहां से गुजर रहे लोगों को साफ दिखाई देती है। लेकिन 13 किलोमीटर के इस फासले में पुलिस शायद सीसीटीवी के भरोसे रात को चैन की नींद सो रही होती है।
एक तरफ एक चश्मदीद अपनी बाइक से गाड़ी का पीछा कर रहा था तो दूसरा पुलिस को बता रहा था कि एक बलेनो गाड़ी के नीचे किसी की लाश फंसी हुई है। लेकिन पुलिस सिर्फ इस बात से ही खुश थी कि उनके पास जानकारी लेकर आया युवक खुद तो सुरक्षित है।

3 पीसीआर कॉल कंझावला पुलिस स्टेशन को

पुलिस की एफआईआर के मुताबिक बाहरी दिल्ली के सुल्तानपुरी के शनि बाजार में रात के 2 बजे के आसपास हादसा हुआ था जिसके बाद लगातार एक के बाद एक तीन पीसीआर कॉल कंझावला पुलिस स्टेशन को मिलती हैं कि एक बॉडी बलेनो गाड़ी के नीचे घसीटती हुई जा रही है। लेकिन पुलिस गाड़ी को कहीं भी रोकने में कामयाब नहीं हो पाती है। आखिरकार देश की सबसे स्मार्ट कही जाने वाली दिल्ली पुलिस को आखरी कॉल 4 बजकर 11 मिनट पर मिलती है कि कंझावला रोड के जोंटी गांव के पास एक लड़की नग्न अवस्था मे पड़ी हुई है। आखिरकार हादसे की जगह से 13 किलोमीटर दूर आकर अंजलि का दर्द और दहशत से भरा अंतिम सफर समाप्त हो गया। लेकिन अपने पीछे छोड़ गया लचर सिस्टम का वो सच जिसका सामना करने की हिम्मत किसी भी अधिकारी में नहीं है। यही वजह है कि अंजलि की दर्दनाक मौत को डीसीपी साहब पहले तो एक आम दुर्घटना बता कर उसके दर्दनाक अंतिम सफर को महज 4 किलोमीटर बता दिया था। लेकिन 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि 4 किलोमीटर की दूरी 12-13 किलोमीटर हो गई।
अब हम आपको बताते हैं कि उस रात पुलिस की क्या-क्या नाकामी रही
  • 13 किलोमीटर के रूट पर तैनात थीं 5 पीसीआर वैन
  • 5 -6 पीसीआर कॉल हुई
  • चश्मदीद दीपक से 20 से ज्यादा बार पुलिस अफसरों ने बात की
  • उसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए कुल 9 पीसीआर वैन को लगाया गया
  • लोकल पुलिस भी खोज रही थी आरोपी
  • लेकिन फिर भी मौके से आरोपियों को नहीं पकड़ पाई दिल्ली पुलिस
  • पहली पीसीआर कॉल रात 2 :18 बजे मिली जिसमें एक शख्स ने दुर्घटना के बारे में बताया
  • दूसरी पीसीआर कॉल 2 :20 पर मिली ये भी दुर्घटना के बारे में थी
  • इसके बाद 2 पीसीआर कॉल 3:24 बजे के आसपास दीपक ने की
  • उसने बताया कि कार में किसी शव लटका है
  • फिर 4:26 बजे और 4:27 बजे साहिल नाम के शख्स ने 2 पीसीआर कॉल कर बताया कि सड़क पर एक महिला का शव पड़ा हुआ है
  • उस रास्ते पर कुल 5 पीसीआर वैन थीं,लेकिन सीरियस कॉल को देखते हुए कुल 9 पीसीआर वैन को लगाया गया
  • इस दौरान कार चार थाना इलाका सुल्तानपुरी, अमन विहार, प्रेम नगर व कंझावला थाना इलाके से गुजरी

आरोपियों ने लड़की का घिसटता हाथ देख लिया था

लेकिन कोई भी पीसीआर कार को नहीं खोज पाई क्योंकि दावा किया जा रहा है कि रात में धुंध थी और पीसीआर के पहुंचने के पहले कार निकल जाती थी। जबकि पीसीआर का रिस्पॉन्स टाइम ठीक था। आरोपियों को पता था की उन्होंने स्कूटी सवार लडकी को टक्कर मारी है। उन्होंने 2-3 बार लड़की को कार आगे-पीछे कर कुचला।आरोपियों ने ढाई किलोमीटर घसीटने के बाद लड़की का घिसटता हाथ देख लिया था। आरोपियों को लग गया था कार में कुछ अटका हुआ है। उन्होंने बाहर देखा तो लड़की का हाथ दिखाई दिया। लेकिन रास्ते में खड़ी एक पीसीआर को देखकर फिर से युवती को घसीटने लगे। युवती को गिराने के लिए कार से 4 बार से ज्यादा यू-टर्न मारा था। महज 24 सेकंड की थी दर्दनाक दुर्घटना।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर साहब ने ये बात तो मानी की अंजलि को 10 से 12 किलोमीटर तक घसीटा गया था लेकिन ये भी एक अर्धसत्य था। घटना का सम्पूर्ण सत्य ये है कि अंजलि को 13 किलोमीटर तक ही नहीं बल्कि 30 किलोमीटर से भी ज्यादा घसीटा गया था। ये हम क्यों कह रहे है इसका गणित भी हम आपको समझाते है।
  • अंजली की स्कूटी का एक्सीडेंट 2 बजकर 5 मिनट पर होता है।
  • 3 बजकर 34 मिनट पर एक के बाद एक 3 पीसीआर कॉल की जाती है।
आखिरकार अंजलि की लाश घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर 4 बजकर 11 मिनट पर मिलती है। यानी एक्सीडेंट होने से शव मिलने के बीच का अंतर करीब 2 घंटे है। ऐसे में अगर मान भी लिया जाए कि गाड़ी की रफ्तार 20 से 25 किलोमीटर भी रही होगी तो 2 घंटे में गाड़ी करीब 20 से 30 किलोमीटर चली होगी। अभी तक पुलिस का दावा है कि आरोपी कहीं भी नहीं रुके थे। मतलब साफ है इस हिसाब से तो अंजलि का शरीर करीब 30 किलोमीटर तक रगड़ा गया है।
(अनुज मिश्रा की रिपोर्ट)
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आलोक कुमार राव author

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