राजीव गांधी के हत्यारों की तरह मेरी भी हो रिहाई, पत्नी को जिंदा दफनाने वाला स्वामी श्रद्धानंद ने लगाई गुहार
स्वयंभू स्वामी श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा अपनी पत्नी को अपने विशाल बंगले के परिसर में जिंदा दफन कर मार दिया था। अब वह चाहता है राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की तरह मुझे भी जेल से रिहा किया जाए। उसने अपनी पत्नी को नशीला पदार्थ खिलाकर दफनाया था।
स्वयंभू बाबा स्वामी श्रद्धानंद ने की थी पत्नी की हत्या
नई दिल्ली : अपनी पत्नी शकीरे नमाजी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू स्वामी श्रद्धानंद ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि उसे राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की तरह जेल से रिहा किया जाए। श्रद्धानंद ने कहा कि उसका मामला समानता के अधिकार के उल्लंघन का सटीक उदाहरण है। उसने कहा कि वह जेल में 29 साल से अधिक बिता चुका है और एक भी दिन की पैरोल नहीं मिली है।
पत्नी को कर दिया था जिंदा दफन
श्रद्धानंद उर्फ मुरली मनोहर मिश्रा ने अपनी पत्नी नमाजी को नशीला पदार्थ खिलाकर उसे 28 अप्रैल, 1991 को बेंगलोर स्थित अपने विशाल बंगले के परिसर में जिंदा दफन कर दिया था। मैसूर के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पौत्री नमाजी ने पूर्व राजनयिक अकबर खलीली से तलाक लेने के बाद 1986 में श्रद्धानंद से शादी कर ली थी।
श्रद्धानंद को मिली उम्र कैद की सजा
श्रद्धानंद ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की तरह समानता की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में दलील दी कि उसे एक हत्या के मामले के लिए उम्रकैद की सजा दी गई और एक भी दिन की पैरोल नहीं मिली। वकील वरुण ठाकुर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की उम्र 80 वर्ष से अधिक है और वह मार्च 1994 से जेल में है।
नहीं मिली एक भी दिन की पैरोल
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की थी और उसका न्यायिक इकबालिया बयान दर्ज किया गया। उस आधार पर निचली अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई जिसे हाईकोर्ट ने कायम रखा। हालांकि इस अदालत ने मौत की सजा को बिना माफी के उम्रकैद में बदल दिया लेकिन संबंधित प्राधिकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या की और याचिकाकर्ता को एक भी दिन की पैरोल नहीं दी।
अपनी पत्नी की संपत्ति हड़पना चाहता था श्रद्धानंद
याचिका में कहा गया कि शीर्ष अदालत ने हाल में राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों को रिहा किया जिन्होंने उनकी याचिकाएं लंबित रहने के दौरान पैरोल तथा अन्य स्वतंत्रताओं का लाभ उठाया। नमाजी की बेटी की शिकायत पर पुलिस ने मामले में जांच की थी और उसके शव को बाहर निकाला था जिसके बाद स्वयंभू बाबा को गिरफ्तार किया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार श्रद्धानंद अपनी पत्नी की संपत्ति हड़पना चाहता था।
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