कोई भी बाहर या अंदर से नहीं आया...हिंदुस्तान में अधिकतर मुसलमान पहले हिंदू थे- गुलाम नबी आजाद का दावा
Ghulam Nabi Azad on Muslims: वोट के लिए धर्म के इस्तेमाल पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने आगे कहा- राजनीति में जो भी धर्म का आश्रय लेता है वह कमजोर होता है। राजनीति में धर्म को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। वोट हिंदू और मुस्लिम नामों पर आधारित नहीं होना चाहिए।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
Ghulam Nabi Azad on Muslims: हिंदुस्तान के ज्यादातर मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हुए हैं। इस बात की एक मिसाल कश्मीर घाटी में देखी जा सकती है। वहां अधिकतर कश्मीरी पंडितों ने इस्लाम धर्म अपनाया है। ये बातें डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कही हैं।
गुरुवार (17 अगस्त, 2023) को डोडा जिले में जन सभा के दौरान कांग्रेस छोड़ चुके जम्मू और कश्मीर के वरिष्ठ नेता ने बताया कि धर्म का इस्तेमाल सियासी लाभ लेने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। जो कोई भी राजनीति में धर्म की शरण लेता है, वह कमजोर है।
बकौल डीपीएपी चीफ, ‘‘भाजपा के कुछ नेताओं ने कहा कि कुछ मुसलमान बाहर से आए हैं और कुछ नहीं। कोई भी बाहर या अंदर से नहीं आया। इस्लाम धर्म केवल 1,500 साल पहले अस्तित्व में आया। हिंदू धर्म बहुत पुराना है। उनमें से लगभग 10-20 मुसलमान बाहर से आए होंगे, जिनमें से कुछ मुगल सेना में भी थे।’’
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आगे बोले- इंडिया में बाकी सभी मुसलमान हिंदू धर्म से परिवर्तित हो गए। इसका उदाहरण कश्मीर में देखने को मिलता है। 600 साल पहले कश्मीर में मुसलमान कौन थे? सभी कश्मीरी पंडित थे। वे इस्लाम में परिवर्तित हो गए। सभी हिंदू धर्म में पैदा हुए।
आजाद के अनुसार, ‘‘जब हिंदू मरते हैं तो उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। उनके शवों को अलग-अलग जगहों पर जलाया जाता है। उनकी राख को नदी में डाल दिया जाता है जो पानी में मिल जाती है और हम वही पानी पीते हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘बाद में कौन देखता है कि पानी में उनकी जली हुई राख है? लोग वही पानी पीते हैं। उसी प्रकार मुसलमानों का मांस और हड्डियां देश की मिट्टी में मिल जाती हैं। वे भी इस भूमि का हिस्सा बन जाते हैं। उनका मांस, उनकी हड्डियां भारत माता की मिट्टी का हिस्सा बन जाती हैं। इस भूमि में हिंदू और मुसलमान दोनों समाहित हो जाते हैं। उनमें क्या अंतर है?’’
वोट के लिए धर्म के इस्तेमाल पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने आगे कहा- राजनीति में जो भी धर्म का आश्रय लेता है वह कमजोर होता है। राजनीति में धर्म को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। वोट हिंदू और मुस्लिम नामों पर आधारित नहीं होना चाहिए।
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