150 दिन, नकली पहचान, छात्रों से दोस्ती और फिर लेडी सिंघम ने कर दिया रैगिंग गैंग का खुलासा

इंदौर के एमजीएम कॉलेज में सीनियर छात्र जूनियर छात्रों से बहुत सारे गलत काम करवाते थे। रैगिंग के नाम पर वो जूनियर छात्रों से अप्राकृतिक सेक्स तक करने के लिए मजबूर करते थे। लड़कियों को गाली देने के लिए मजबूर करते। इसी की शिकायत किसी तरह से पुलिस तक पहुंची थी।

मेडिकल स्टूडेंट बनकर कॉलेज में रही शालिनी चौहान

मध्यप्रदेश के इंदौर पर एक महिला पुलिसकर्मी ने ऐसा करनामा कर दिखाया है कि लोग उन्हें अब लेडी सिंघम की उपाधि दे रहे हैं। रैगिंग करने वाले बदमाश छात्रों को पकड़ने के लिए महिला पुलिस शालिनी चौहान ने करीब पांच महीने तक नकली पहचान के साथ कॉलेज में अंडरकवर ऑपरेशन करती रही, जिसके बाद उन छात्रों की पहचान हो सकी, जो रैगिंग में लिप्त थे।

केस की शुरूआत

यह एक पूरी तरह से ब्लाइंड केस था। पुलिस को सीनियर्स और जूनियर्स के बीच व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट वाली एक गुमनाम शिकायत मिली थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि प्रथम वर्ष के छात्रों से अश्लील हरकतें करवाई जाती हैं। जैसे तकिए के साथ यौन संबंध बनाने के लिए कहा जाता है, अप्राकृतिक सेक्स के लिए मजबूर किया जाता है। हालांकि इस शिकायत में किसी का नाम नहीं था। इसलिए पुलिस के सामने आरोपियों को पकड़ना एक मुश्किल काम था। पुलिस शिकायत की जांच करने के लिए कॉलेज भी गई, लेकिन डर के मारे छात्रों ने कुछ नहीं कहा।

बना खुफिया प्लान

इसके बाद पुलिस ने खुफिया प्लान बनाया। प्लान के अनुसार एक पुलिसकर्मी को ही कॉलेज के अंदर छात्र बनाकर भेजना था। इसके लिए शालिनी चौहान को जिम्मेदारी दी गई। वो एक मेडिकल स्टूडेंट बनकर कॉलेज में घुसी और वहां कैंटिन में अपना अड्डा जमा लिया। जिन छात्रों पर शक था उसपर उन्होंने नजर रखनी शुरू कर दी। इस तरह वो कई दिनों तक अन्य छात्रों से मिलती रही, दोस्ती करती रही और रैगिंग के बारे में जानकारी जुटाती रही।

End Of Feed