Pune Porsche crash: थाने में देर रात पुहंचे थे विधायक, ब्लड टेस्ट में हुई देरी, नाबालिग को बचाने की हुई कोशिश!
Pune Porsche crash Update: हैरान करने वाली बात यह है कि हादसे के एक घंटे के भीतर स्थानीय विधायक सुनील तिंगरे पुलिस स्टेशन पहुंच गए। रिपोर्टों की मानें तो विधायक को आरोपी के पिता का फोन आया था। हालांकि, तिंगरे का कहना है कि वह पुलिस पर दबाव बनाने के लिए नहीं गए थे।
पुणे में रविवार देर रात नाबालिग ने दो युवा इंजीनियरों की ली जान।
Pune Porsche crash Update: पुणे के पोर्श कार हादसे में कई सवाल उठ रहे हैं। थाने में आधी रात के बाद विधायक का आना, आरोपी नाबालिग ब्लड टेस्ट की जांच में हुई देरी और मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की हीलाहवाली से संदेह खड़े हुए हैं कि कहीं यह सब आरोपी नाबालिग को बचाने के लिए तो नहीं हुआ। इस हादसे में पुणे के कल्याणी नगर इलाके में काम करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्वनी कोश्ता दो युवक मारे गए। रविवार की रात करीब 2.30 बजे पोर्श कार ने काफी तेज रफ्तार से इनकी बाइक को टक्कर मारी। इस कार को 17 साल का एक नाबालिग लड़का चला रहा था। आरोपी का पिता पुणे का एक जाना-माना बिल्डर है।
मैंने किसी को फोन नहीं किया-विधायक तिंगरे
हैरान करने वाली बात यह है कि हादसे के एक घंटे के भीतर स्थानीय विधायक सुनील तिंगरे पुलिस स्टेशन पहुंच गए। रिपोर्टों की मानें तो विधायक को आरोपी के पिता का फोन आया था। हालांकि, तिंगरे का कहना है कि वह पुलिस पर दबाव बनाने के लिए नहीं गए थे। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने कहा कि 'आप मेरे फोन रिकॉर्ड्स देख सकते हैं। केस को कमजोर करने के लिए मैंने किसी पुलिस अधिकारी और नेता को फोन नहीं किया। मेरे विरोधी मुझे बदनाम करने के लिए झूठी बातें फैला रहे हैं।'
मैं लड़के से नहीं मिला-विधायक
विधायक तिंगरे का कहना है कि रात 3.20 बजे उनके निजी सहायक और उन्हें नाबालिक लड़के के पिता का फोन आया। लड़के के पिता ने उन्हें बताया कि उनका लड़का सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया है और भीड़ उसे पीट रही है। सूचना मिलने पर वह मौके पर गए लेकिन तब तक पुलिस उसे यरवदा पुलिस स्टेशन ले जा चुकी थी। वह पुलिस स्टेशन गए लेकिन थाने में इंस्पेक्टर नहीं थे। थाने में करीब एक घंटा रुकने के बाद वह वापस आ गए। इस दौरान पुलिस स्टेशन के बाहर भारी भीड़ जमा थी। विधायक पर आरोप हैं कि उन्होंने थाने में लड़के को पिज्जा और पानी देने की बात कही। इस पर उन्होंने कहा, 'मैं लड़के से नहीं मिला और न ही मेरी उससे कोई बात हुई तो मैं उसे पिज्जा कैसे ऑफर कर सकता हूं।'
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पुलिस ने केस को हल्के में लिया
शुरुआत में पुणे पुलिस ने जिस तरह से इस केस को लिया, इससे उसकी काफी आलोचना हो रही है। सड़क हादसे में दो युवकों की जान जाने के मामले में उसे आईपीसी की सख्त प्रावधानों में केस दर्ज करना चाहिए था लेकिन उसने आरोपी नाबालिग को निबंध लिखने और 15 दिनों तक सामाजिक कार्य करने की शर्त पर छोड़ दिया। यह हादसा रात के करीब 2.30 बजे हुआ और इस हादसे के तुरंत बाद वहां लोगों ने नाबालिग लड़को को पकड़ भी लिया, फिर भी उसका ब्लड टेस्ट आठ घंटे से ज्यादा समय बीत जाने के बाद कराया गया। इस पर भी पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं।
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आरोपी को बचाने के लिए ब्लड टेस्ट में हुई देरी!
रिपोर्टों में बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व जज बीजी कोल्से पाटील के हवाले से कहा गया कि ब्लड टेस्ट में हुई देरी का मतलब है कि आरोपी के खिलाफ केस कमजोर करने के लिए देरी हुई। आठ घंटे में शरीर में अल्कोहल की मौजूदगी पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है। जाहिर है कि इसके बाद टेस्ट रिजल्ट निगेटिव आएगा जो कि आरोपी के पक्ष में जाएगा।
पुलिस हिरासत में पिता, निगरानी केंद्र में आरोपी
मीडिया में मामला सामने आने के बाद देश भर में उभरे आक्रोश के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की। 17 वर्षीय किशोर को तुरंत जमानत दिए जाने को लेकर हुए हंगामे के बाद किशोर न्याय बोर्ड ने बुधवार को उसे पांच जून तक के लिए निगरानी केंद्र में भेज दिया। वहीं, सत्र अदालत ने पेशे से रियल एस्टेट डेवलपर उसके पिता को पुलिस हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने कहा कि बोर्ड ने नाबालिग को तीन दिन पहले दी गई जमानत बुधवार शाम को रद्द कर दी जबकि उसके वकील ने दावा किया कि जमानत रद्द नहीं हुई है।
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