शाइस्ता के हाथों में थी अतीक की इस खास गैंग की कमान, उसका हर हुक्म मानना था जरूरी

कुछ दिन पहले खबर आई थी कि शाइस्ता परवीन सरेंडर करना चाहती है, लेकिन ये सिर्फ कयास ही साबित हुए। पुलिस अब तक खाली हाथ है।

Shaista Parveen

यूपी पुलिस शाइस्ता परवीन की जोरों से तलाश में जुटी

Shaista Parveen: अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन की यूपी पुलिस जोरों से तलाश में जुटी हुई है। न वह बेटे असद की मौत पर पहुंची और न ही पति अतीक के जनाजे में शामिल हुई। आखिर कहां है शाइस्ता परवीन इसे लेकर पुलिस भी चकरा गई है। उमेश पाल हत्याकांड के 6 आरोपी मारे जा चुके हैं या सलाखों के पीछे हैं, लेकिन परवीन और गुड्डू मुस्लिम अब तक फरार हैं। कुछ दिन पहले खबर आई थी कि शाइस्ता परवीन सरेंडर करना चाहती है, लेकिन ये सिर्फ कयास ही साबित हुए। पति और बेटे को दफन नहीं करने के दौरान भी उसका कब्रिस्तान नहीं पहुंचना साबित करता है कि उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा है।

आईएस- 227 गैंग

इस बीच शाइस्ता को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं। बताया जाता है कि अतीक के जेल में रहने के दौरान वह एक खास गैंग की मुखिया थी। खबरों की मानें तो अतीक ने आईएस- 227 (IS-227) नाम से एक गैंग बनाया था। अतीक की गैरमौजूदगी में शाइस्ता ही इसे चला रही थी। उसका हुक्म मानना गैंग के हर सदस्य के लिए जरूरी था।

90 के दशक में अतीक एक लोकल बिजनेसमैन था और उसने अपराध में कदम रखने के सात ही अपना क्राइम सिंडिकेट खड़ा कर लिया था। इसे उसने आईएस-227 का नाम दिया था। ये गैंग उगाही और जमीन कब्जाने में लिप्त था। अतीक के जेल जाने के बाद इसी गैंग की कमान शाइस्ता के हाथों आ गई थी।

शाइस्ता ने भले ही सियासत में कदम रख दिया हो, लेकिन वह किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं थी। किसी भी प्लेटफॉर्म पर उसका अकाउंट नहीं है। उससे जुड़ी बहुत कम ही जानकारी लोगों को है।

शाइस्ता का सियासी सफर और मुश्किलें

अतीक अहमद के बुरे दिनों की शुरुआत के साथ ही शाइस्ता ने सियासत में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। उसने 2021 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को चुना। ओवैसी की मौजूदगी में ही शाइस्ता एआईएमआईएम में शामिल हुई। लेकिन इस पार्टी में शाइस्ता को कोई खास फायदा होता नहीं दिखा। यूपी में ओवैसी का असर नहीं है, ये शाइस्ता को समझ आ गया। अब उसके सामने दो विकल्प थे, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी। 5 जनवरी 2023 को शाइस्ता ने बीएसपी का दामन थाम लिया। वह पार्टी नेताओं की मौजूदगी में बीएसपी में शामिल हुी। इस दौरान उसका बेटा असद अहमद भी मंच पर मौजूद था।

लेकिन शाइस्ता को यहां से भी झटका लगा। अतीक के इतिहास को देखते हुए और उमेश पाल हत्याकांड में शाइस्ता का नाम सामने आने के बाद बीएसपी ने उससे किनारा कर लिया। शाइस्ता के फरार रहने के बीच बीएसपी ने साफ कर दिया कि वह शाइस्ता को निकाय चुनाव में टिकट नहीं देगी। इसी बीच अतीक और अशरफ की सनसनीखेज हत्या ने शाइस्ता की मुश्किलों में और इजाफा कर दिया।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्राइम (crime News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited