जरा सोचिए... मां को पीटते वक्त हाथ नहीं कांपे? जन्म देने वाली का गुनगहार बेटा पेशे से वकील

Crime in Punjab: जिस मां ने 9 महीने अपनी कोख में रखा और इस दुनिया में लाने के लिए अथाह पीड़ा का सामना किया, कोई बेटा भला उस मां पर हाथ कैसे उठा सकता है? रिश्तों का गला घोंटने वाला ये वाकया पंजाब के रूपनगर का है। पेशे से वकील एक बेटे ने अपनी मां की पिटाई कर दी। ऐसी ओछी हरकत करते हुए अंकुर वर्मा के हाथ नहीं कांपे?

पेशे से वकील बेटे अंकुर वर्मा ने लाचार मां को पीटा।

Rupnagar News: धरती पर अगर कोई जीवित भगवान है तो वो जन्म देने वाली मां और दुनियादारी सिखाने वाले पिता ही हैं। मगर मां में सारा संसार बसता है और कोई संतान अपने ही मां को भला कैसे प्रताड़ित कर पाती है? दरअसल, एक और कलयुगी बेटे की काली करतूत सामने आई है, जिसने रिश्तों को कलंकित और शर्मसार कर दिया। वाकया पंजाब के रूपनगर की है, जहां एक बुजुर्ग महिला की उसी के बेटे जो पेशे से वकील है अंकुर वर्मा ने पिटाई कर दी। इस शर्मनाक हरकत के बाद जेहन में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या मां को पीटते वक्त एक बेटे के हाथ नहीं कांपे होंगे?

बेटे ने भुला दिया दूध का कर्ज, तोड़ी सारी हदें

मां की ममता के आगे हर मुश्किल घुटने टेक देती है, मगर जब एक बेटा ही अपने मां को दर्द देने पर उतारू हो जाए तो वो सिर्फ बेबस हो जाती है। जरा सोचिए, मां ने अपनी पूरी जिंदगी अपने बच्चे को खुशहाल जीवन देने में बिता दिया, 9 महीने उसे अपनी कोख में रखा, अथाह पीड़ा सहकर उसे इस दुनिया में लाया। बचपन में उस बेटे की किलकारियों को ही अपनी जिदंगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा बना लिया। अपना दूध पिलाकर उसकी भूख मिटाई, उंगली पकड़कर उसे चलना सिखाया, दुनियादारी समझा कर उसे चुनौतियों का सामना करने के काबिल बनाया। एक बेटा सारी उम्र अपनी मां का सबसे बड़ा कर्जदार होगा है और वही बेटा जब अपनी औकात भूल जाए और सारी हदें तोड़ दे, तो समझिए उसका विनाश निश्चित है।

मां के दर्द को दरकिनार करने वाले कहां जाएंगे?

एक भजन की पंक्ति है, "रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलजुग आएगा, हंस चूगेगा दाना दुनका, कव्वा मोती खाएगा। धरम भी होगा, करम भी होगा, लेकिन शरम नहीं होगी। बात-बात पे मात-पिता को बेटा आंख दिखाएगा।" भजन में तो सिर्फ आंख दिखाने का जिक्र किया गया है, मगर सोचिए एक बेटे ने अपनी ही मां को पीट दिया। हैरानी की बात है कि वो बेटा पेशे से वकील है, जब उसके माता पिता ने उसे पढ़ा-लिखाकर वकील बनाया होगा तो ये ख्वाब जरूर देखा होगा कि मेरा बेटा लोगों के हक और हुकूक की आवाज उठाएगा, मजबूरों को इंसाफ दिलाएगा, मगर अफसोस उस वकील अंकुर वर्मा ने अपनी मां के खिलाफ ही गुनाहों की गाथा लिख दी। धिक्कार है, ऐसे बेटों पर जो अपनी मां का सम्मान नहीं करते हैं।

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