Pune Porsche Case: पुणे पोर्श कांड में रईस के हाथों बिकने वाले डॉक्टर की कहानी!

Pune Porsche Case: 19 मई की बात है, पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्टस कार पोर्श से बाइक पर सवाल दो इंजीनियरों को रौंद दिया, जिससे दोनों की मौत हो गई। इस घटना के 14 घंटे बाद 17 साल के इस रईसजादे को कोर्ट से जमानत भी मिल गई, कुछ शर्तों के साथ।

पुणे पोर्श कांड में डॉक्टर पर लगे हैं गंभीर आरोप

Pune Porsche Case: कुछ लाइनें क्लीशे होती हैं। क्लीशे यानी ऐसा घिसा पिटा वाक्य या विचार जो बहुत अधिक इस्तेमाल होने की वजह से अपना अर्थ खो चुका हो। ऐसी ही एक क्लीशे सी लाइन है। डॉक्टर तो धरती पर भगवान का रूप होता है। ऐसे अनेकों उदाहरण हैं डॉक्टरों के, जिसमें लाश का इलाज कर पैसे बटोरे गए, इलाज के नाम पर धंधा किया गया, लोगों की जान से खेला गया, शरीर के ऑर्गन्स का व्यापार हुआ, लेकिन हम डॉक्टरों को हैवान नहीं कहने लगे हैं। कुल जमा बात ये है कि डॉक्टरी भी अन्य पेशों की तरह एक पेशा है, जिसमें नफा और नुकसान से बहुत कुछ तय होता है। इसमें अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग पाए जाते हैं। फिर एक चीज है पैसा और वो भी खूब सारा। वो एक फिल्मी डायलॉग है कि पैसा हो तो बाबू भैया क्या कुछ नहीं हो सकता। पुणे में कुछ ऐसा ही हुआ।

पुणे पोर्श कांड की शुरुआत

19 मई की बात है, पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्टस कार पोर्श से बाइक पर सवाल दो इंजीनियरों को रौंद दिया, जिससे दोनों की मौत हो गई। इस घटना के 14 घंटे बाद 17 साल के इस रईसजादे को कोर्ट से जमानत भी मिल गई, कुछ शर्तों के साथ। शर्तें भी दिलचस्प थीं, जैसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव और समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने की शर्त पर आरोपी को ज़मानत मिल गई। हालांकि पुलिस की जांच में सामने आया कि हादसे के वक्त रईसजादे की कार की स्पीड बहुत तेज थी, जो उसके कंट्रोल से बाहर हो गई। इस दौरान इस तथाकथित नाबालिग ने शराब पी हुई थी। कंट्रोल होता भी तो कैसे, लेकिन इस घटना में शहर के एक अमीर और प्रभावशाली व्यक्ति का बेटा गुनाहगार था। तो पूरा सिस्टम उस पर कैसे मेहरबान होता है इसकी बानगी देखिए।

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