Narco Test : नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट में क्या है अंतर? इसके जरिए इस बात का पता करती है पुलिस

Narco test : दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को आफताब का नार्को टेस्ट कराने की इजाजत दी है। हालांकि, इजाजत देने से पहले कोर्ट ने आफताब से पूछा कि क्या वह इस टेस्ट के लिए तैयार है। इस पर 28 वर्षीया हत्यारोपी ने अदालत से कहा कि वह नार्को टेस्ट के लिए तैयार है और इस टेस्ट के प्रभाव के बारे में उसे पता है।

मुख्य बातें
  • गत 18 मई को दिल्ली में श्रद्धा का गला दबाकर आफताब पूनावाला ने हत्या की
  • पुलिस से बचने एवं शव को ठिकाने के लिए उसने शरीर के 35 टुकड़े कर दिए
  • शव के टुकड़ों को आफताब ने घर के फ्रीज में छिपाकर रखा और उसे फेंकता रहा

Shraddha Walkar murder case : श्रद्धा वॉकर हत्याकांड को सुलझाने और उसकी तह तक पहुंचने के लिए दिल्ली पुलिस लगातार काम कर रही है। देश को झकझोर देने वाला इस हत्याकांड में दिल्ली से मुंबई तक हलचल बढ़ी है। हत्याकांड की कड़ियों को जोड़ने के लिए दिल्ली पुलिस आफताब आलम का नार्को टेस्ट कराने वाली है। पुलिस को उम्मीद है कि इस टेस्ट में आफताब से उन रहस्यों एवं राज से परदा उठाएगा जिसके बारे में अब तक की पूछताछ में वह छिपाता रहा है। पुलिस मैदानगढ़ी के तालाब में श्रद्धा के शव के टुकड़ों की भी तलाश करेगी। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ में आफताब ने बताया है कि उसने श्रद्धा के सिर को तालाब में फेंका था।

दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को आफताब का नार्को टेस्ट कराने की इजाजत दी है। हालांकि, इजाजत देने से पहले कोर्ट ने आफताब से पूछा कि क्या वह इस टेस्ट के लिए तैयार है। इस पर 28 वर्षीया हत्यारोपी ने अदालत से कहा कि वह नार्को टेस्ट के लिए तैयार है और इस टेस्ट के प्रभाव के बारे में उसे पता है।

क्या होता है नार्को टेस्ट? What is a narco test?

नार्को टेस्ट के दौरान एक दवा जिसे सोडियम पेंटोथल कहा जाता है, इसे आरोपी के शरीर में इंजेक्शन के जरिए लगाया जाता है। यह दवा आरोपी को हाइप्नोटिक अवस्था में ले जाती है। एक तरह से कहें तो शरीर में दवा जाने के बाद व्यक्ति कुछ मिनट से लेकर लंबे समय के लिए बेहोशी में चला जाता है। दवा के असर के चलते आरोपी या व्यक्ति की कल्पनाशक्ति काम करना बंद कर देती है। समझा जाता है कि इस हाइप्नोटिक अवस्था में आरोपी झूठ बोलने में असमर्थ हो जाता है और इस बात की उम्मीद बढ़ जाती है कि उसके द्वारा दी जाने वाली जानकारी सही होगी। व्यक्ति को थोड़े समय के लिए लेकिन तेज असर के लिए सोडियम पेंटोथल की कम मात्रा दी जाती है लेकिन सर्जरी के दौरान मरीज को लंबे समय तक बेहोश रखने के लिए इस दवा की मात्रा डॉक्टर बढ़ा देते हैं। बताया जाता है कि यह दवा आरोपी की झूठ बोलने की याददाश्त को कमजोर कर देती है। इसे कई बार 'ट्रूथ सीरम' भी कहा जाता है। इस दवा का इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के समय से खुफिया एजेंसियों द्वारा किया जाता रहा है।

क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट से अलग है?

पॉलीग्राफ टेस्ट, नार्को टेस्ट से अलग होता है। पॉलीग्राफ टेस्ट में माना जाता है कि व्यक्ति या आरोपी जब झूठ बोलता है तो उसके शरीर के पैरामीटर्स सामान्य अवस्था से अलग हो होते हैं। पॉलीग्राफ टेस्ट में मशीन का इस्तेमाल झूठ पकड़ने के लिए होता है। ज्यादातर इसका उयपोग किसी अपराधी से सच बोलवाने के लिए किया जाता है। इसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहते हैं। पॉलीग्राफ टेस्ट किसी व्यक्ति की हृदय गति/रक्तचाप, सांस की गति, रक्त के प्रवाह को मापता है। इस टेस्ट में व्यक्ति को किसी तरह की दवा नहीं दी जाती। इस टेस्ट के दौरान व्यक्ति से सवाल पूछे जाते हैं और उससे मिले जवाबों को अंकों के जरिए एक मूल्य दिया जाता है। ये अंक बताते हैं कि व्यक्ति सत्य बोल रहा है या झूठ अथवा वह असमंजस में है।

इस तरह का पहला टेस्ट 19वीं शताब्दी में हुआ

बताया जाता है कि इस तरह का पहला टेस्ट 19वीं शताब्दी में इटली के क्राइमोनोलोजिस्ट सेसारे लोम्बोर्सो ने किया। वह पूछताछ के दौरान अपराधियों का रक्त चाप में होने वाले बदलावों का पता लगाने के लिए एक मशीन का इस्तेमाल करते थे। इसके बाद इसी तरह की एक मशीन का निर्माण साल 1914 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम मार्सन ने और कैलिफोर्निया के पुलिस अफसर जॉन लार्सन ने 1921 में किया।

100 प्रतिशत खरे नहीं हैं ये दोनों टेस्ट

जघन्य अपराध करने वाले शातिर अपराधी पूछताछ में सच नहीं बताते और जांच के दौरान पुलिस को गुमराह करते हैं। पुलिस पर हत्याकांड को सुलझाने का दबाव रहता है। ऐसे में वह पूछताछ के सभी संभावित तरीकों का इस्तेमाल करने के रास्ते पर आगे बढ़ती है। हालांकि, पूछताछ के इन वैज्ञानिक तरीकों पर सवाल भी उठते है क्योंकि ये दोनों टेस्ट कभी भी 100 प्रतिशत खरे नहीं उतरे हैं। इसलिए इनसे प्राप्त नतीजों को हमेशा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और इन्हें चुनौती दी जाती है। पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट दोनों मेडिकल क्षेत्र में विवाद के विषय रहे हैं।

क्या है श्रद्धा मर्डर केस

आफताब पूनावाला (28) अपनी गर्लफ्रेंड श्रद्धा वॉकर के साथ दिल्ली में लिव-इन में रहता था। पुलिस की एफआईआर के मुताबिक गत 18 मई को उसने गला दबाकर श्रद्धा की हत्या कर दी। इसके बाद आफताब ने शव को ठिकाने लगाने के लिए शद्धा के शरीर के 35 टुकड़े कर दिया। शव के इन टुकड़ों को वह 300 लीटर के एक फ्रीज में रखा। बाद में वह शव के टुकड़ों को महरौली के जंगलों एवं अन्य जगहों पर फेंकता रहा। पुलिस के मुताबिक आफताब की निशानदेही पर वह श्रद्धा के शव के कई टुकड़ों को बरामद कर चुकी है लेकिन अभी तक पीड़िता का सिर बरामद नहीं हुआ है। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ में आफताब ने सिर को मैदान गढ़ी के तलाब में फेंकने की बात कही है। अभी कई ऐसे सवाल हैं जिनसे इस हत्याकांड में परदा उठना है। सूत्रों का कहना है कि नार्को टेस्ट में आफताब से पूछने के लिए पुलिस ने 50 सवाल तैयार किए हैं।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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