राजद्रोह के मुकदमे में क्या है सजा का प्रावधान? जानें इस कानून से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात

Sedition Law Important Things: भारत में इन दिनों समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विवाद गहराया हुआ है। एक देश-एक कानून के इस मुद्दे पर सभी धर्म अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं। यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने की तैयारी जोरों से चल रही है। आपको भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A (राजद्रोह) से रूबरू करवाते हैं।

राजद्रोह कानून के तहत क्या है सजा का प्रावधान?

Section 124A in Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A (राजद्रोह) के सेक्शन को हटाने का विवाद अब तक सुलझ नहीं सका है। इस मसले पर बीते जून के महीने में कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ऋतु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले लॉ कमीशन ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी, जिसमें ये कहा गया था कि इस सेक्शन को खत्म नहीं करना चाहिए, बल्कि इसमें कुछ संशोधन के साथ इसे लागू रखना चाहिए। आपको आज समझाते हैं कि राजद्रोह का मुकदमे में सजा का क्या प्रावधान है और इस कानून का इतिहास क्या कहता है।

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भारत में कहां से आया राजद्रोह कानून?

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17वीं शताब्दी में राजद्रोह कानून को इंग्लैंड में पारित किया गया था, उस वक्त कानून बनाने वालों का मानना था कि सरकार के प्रति अच्छी राय रखने वाले विचारों को ही सिर्फ अस्तित्व में होना चाहिए, गलत राय का सरकार और लोगों पर गलत इम्पैक्ट पड़ सकता है। ब्रिटिश इतिहासकार और राजनीतिज्ञ थॉमस मैकाले ने वर्ष 1837 में इस कानून का मसौदा तैयार किया था। हालांकि 1860 में आईपीसी लागू करने के वक्त इसे भारतीय दंड संहिता में शामिल नहीं किया गया था। वर्ष 1870 में जेम्स स्टीफन ने एक संशोधन पेश किया और उस वक्त धारा 124A को आईपीसी से जोड़ा गया।

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