हिरासत में महिलाओं को कौन कर रहा है प्रेग्नेंट? न्यायमित्र का कलकत्ता हाईकोर्ट में दावा, आपराधिक खंडपीठ के पास पहुंचा मामला
कलकत्ता उच्च न्यायालय को गुरुवार को सूचित किया गया कि पश्चिम बंगाल की जेलों में हिरासत के दौरान महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं।
बंगाल की जेलों में महिलाएं हो रही हैं गर्भवती (प्रतीकात्मक फोटो- Pixabay)
पश्चिम बंगाल से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां दावा किया गया है कि हिरासत में महिलाएं प्रग्नेंट हो रही हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट में यह दावा किया गया है, जिसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले को आपराधिक खंडपीठ के पास भेज दिया है।
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196 बच्चे हुए पैदा
कलकत्ता उच्च न्यायालय को गुरुवार को सूचित किया गया कि पश्चिम बंगाल की जेलों में हिरासत के दौरान महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं। राज्य के सभी सुधार गृहों के न्याय मित्र ने कलकत्ता उच्च न्यायालय को सूचित करते हुए कहा- “जेलों में रहने के दौरान कैदी गर्भवती हो रहे हैं। जेलों में कम से कम 196 बच्चे पैदा हुए।"
'महिला बाड़ों में पुरुष कर्मचारियों के प्रवेश पर लगे रोक'
न्याय मित्र ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ के समक्ष दो नोट रखे। एमिकस क्यूरी ने कहा कि यह जानना दिलचस्प है कि हिरासत में रहने के दौरान महिला कैदी गर्भवती हो रही हैं। इसके बाद जेलों में बच्चों का जन्म होता है। वर्तमान में, 196 बच्चे पश्चिम बंगाल की विभिन्न जेलों में रह रहे हैं। न्याय मित्र ने आग्रह किया कि महिला कैदियों के बाड़ों के अंदर सुधार गृहों के पुरुष कर्मचारियों के प्रवेश पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।
निरीक्षण के दौरान खुलासा
उन्होंने आगे कहा- "हाल ही में, मैंने सुधार गृहों के महानिरीक्षक (विशेष) और जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव के साथ एक महिला सुधार गृह का दौरा किया। मैंने पाया कि एक गर्भवती महिला और कम से कम 15 अन्य महिला कैदी अपने बच्चों के साथ रह रही थीं। उनका जन्म जेल में हुआ था।"
आपराधिक खंडपीठ के पास मामला ट्रांसफर
न्याय मित्र के दावे के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले को आपराधिक खंडपीठ को स्थानांतरित करने का आदेश दिया। जिसके बाद अब वहीं पर इस मामले की सुनवाई होगी।
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