'कैमिकल, गूगल, क्रेडिट कार्ड का बिल....' श्रद्धा के हत्यारे आफताब की प्लानिंग सुनकर उड़ जाएंगे आपके होश

Shraddha Walkar Murder: आफ़ताब ने जो कपड़े पहनकर श्रद्धा के शरीर के टुकड़े किए थे वो कपड़े और श्रद्धा के खून से सने कपड़े उसने कूड़ेदान में फेंक दिए थे। इन्हें पुलिस लंबा समय बीत जाने की वजह अब तक बरामद नही कर पाई है। वहीं बताया जा रहा है कि 18 मई को आफताब का श्रद्धा से झगड़ा हुआ था। झगड़े के बाद वो श्रद्धा की छाती पर बैठ गया फिर उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी।

मुख्य बातें
  • उसने पहले उसके हाथों के तीन टुकड़े किए, इसके बाद पैर के भी तीन टुकड़े किए
  • इसके बाद रोज वो बैग में रखकर इन्हें फेंकने के लिए ले जाता था, हत्या के बाद 300 लीटर का फ्रिज खरीदा
  • कमरे में जलाता था अगरबत्ती जलाता, ताकि बदबू को दबाया जा सके
Aftab Ameen Poonawala: साइको किलर ने 26 साल की श्रद्धा की लाश को ठिकाने लगाने के लिए क्राइम ड्रामा,थ्रिलर शो, कई ऐसी मूवीज देखीं जिसमें हत्या के बाद लाश को ठिकाने लगाने की थोड़ी सी भी जानकारी थी। इस हाईटैक हत्यारे ने जब श्रद्धा (Shraddha Walkar) का गला दबाकर मर्डर कर दिया तो फिर इसके आगे का मकसद था श्रद्धा की लाश को ठिकाने कैसे लगाया जाए। Police सूत्रों के मुताबिक आफताब ने जब श्रद्धा के शव (Murder) के टुकड़े-टुकड़े कर दिए तो उसके सामने एक चुनौती श्रद्धा के शव के साथ-साथ खून के धब्बे मिटाने की भी थी। आफताब ने इस दौरान Google पर खोजा-खून कैसे साफ करें।

कैमिकल से धोया फर्श

आफताब ने श्रद्धा के मर्डर को छिपाने के लिए बारीक से बारीक काम किया। छोटे से छोटे सबूत को मिटाने की मास्टर प्लानिंग की।2022 के साइको किलर ने लाश को ठिकाने लगाने के लिए हर हाईटैक कोशिश की किन नतीजा सिफर रहा। दिल दहला देने वाली इस वारदात में पता चला है कि आफताब ने श्रद्धा के शरीर के टुकड़े करने के बाद पूरे घर को कैमिकल सोडियम हाइपो क्लोराइड से धोया था। ऐसा उसने इसलिए किया था, जिससे पुलिस के हाथ कोई सबूत ना लगे। श्रद्धा केस में आरोपी आफताब ने सोडियम हाइपो क्लोराइड के बारे में जानकारी इंटरनेट से निकाली थी। ये ऐसा केमिकल है जिसके इस्तेमाल के बाद फॉरेंसिक टीम को भी सबूत मिलने में मुश्किल होती है।

गूगल पर किया सर्च

इतना ही नहीं आफ़ताब ने श्रद्धा के शरीर को काटने से पहले ह्यूमन ऑटोनामी, ऑटोप्सी, शरीर को टुकड़ों में कैसे काटा जाये इंटरनेट पर सर्च किया था। वहीं श्रद्धा के खून से सने कपड़ों को...छिपाने के लिए हत्यारे आफताब ने उन्हें कूड़ेदान में फेंक दिया ताकि पुलिस या श्रद्धा का कोई भी रिश्तेदार आफताब तक न पहुंच सके। लेकिन आफताब ये भूल गया था कि कानून के हाथ बेहद लंबे होते हैंऔर दिल्ली पुलिस की थोड़ी सी सख्ती के सामने आफताब ने सनसनीखेज राज खोलकर रख दिए।

कबूल कर बोला- Yes I Killed her

दिल्ली पुलिस भी इस बात को मान रही है कि हत्या का आरोपी आफताब बेहद शातिर है वो लगातार इंग्लिंश में बात कर रहा है और उसे कोई घबराहट नहीं है।पुलिस ने जब आफताब से सख्ती से पूछताछ की। आफताब ने पुलिस से कहा- "Yes I killed her" वहीं पुलिस को अब तक जांच में पता चला है कि आरोपी आफ़ताब महरौली के मकान में पहले 15 मई को खुद शिफ्ट हुआ फिर अगले दिन अपनी दोस्त श्रद्धा को मकान पर लाया और 18 मई को उसकी हत्या कर दी।18 मई को श्रद्धा की हत्या के बाद दूसरे दिन 19 मई को आफताब महरौली गया और फिर उसकी बॉडी को ठिकाने लगाने के मकसद में जुट गया।

खुद भरा क्रेडिट कार्ड का बिल

श्रद्धा मर्डर केस में जो खुलासे हो रहे हैं उसे सुनकर पूरा देश सन्न है क्योंकि श्रद्धा की सिर्फ बेरहमी से हत्या नहीं हुई बल्कि हत्यारे आफताब ने डेडबॉडी को ठिकाने लगाने के लिए जो साजिश रची वो बेहद डरावनी और खौफनाक है। आफताब ने हर कदम फूंक-फूंककर रखा और लगभग हर सबूत को मिटाने की पूरी कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक आरोपी आफताब ने श्रद्धा के क्रेडिट कार्ड बिल का भी भुगतान किया था ताकि कंपनी उसके मुंबई वाले अड्रेस पर कॉन्टैक्ट न कर सके। आफताब पूनावाला की पूछताछ से कथित तौर पर पता चला कि दोनों छोटी-छोटी बातों पर लड़ने लगे थे और उन दोनों के रिश्ते बिगड़ गए थे। उन्हें एक-दूसरे पर धोखा देने और झूठ बोलने का शक था वे एक-दूसरे को फोन करते थे और सटीक जीपीएस लोकेशन और अपने आसपास की तस्वीरें मांगते थे। झगड़े अक्सर हिंसक हो जाते थे।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | क्राइम (crime News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

किशोर जोशी author

राजनीति में विशेष दिलचस्पी रखने वाले किशोर जोशी को और खेल के साथ-साथ संगीत से भी विशेष लगाव है। यह टाइम्स नाउ हिंदी डिजिटल में नेशनल डेस्क पर कार्यरत ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited