Sanskrit Motivational Shlok for students: संस्कृत के इन 7 श्लोकों में छिपा है टॉपर बनने का राज, आज ही गांठ बांध लें
Best Sanskrit Motivational Shloka for students: आज हम आपके लिए लाएं हैं संस्कृत के 7 ऐसे श्लोक जिनमें टॉपर बनने का राज छिपा है। इन श्लोक में बताया गया है कि छात्र को कैसा होना चाहिए। अगर आप संस्कृत के इन श्लोक में बताई गई बातों को अपने भीतर उतार लेंगे तो टॉप करने से आपको कोई नहीं रोक पाएगा।
Best Sanskrit Motivational Shlok for students
Best Sanskrit Motivational Shloka for students: जिंदगी की भीड़ में सूरज सा चमकना है तो मेहनत की रणनीति बदलनी पड़ती है। हर रोज किसी न किसी बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जा रहा है। इन रिजल्ट में कोई टॉप करता है तो कोई फेल होता है। टॉप करने वाले और फेल होने वाले एक ही क्लास के छात्र होते हैं, फिर ऐसा क्या है कि एक टॉप और एक फेल। दरअसल, सही रणनीति है जो टॉपर बना देती है। आज हम आपके लिए लाएं हैं संस्कृत के 7 ऐसे श्लोक जिनमें टॉपर बनने का राज छिपा है। इन श्लोक में बताया गया है कि छात्र को कैसा होना चाहिए। अगर आप संस्कृत के इन श्लोक में बताई गई बातों को अपने भीतर उतार लेंगे तो टॉप करने से आपको कोई नहीं रोक पाएगा।
Inspirational Sanskrit Shlokas to become topper
काक: चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पाहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंचलक्षणम् ॥
अर्थ - कौए की तरह चतुर, बगुले की तरह ध्यान करना, स्वान की तरह कम नींद लेना, कम खाना और ग्रह त्याग करना ही विद्यार्थी के पांच लक्षण होते हैं।
विद्वानेवोपदेष्टव्यो नाविद्वांस्तु कदाचन । वानरानुपदिश्याथ स्थानभ्रष्टा ययुः खगाः ॥
अर्थ - सलाह समझदार को देनी चाहिए ना कि किसी मुर्ख को. ध्यान रहे कि बंदरो को सलाह देने के कारण पक्षियों ने भी अपना घोंसला गवां दिया था।
विद्यार्थियों के लिए संस्कृत के श्लोक | Sanskrit Shloka For Students
सुलभा: पुरुषा: राजन् सततं प्रियवादिन: । अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभ:।।
अर्थ - मीठा बोलने वाले बहुत मिलते हैं लेकिन अच्छा ना लगने वाला और हित में बोलने और सुनने वाले लोग बहुत मुश्किल से मिलते हैं।
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैवकुटम्बकम्॥
अर्थ - यह अपना है और यह दूसरों का है जैसी बातें छोटी सोच वाले कहते हैं। उदार लोगों के लिए पूरी दुनिया ही परिवार जैसी होती है।
Best Sanskrit Shloka For Students
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
अर्थ - सफलता कार्य करने से मिलती है ना कि मंसूबे गांठने से। सोते हुए शेर के मुंह में भी हिरन अपने से आकर नहीं घुसता है कि यह ले शेर भूख लगी है तो मुझे खा ले।
लसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् । अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥
अर्थ - आलस करने वाले को ज्ञान कैसे होगा, जिसके पास ज्ञान नहीं उसके पास पैसा नहीं और पैसा नहीं तो दोस्त नहीं बनेंगे और बिना दोस्त जीवन में सुख कैसे आएगा।
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
अर्थ - पढ़ने लिखने से शरूर आता है और शऊर से काबिलियत। काबिलियत से पैसे आने शुरू होते हैं और पैसों से धर्म और फिर सुख मिलता है।
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TNN एजुकेशन डेस्क author
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