Chandrayaan 3 Mission: चंद्रयान 3 के लैंडर कैमरे ने ली चांद की सुदर तस्वीरें....जानें क्या होता है लैंडर व रोवर
Chandrayaan 3 Picture from Space: चंद्रयान 3 की लैंडिंग में कुछ घंटे का वक्त बचा है, ऐसे में ISRO ने 70 किलोमीटर की ऊंचाई से लैंडर कैमरे से ली गई तस्वीरें जारी की हैं, जिन्हें देख कर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। आइये जानते हैं क्या होता है लैंडर व रोवर
चंद्रयान 3: जानें क्या होता है लैंडर व रोवर (image - canva)
Chandrayaan 3 Picture from Space: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जल्द ही इतिहास के पन्ने में नाम दर्ज कराने वाला है, चंद्रयान 3 को 14 जुलाई को छोड़ा गया था, जो कि 23 अगस्त को 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर लैंड करने वाला है, इस समय चंद्रयान 3 चांद से महज 25 किमी के पास है, ऐसे में चंद्रयान 3 ने चांद की बेहतरीन पिक्सर्च भेजना शुरू कर दिया है। इन फोटो को लैंडर के कैमरे से लिया गया है, आइये जानें क्या होता है लैंडर व रोवर
चांद की तस्वीर
चंद्रयान-3 मिशन पूरा होने को है, चंद घंटो के बाद चंद्रयान 3 चांद की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस बीच चंद्रयान 3 के लैंडर ने तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया है, जी हां, चांद की सतह से लगभग 70 किलोमीटर की ऊंचाई लैंडर ने कुछ तस्वीरें ली हैं, जिन्हें देखकर हर भारतीय का सीना चौड़ा हो जाएगा।
क्या है एनपीडीसी
एनपीडीसी यानी ‘लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा’ इसी के मदद से चंद्रमा की तस्वीरें 22 अगस्त को जारी की गई हैं। इसरो ने बताया कि एलपीडीसी से ली गई तस्वीरें यान पर मौजूद चंद्रमा के संदर्भ मानचित्र के साथ मिलान करके इसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) की सहायता करती हैं।
चंद्रयान 3 की लैंडिंग का समय
लैंडर मॉड्यूल के बुधवार यानी 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की पूरी संभावना है। यह लैंडिंग शाम 6 बजकर 4 मिनट पर की जाएगी। इसरो ने ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड एवाइडेंस कैमरा’ (एलएचडीएसी) से ली गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें सोमवार को जारी की हैं, आइये देखें
क्या है लैंडर व रोवर
लैंडर चंद्रयान 3 का एक भाग है, जैसा कि आप जानते हैं कि इस तरह के स्पेस मिशन में कई चीजें होती हैं, जैसे रॉकेट, लैंडर, रोवर इत्यादि। रॉकेट चंद्रयान को उसके गंतव्य तक पहुंचाकर धीरे धीरे अलग हो जाता है, और अंतरिक्ष का कचरा बनकर रह जाता है। इसके बाद लैंडर आगे बढ़ता है, और इसी के अंदर रोवर होता है, जिसमें पहिए लगे होते हैं और यह चांद की धरती पर धीरे धीरे कुछ दूरी तक चलेगी और सैंपल इकट्ठा करेगा। इसरो ने लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा है।
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