Diwali Poem For Class 1st to 10th: बुझा दीपक आज फिर जलाओ....दिवाली पर पढ़िए खूबसूरत कविताएं

Diwali Poem For Class 1, 4, 6, 10: आज परे देश में दिवाली की धूम देखने को मिल रही है। सनातन धर्म में दिवाली के पावन पर्व की विशेष महत्व है। यहां हम आपके लिए दिवाली पर कक्षा 1, 2, 4, और कक्षा 10वीं के लिए खूबसबूरत कविताएं लेकर आए हैं। साथ ही आप यहां दिवाल 2023 विशेज, कोट्स भी डाउनलोड कर सकते हैं।

Diwali Poem For Class 1, 4, 6, 10

Diwali Poem For Class 1, 4, 6, 10: दिवाली पर शानदार व खूबसूरत कविताएं

Diwali Poem For Class 1, 4, 6, 10: पर्वों की माला दिवाली की शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 11 नवंबर को छोटी दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। रामायणकाल में भी दिवाली के पावन पर्व का विशेष (Diwali Poem For Class 1) महत्व है। मान्यता है कि इस दिन प्रभु श्री राम लंकापति रावण का वध कर माता सीता संग अयोध्या वापस (Diwali Poem For Class 2) लौटे थे। इस दिन को पूरे भारतवर्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई के जीत का प्रतीक माना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस बार दिवाली कल यानी 12 नवंबर को है। अमावस्या तिथि कल दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 13 नवंबर 2023 को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगा। इस दिन गणेश लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05:39 से 07:35 तक है। दिवाली के अवसर पर अक्सर स्कूल व अन्य शैक्षणिक संस्थानों व सामाजित कार्यक्रम में कविता प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। ऐसे में यहां हम आपके लिए दिवाली पर कविता, दिवाली विशेज, इमेजेस लेकर आए हैं।

Diwali Poem For Class 1, 4, 6, 10हर घर, हर दर, बाहर, भीतर,

नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,

कैसी उजियाली है पग-पग,

जगमग जगमग जगमग जगमग!

छज्जों में, छत में, आले में,

तुलसी के नन्हें थाले में,

यह कौन रहा है दृग को ठग?

जगमग जगमग जगमग जगमग!

पर्वत में, नदियों, नहरों में,

प्यारी प्यारी सी लहरों में,

तैरते दीप कैसे भग-भग!

जगमग जगमग जगमग जगमग!

राजा के घर, कंगले के घर,

हैं वही दीप सुंदर सुंदर!

दीवाली की श्री है पग-पग,

जगमग जगमग जगमग जगमग!

Diwali Poem In Hindiहर घर, हर दर, बाहर, भीतर,

नीचे ऊपर, हर जगह सुघर,

कैसी उजियाली है पग-पग,

जगमग जगमग जगमग जगमग!

छज्जों में, छत में, आले में,

तुलसी के नन्हें थाले में,

यह कौन रहा है दृग को ठग?

जगमग जगमग जगमग जगमग!

पर्वत में, नदियों, नहरों में,

प्यारी प्यारी सी लहरों में,

तैरते दीप कैसे भग-भग!

जगमग जगमग जगमग जगमग!

राजा के घर, कंगले के घर,

हैं वही दीप सुंदर सुंदर!

दीवाली की श्री है पग-पग,

जगमग जगमग जगमग जगमग!

Diwali Poem For Class 1आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,

है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए,

रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,

नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी,

आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

मैं तपोमय ज्योति की, पर, प्यास मुझको,

है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,

स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ;

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।

कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा,

कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,

किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ;

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ।

दिवाली पर शानदार व खूबसबरत कविताएं।

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    TNN एजुकेशन डेस्क author

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