गांधी जयंती पर ऐसे दें स्पीच
मुख्य बातें
- देश महात्मा गांधी की 153वीं जन्म जयंती मनाने जा रहा है।
- महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था।
- गांधी जी को राष्ट्रपिता के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
Gandhi jayanti Speech 2022 (गांधी जयंती पर भाषण हिंदी): आजादी के बाद आधुनिक भारत के निर्माण में महात्मा गांधी का अतुलनीय योगदान रहा है। वह स्वतंत्रता संग्राम के एक ऐसे नेता थे, जिसने सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को जड़ से उखाड़ फेंक दिया। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। आपको शायद ही पता होगा महात्मा गांधी ने साल 1891 में इंग्लैंड में बार का एग्जाम पास किया था। इसके बाद वकालत शुरू करने के लिए (Gandhi Jayati Speech In Hindi) भारत वापस लौटे। भारत वापस लौटने के बाद महात्मा गांधी ने पहले बॉम्बे उच्च न्यायालय और बाद में राजकोट उच्च न्यायालय में वकालत की, लेकिन कुछ बात नहीं बनी। इस दौरान महात्मा गांधी आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इसी बीच बापू को साउथ अफ्रीका के डरबन शहर में वकालत का मौका मिला। ये मौका बापू के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। लेकिन इस बीच बापू को कई घटनाओं ने आहत किया।
महात्मा गांधी संपूर्ण जीवन में समावेशी, समतामूलक और विविधताओं से भरे पक्षधर थे। उन्होंने देश में सामाजिक व आर्थिक शोषण को खत्म करने के लिए कार्य किया, इसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे। इस वर्ष देश महात्मा गांधी की 153वीं जन्म जयंती मनाने जा रहा है। इसके उपलक्ष्य में स्कूल कॉलेज व अन्य शैक्षणिक संस्थानों व कार्यालयों में तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं आधुनिक भारत के निर्माण में व स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी की भूमिका से अवगत कराने के लिए भाषण प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। ऐसे में यदि आपने भी स्पीच में भाग लिया है, तो बापू के जीवन से जुड़ी इस घटना का अपने स्पीच में जिक्र अवश्य करें, यकीन मानिए सभागार में उपस्थित लोग आपके मुरीद हो उठेंगे और तालियों से शोर से पूरा स्टेडियम गड़गड़ा उठेगा।
Gandhi Jayanti Speech 2022, ऐसे बनाएं स्पूच को दूसरों से अलग
स्पीच के बीच यदि किसी कहानी का तड़का लगा दिया जाए तो मजा दोगुना हो जाता है। साथ ही सभागार में बैठे लोगों की दिलचस्पी आपके भाषण के प्रति बढ़ जाती है। ऐसे में भाषण के बीच नीचे दिए इस कहानी का जिक्र करें।
इस कहानी का करें जिक्र
आज हम गांधी जी के जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना का जिक्र करने जा रहे हैं, जिसे जान आप गांधी जी के और भी मुरीद हो उठेंगे। साल 1888 में एक कानून छात्र के रूप में गांधी सूट बूट पहना करते थे, लेकिन कुछ वर्षों बाद कुछ ऐसा हुआ जिससे महात्मा गांधी ने अपने सूट बूट को हमेशा के लिए त्याग दिया और उन्होंने धोती पहनना स्वीकार किया। बता दें देश को आजाद कराने के लिए महात्मा गांधी ने गांव-गांव भ्रमण की योजना बनाई। इस दौरान वह बिहार के चंपारण जा पहुंचे, इस समय देश गुलामी की बेड़ियों में बंधा आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। जब वह किसानों से मिले तो उन्होंने बापू को अपना दुख दर्द बताया, उन्होंने बताया कि किस अंग्रेजी हुकूमत उन्हें नील की खती करने के लिए उकसाती हैं और चावल गेंहूं की खेती करने पर प्रताड़ित किया जाता है। किसानों की हालत देख बापू ने यह प्रण ले लिया कि, यदि मुझे इनकी समस्या को दूर करना है तो इनकी तरह दिखना होगा और बापू ने इसी दिन से सूट बूट को छोड़ धोती के सहारे पूरी जिंदगी निकाल दी और अंग्रेजों को नाकों चने चबाने के लिए मजबूर कर दिया।
महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी ये घटना आपके स्पीच में जान डाल देगी और लोग बापू के मुरीद हो उठेंगे। ध्यान रहे कहानी का जिक्र स्पीच के बीच में करें ताकि लोगों का ध्यान आपकी स्पीच की ओर बना रहे।