Education News: किसी भाषा को थोपे जाने पर शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने तोड़ी चुप्पी, जरूर पढ़ें
Education News Today: शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भाषा के नाम पर किसी के साथ भी भेदभाव किए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए 11 मार्च को कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत किसी भी भाषा को नहीं थोपा जा रहा है।

किसी भाषा को थोपे जाने पर शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने तोड़ी चुप्पी
Education News Today in Hindi: शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भाषा के नाम पर किसी के साथ भी भेदभाव किए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए 11 मार्च को कहा कि नयी शिक्षा नीति के तहत किसी भी भाषा को नहीं थोपा जा रहा है तथा तमिलनाडु के बच्चों को कोई भी भाषा पढ़ने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वह इस सदन के माध्यम से पूरे देश को बताना चाहते हैं कि नयी शिक्षा नीति के माध्यम से कोई भाषा किसी पर नहीं थोपी जाएगी। उन्होंने कहा कि आज बहुभाषी होने का समय है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विश्व की जरूरतों को देखते हुए त्रि-भाषा का फार्मूला बनाया है। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति की पहली शर्त मातृभाषा में शिक्षा है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के बच्चों को किसी भाषा से पढ़ने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि आज के समय में बच्चों की आकांक्षाएं बहुत बढ़ गयी हैं।
अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा लेने वाले बच्चों में वृद्धि
उन्होंने आंकड़े देकर बताया कि पिछले छह सालों में तमिलनाडु के स्कूलों में तमिल माध्यम से शिक्षा लेने वाले बच्चों की संख्या में कमी और अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा लेने वाले बच्चों में वृद्धि हुई है। शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘आप मुझे बेवकूफ कह सकते हैं किंतु आप तमिलनाडु के लोगों को हर समय बेवकूफ नहीं बना सकते।’’ उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार चाहती है कि देश का विकास तमिलनाडु के नेतृत्व में हो।
त्रि-भाषा नीति
प्रधान ने 10 मार्च को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत त्रि-भाषा नीति पर तमिलनाडु सरकार के रुख की आलोचना करते हुए उस पर आरोप लगाया था कि वह राजनीति के कारण छात्रों के जीवन को बर्बाद कर रही है। उनके इस बयान पर संसद के दोनों सदनों में द्रमुक के सदस्य कड़ा विरोध कर रहे हैं।
उच्च सदन में 11 मार्च को प्रधान ने कहा कि मोदी सरकार में हर वर्ष शिक्षा का आवंटन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि इस साल भी 1,28,650 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है जो पिछले साल की तुलना में छह प्रतिशत से अधिक है।
2025-26 में स्कूली शिक्षा के लिए 78,500 करोड़ रूपये
उन्होंने कहा कि 2013-14 में स्कूली शिक्षा के लिए 52,701 करोड़ रूपये का बजटीय आवंटन किया गया था, जो 2025-26 के बजट में बढ़कर 78,500 करोड़ रूपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि यह आवंटन शिक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने सरकारी स्कूलों के बंद होने और निजी स्कूलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई थी, जिसपर प्रधान ने कहा कि मोदी सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है कि सरकारी स्कूल बंद हों। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह तय किया है कि देश में जितने माध्यमिक स्कूल हैं, उन्हें ब्राड बैंड इंटरनेट सेवा से जोड़ा जाएगा और इसके लिए भारत नेट को जिम्मा सौंप दिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें विश्व गुरु नहीं बनना, हमें विश्व बंधु बनना है। इसलिए हमें बच्चों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण देना है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार आज लोगों की आकांक्षाओं को देखते हुए शिक्षा में सुधार कर रही है।
प्रधान ने कहा कि सरकार किसी पर कोई विषय थोपना नहीं चाहती किंतु ‘हमें भारत और भारतीय भाषाओं पर नाज है।’ उन्होंने कहा कि इसी लिए सरकार ने भारतीय भाषा पुस्तक योजना लागू की है ताकि विभिन्न भारतीय भाषाओं में जो रत्न छिपे हुए हैं, उन्हें पूरे देश के सामने लाया जा सके।
भारत में उच्च शिक्षा पाने वाले छात्रों की संख्या
शिक्षा मंत्री ने कहा कि चाहे प्राथमिक स्तर हो, माध्यमिक स्तर हो या उच्च शिक्षा का स्तर हो अधूरी शिक्षा छोड़कर जाने वाले बच्चों की संख्या में लगातार कमी आयी है। उन्होंने कहा कि आज देश में 25 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा और चार करोड़ बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर हैं।
प्रधान ने कांग्रेस को सलाह दी कि वह समय के हिसाब से अपना रुख बदले तथा पीछे ले जाने वाले रुख के बजाय प्रगतिशील रुख अपनाये। उन्होंने कहा कि संविधान सभा में बहु भाषा को लेकर सहमति बनी थी। उन्होंने चेन्नई के रिसर्च पार्क, मद्रास आईआईटी में तमिलनाडु के एक युवक ने अंतरिक्ष में जाने वाले नीची कक्षा में प्रवेश करने वाला सेटेलाइट बनाकर उड़ा दिया। उन्होंने कहा कि यह युवक आईआईटी में नहीं पढ़ा था।
शिक्षा मंत्री ने दिग्विजय सिंह द्वारा एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से गांधी हत्या के बाद की कुछ घटनाओं को हटा देने की ओर ध्यान दिलाये जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इस बारे में पता किया। उन्होंने कहा, ‘‘क्या हमारे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए कि भारतीय की कोई जाति वर्ग इसके लिए जिम्मेदार है। क्या इसके लिए ब्राह्मणों को जिम्मेदार ठहराया जाना उचित है। बच्चों को सांप्रदायिकता पढ़ाना क्या उचित है।’’
2004 से 2014 के बीच 19,069 शिक्षक नियुक्त किए गए
उन्होंने प्रश्न किया कि लोकतंत्र को खतरा पहुंचाने वाले नक्सलवाद को क्या पाठ्यपुस्तकों में रखा जाना चाहिए?
प्रधान ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में 2004 से 2014 के बीच 19,069 शिक्षक नियुक्त किए गए थे जबकि 2014 से 2024 के बीच 33,532 शिक्षक नियुक्त किये गये। उन्होंने कहा कि इस प्रकार हर महीने लगने वाले रोजगार मेलों में नियुक्ति की जा रही है।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले आरक्षित पदों पर भर्ती यह कहकर नहीं होती थी कि समुचित उम्मीदवार नहीं मिला और इस पद को साधारण श्रेणी में रख दिया जाता था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इस चलन को बंद कर दिया। पश्चिम बंगाल के कई सदस्यों द्वारा केंद्र की ओर से राज्य के प्रति भेदभाव के लगाये गये आरोपों पर प्रधान ने कहा कि इस बारे में कैग से जांच करवायी गयी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के नाम पर पार्टीबाजी के लिए पैसा खर्च करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसी से भेदभाव नहीं करती और ‘‘हम सभी के लिए खुले हुए हैं...हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया, किसी का कोष नहीं रोका।’’
उन्होंने कहा कि तमिल भाषा किसी की संपत्ति नहीं है, यह सारे देश की संपत्ति है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सम्मान के लिए उन्हें किसी से सीख लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि देश यह कभी नहीं भूला है कि तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के साथ राज्य की विधानसभा में क्या किया गया? प्रधान की इस बात का द्रमुक के सदस्यों ने कड़ा विरोध किया।
(भाषा इनपुट)
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उत्तर प्रदेश की राजधानी, नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं। स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री सब इसी शहर से प्राप्त की। मीडिया क्ष...और देखें

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