EID UL Adha Essay In Hindi 2024: ईद उल अजहा पर सबसे छोटा व शानदार निबंध
EID UL Adha Essay In Hindi 2024, EID UL Adha Essay For Class 2, Class 5 In Hindi: इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार धू अलग हिज्जाह का चांद दिखने के 10वें दिन ईद-उल-अजहा मनाया (EID UL Adha Essay In Hindi) जाता है। इस बार बकरीद कल यानी 17 जून 2024 को है। यहां हम ईद उल अजहा पर सबसे सरल व शानदार निबंध लेकर आए हैं।
EID UL Adha Essay In Hindi 2024: ईद उल अजहा पर निबंध
EID UL Adha Essay In Hindi 2024, EID UL Adha Essay For Class 2, Class 5 In Hindi: ईद उल अजहा या ईद-उल-जुहा यानी बकरीद इस्लाम धर्म के सबसे प्रमुख त्योंहारों में से (EID UL Adha Essay In Hindi) एक है। ईद-उल-फितर के बाद यह मुस्लिम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है। यह पर्व ईद उल फितर के दो माह बाद मनाया (EID UL Adha Essay For Class 2) जाता है। इस दिन को इस्लाम धर्म के लोग बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार दुनियाभर में ईद-उल-हिज्जह की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। इस बार ईद कल यान 17 जून 2024, सोमवार को है।
इस खास मौके पर स्कूल व अन्य शैक्षणिक संस्थानों में ईद पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया (EID UL Adha Essay For Class 5) जाता है। इसके अलावा इस माह के आसपास स्कूल में होने वाले टेस्ट पेपर या असाइमेंट में ईद पर निबंध लिखने के लिए आता है। ऐसे में यहां हम आपके लिए बकरीद यानी ईद-उल-अजहा पर निबंध लेकर आए हैं।
EID UL Adha Date 2024: कब मनाई जाएगी ईद-उल-अजहाभारत, पाकिस्तान समेत अन्य दक्षिण एशियाई देशों में कल यानी 17 जून को ईद-उल-अजहा मनाई जाएगी। क्योंकि धू-अल-हिज्जाह का चांद 7 जून को देखा गया था। ऐसे में इससे ठीक 10 दिन बाद बकरीद का त्योहार मनाया जाता है।
EID UL Adha Essay In Hindi: ईद उल अजहा पर निबंधईद उल अजहा त्याग और बलिदान का त्योहार है। यह फर्ज ए कुर्बानी का दिन होता है। बकरीद से दो दिन पहले हज की यात्रा शुरू हो जाती है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा दान कर दिया जाता है, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों को बांटा जाता है। जबकि तीसरा हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है। इस दिन का इतिहास सैकड़ो वर्ष पुाराना है। कहा जाता है कि बकरीद का पर्व पैगंबर इब्राहिम की कुर्बानी को याद करके मनाया जाता है।
इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार एक बार पैगंबर के सपने में अल्लाह ने आकर उनके सबसे करीबी चीज की कुर्बानी मांगी। पैगंबर के लिए सबसे कीमती उनका बटा था। उन्होंने अपने बेटेव की कुर्बानी देने के लिए निश्चय किया। वह आंखों में पट्टी बांधकर अपने बेटे की कुर्बानी देने लगे, लेकिन जब उनकी आंख खुली तो उनका बेटा जीवित था और उसकी जगह एक दुम्बा पड़ा है। इस दिन के बाद से बकरे की कुर्बानी दी जाती है।
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मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और शिक्षा से जुड़े मुद्दों में विशेष रुचि। साथ ही हेल्...और देखें
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