Gandhi Jayanti 2024: महात्मा गांधी के प्रेरक प्रसंग, जो छात्रों का बदल देंगे जीवन

Gandhi Jayanti 2024 Mahatma Gandhi Prerak Prasang in Hindi: गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर ​को होती है, चलिए इस अवसर पर कुछ नया जानते, पढ़ते व सीखते हैं। हम बात करेंगे महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े ऐसे पांच प्रसंग, जो ज्ञान से भरे हैं, जो छात्रों का जीवन बदल सकते हैं, उन्हें नई ऊर्जा दे सकते हैं।

gandhi prerak prasang kahani

गांधी प्रेरक प्रसंग कहानी (Image - canva)

Gandhi Jayanti 2024, Mahatma Gandhi Prerak Prasang in Hindi: महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। महात्मा गांधी को देश की आजादी के लिए उनके योगदान व आदर्शों के लिए भारत का राष्ट्रपिता कहा गया। (महात्मा गांधी से जुड़े प्रेरक प्रसंग) उनके जन्मदिन को हर साल राष्ट्र स्तर पर मनाया जाता है। इस साल 155वीं गांधी जयंती मनाई जाएगी। आज हम बात करेंगे महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े ऐसे पांच प्रसंग, जो ज्ञान से भरे हैं, जो छात्रों का जीवन बदल सकते हैं, उन्हें नई ऊर्जा दे सकते हैं।

झूठ से सदा बचें

महात्मा गांधी अहिंसा प्रेमी थी, वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और न हिंसा के पक्ष में रहते थे। उनके अंदर यह सोच कैसे पैदा हुई, चलिए जानते हैं, एक समय की बात है, उनके भाई उन दिनों कर्ज में फंसे हुए थे। ऐसे में भाई की मदद के लिए उन्होंने अपना सोने का कड़ा बेच दिया। जब घर वालों ने कड़े के बारे में पूछा, तो उन्होंने झूठ बोला और कहा, कड़ा कहीं हो खो गया है, लेकिन वे अपने झूठ से नाखुश थे। (मोटिवेशनल प्रेरक प्रसंग) अंतरात्मा उन्हें सच बोलने के लिए कह रही थी। आखिर में उन्होंने अपने पिता को एक पत्र लिखा और सारी सच्चाई बता दी। उन्हें लगा कि अब शायद उनकी पिटाई हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इस बात ने उन्हें बदल दिया।

समय की वैल्यू

दांडी यात्रा चल रही थी, वहां महात्मागांधी भी थे, तभी वहां पर एक अंग्रेजी प्रशंसक उनके पास आया और बोला 'हेलो मेरा नाम वॉकर' है। इस पर गांधी जी ने चलते-चलते कहा मैं भी तो वॉकर हूं। ये कहकर गांधी जी वहां से चले गए, आपको जानकर हैरानी होगी कि उनका व्यवहार एक आदमी देख रहा था, उसने पूछा कि 'आप अपने प्रशंसक से मिल क्यों नहीं' इस पर गांधी जी ने कहा मेरे लिए सम्मान से ज्यादा समय कीमत है।

कर्म पर करो यकीन

एक बार की बात है, गांधी जी एक गांव में गए हुए थे। वहां गांधी जी को देखने के लिए लोगों की भीड़ आ गई। भीड़ से गांधी जी ने पूछा 'इस वक्त किस अन्न की कटाई हो रही है और किस अन्न को बोया जा रहा है', इस पर एक वृद्ध व्यक्ति ने कहा कि आप इतने ज्ञानी हैं क्या आपको ये नहीं पता जेठ मास में कोई फसल नहीं लगाई जाती। इस पर गांधी जी ने कहा कि तो क्या इस वक्त आप खाली हैं? आप चाहे तो कुछ बो सकते हैं कुछ भी काट सकते हैं, लोगों ने कहा कि आप ही बता दिजिए क्या बोना और क्या काटना चाहिए? इस पर उन्होंने कहा कि.....
आप लोग कर्म बोइए और आदत को काटिए,
आदत को बोइए और चरित्र को काटिए,
चरित्र को बोइए और भाग्य को काटिए,
तभी तुम्हारा जीवन सार्थक हो पाएगा।

अछूत जैसा कुछ नहीं

एक बार की बात है, महात्मा गांधी के पिता जी का ट्रांसफर राजकोट में हो गया, उनके पड़ोस में एक सफाईकर्मी रहता था। गांधी जी उसे बहुत पसंद करते थे। एक बार किसी कार्यक्रम में गांधी जी को मिठाई बांटने का काम दिया गया। गांधी जी सबसे पहले मिठाई पड़ोस में रहने वाले सफाईकर्मी को देने चले गए। जैसे ही गांधी जी उन्हें मिठाई देने लगे तभी सफाईकर्मी ने कहा कि मुझे मत छुएं, मेरे करीब न आएं, मैं अछूत हूं। ये बात गांधी जी को बहुत बुरी लगी और उन्होंने सफाईकर्मी के हाथ को पकड़कर कहा कि 'हम सब इंसान हैं, छूत और अछूत कुछ नहीं होता'।

गलतियों पर क्षमा देना सीखें

गांधी जी एक बार आनंद स्वामी के साथ यात्रा में निकले थे, यात्रा के दौरान आनंद स्वामी किसी बात को लेकर एक व्यक्ति से बहस हो गई थी। बात बढ़ती चली गई, जिसके बाद उस शख्स को आनंद स्वामी ने थप्पड़ मार दिया। गांधी को यह बात जानकर बुरा लगा, उन्होंने कहा 'अगर शख्स आम इंसान ना होकर आपके बराबरी का होता तो क्या आप तब भी थप्पड़ मारते? इसके बाद आनंद स्वामी को एहसास हुआ और उन्होंने शख्स से माफी मांगी।
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नीलाक्ष सिंह author

उत्तर प्रदेश की राजधानी, नवाबों के शहर लखनऊ का रहने वाला हूं। स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री सब इसी शहर से प्राप्त की। मीडिया क्ष...और देखें

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